सड़क हादसों में सर्वाधिक मौतें भारत में

अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन के अनुसार, दुनिया भर में वाहनों की कुल संख्या का महज़ तीन प्रतिशत हिस्सा भारत में है, लेकिन यहां होने वाले सड़क हादसों और इनमें जान गंवाने वालों के मामले में भारत की हिस्सेदारी 12.06 प्रतिशत है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन के अनुसार, दुनिया भर में वाहनों की कुल संख्या का महज़ तीन प्रतिशत हिस्सा भारत में है, लेकिन यहां होने वाले सड़क हादसों और इनमें जान गंवाने वालों के मामले में भारत की हिस्सेदारी 12.06 प्रतिशत है.

New Delhi: Vehicles ply at slow pace near South Ext. Market due to smog in New Delhi on Tuesday. Air quality in Delhi dropped to ‘severe’ level on Tuesday as pollution levels crossed permissible levels by multiple times. Visibility in Delhi NCR dropped as smog enveloped the city. PTI Photo by Kamal Singh(PTI11_7_2017_000226B)
(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: सड़क हादसों में भारत को हर साल मानव संसाधन का सर्वाधिक नुकसान होता है. अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन (आईआरएफ) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 12.5 लाख लोगों की प्रति वर्ष सड़क हादसों में मौत होती है. इसमें भारत की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से ज़्यादा है.

जिनेवा स्थित आईआरएफ के अध्यक्ष केके कपिला ने बताया कि भारत में साल 2016 में 1,50,785 लोग सड़क हादसों में मारे गए. यह किसी भी देश के मानव संसाधन का सर्वाधिक नुकसान है.

कपिला ने वैश्विक स्तर पर मानव संसाधन के नुकसान को कम करने के लिए आईआरएफ की ओर से हर साल नवंबर के तीसरे सप्ताह में मनाए जाने वाले सड़क सुरक्षा सप्ताह के मौके पर यह जानकारी दी.

सड़क दुर्घटनाओं में बुरी तरह घायल हुए और मौत के मुंह से वापस लौटे लोगों द्वारा सड़क सुरक्षा सप्ताह मानने की कवायद साल 1993 में वैश्विक स्तर पर शुरू की गई थी, जिसे साल 2005 में संयुक्त राष्ट्र ने भी मान्यता प्रदान की थी.

कपिला ने सड़क दुर्घटनाओं से हुए नुकसान का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए कहा कि दुनिया भर में वाहनों की कुल संख्या का महज तीन प्रतिशत हिस्सा भारत में है, लेकिन देश में होने वाले सड़क हादसों और इनमें जान गंवाने वालों के मामले में भारत की हिस्सेदारी 12.06 प्रतिशत है.

उन्होंने बताया कि इस कवायद का मकसद सड़क हादसों को कम करने में सरकारों के अलावा जागरूकता के माध्यम से जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना है. कपिला ने कहा संयुक्त राष्ट्र ने इस मुहिम के माध्यम से साल 2020 तक सड़क हादसों में 50 प्रतिशत तक की कमी लाने का लक्ष्य तय किया है.

उन्होंने कहा, इसमें भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए आईआरएफ ने भारत सरकार के साथ यातायात नियमों को दुरुस्त कर इनका सख़्ती से पालन सुनिश्चित करने में जनजागरूकता की पहल की है.

उन्होंने कहा कि भारत को सड़क हादसों के कारण मानव संसाधन के साथ भारी मात्रा में आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. आईआरएफ के अध्ययन के मुताबिक भारत में सड़क हादसों में गंभीर रूप से घायल हुए पीड़ित को औसतन पांच लाख रुपये के ख़र्च का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता है. इससे पीड़ित के अलावा समूचा परिवार प्रभावित होता है.

देश में कार्यस्थल पर दुर्घटनाओं में हर साल जाती है 48,000 लोगों की जान : अध्ययन

मुंबई: देश में हर साल करीब 48,000 लोग अपनी नौकरी या कार्यस्थल पर होने वाली दुर्घटनाओं की वजह से मौत के मुंह में चले जाते हैं. एक अंतरराष्ट्रीय रपट के अनुसार सबसे इनमें सबसे ज़्यादा 24.20 प्रतिशत निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले लोग होते हैंं.

अंतर श्रम संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल ने सोमवार को कहा कि कार्यस्थल पर सुरक्षा संबंधी बुरी स्थितियों की वजह से हर साल औसतन 48,000 लोगों की मौत होती है.

ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल कार्यस्थल पर स्वास्थ्य, सुरक्षा और पर्यावरण प्रबंधन से जुड़ा गैर लाभकारी संगठन है. काउंसिल ने कहा कि भारत में कार्यस्थल पर मौतों की संख्या ब्रिटेन की तुलना में 20 गुना अधिक है.

संगठन ने कहा कि भारत में हर दिन निर्माण क्षेत्र में ही 38 गंभीर दुर्घटनाएं होती हैं, वहीं ब्रिटेन में 2016 में क्षेत्रों में कुल 137 गंभीर दुर्घटनाएं हुईं.

काउंसिल ने कहा कि भारत में सवा अरब की आबादी में श्रमबल की संख्या 46.5 करोड़ है. इनमें से सिर्फ 20 प्रतिशत ही मौजूदा स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के कानूनी ढांचे में आते हैं.

ब्रिटिश सेफ्टी काउंसिल के मुख्य कार्यकारी माइक रॉबिन्सन ने कहा, हालांकि स्वास्थ्य और सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए क़ानून हैं, लेकिन पर्याप्त श्रमबल की कमी की वजह से इनका क्रियान्वयन बड़ी चुनौती है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)