मराठा आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को जाति प्रमाण-पत्र कैसे जारी किया जाए, इस पर एक समिति एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. औरंगाबाद के जालना ज़िले में बीते 1 सितंबर को पुलिस ने आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज कर दिया था.
नई दिल्ली: मराठा आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बीते 4 सितंबर को कहा कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को कुनबी जाति प्रमाण-पत्र कैसे जारी किया जाए, इस पर एक समिति एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
कुनबी (कृषि से जुड़ा समुदाय) को महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, ‘एक समिति गठित की गई है और मराठवाड़ा से मराठा समुदाय को कुनबी जाति प्रमाण-पत्र कैसे जारी किया जाए, इस पर एक महीने के भीतर एक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है. राज्य सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और हम एक सौहार्द्रपूर्ण समाधान खोजने के लिए काम कर रहे हैं.’
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह घोषणा औरंगाबाद के जालना में बीते दिनों हुए विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर आई है, जो पिछले हफ्ते शुरू हुआ और शुक्रवार (1 सितंबर) को हिंसक हो गया, जिसमें 40 पुलिसकर्मी और कुछ नागरिक घायल हो गए.
समुदाय शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है, मंगलवार (29 अगस्त) से जालना के अंतरवली सारथी गांव में कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में भूख हड़ताल चल रही है. शुक्रवार को जब पुलिस ने जरांगे को अस्पताल ले जाने की कोशिश की तो हिंसा भड़क गई.
पुलिस ने बताया कि कुछ लोगों ने राज्य परिवहन की बसों और निजी वाहनों को निशाना बनाया. रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बाद पुलिस ने गांव में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठियां चलाईं और आंसू गैस के गोले छोड़े. इसके अलावा 15 से अधिक बसों को आग के हवाले कर दिया गया था.
इस घटना को लेकर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने सरकार की ओर माफी मांगी है.
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, फड़णवीस ने कहा, ‘पुलिस द्वारा लाठीचार्ज सही नहीं था. मैं सरकार की ओर से माफी मांग रहा हूं. मुख्यमंत्री ने कहा है कि जो लोग भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.’
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, फड़णवीस ने कहा कि कुछ दिन पहले जालना जिले में पुलिस द्वारा बल प्रयोग को लेकर महाराष्ट्र सरकार को खेद है.
मराठा समुदाय को महाराष्ट्र सरकार की नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में दाखिले में वर्ष 2018 में आरक्षण दिया गया था, जब फड़णवीस राज्य के मुख्यमंत्री थे. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मई 2021 में कुल आरक्षण की सीमा 50 फीसदी होने सहित अन्य कारणों का हवाला देते हुए इसे रद्द कर दिया था.
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा, ‘मैंने अधिकारियों को मराठा कोटा पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने और समाधान सुझाने का निर्देश दिया है. हमें यह स्थापित करने की जरूरत है कि मराठा समुदाय पिछड़ा है.’
हालांकि, कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने संवाददाताओं से कहा कि वह तब तक विरोध प्रदर्शन बंद नहीं करेंगे, जब तक कि मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने का सरकारी आदेश जारी नहीं किया जाता.
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