झारखंड सरकार ने ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य यह फैसला किया है. समुदाय को अधिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग ने अस्पतालों में उनके लिए अलग शौचालय बनाने का भी प्रस्ताव दिया है.
नई दिल्ली: ट्रांसजेंडर समुदाय को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से झारखंड सरकार ने उन्हें अपनी सार्वभौमिक पेंशन योजना के तहत जोड़ने का फैसला किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह फैसला लिया गया. सरकार ने उन्हें पिछड़ा वर्ग श्रेणी में शामिल करने और लाभ प्रदान करने का भी निर्णय लिया.
कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने कहा, ‘मंत्रिपरिषद ने सामाजिक सहायता योजना के तहत ट्रांसजेंडर लोगों के लिए मुख्यमंत्री राज्य सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. पात्र लाभार्थी को वित्तीय सहायता के रूप में प्रति माह 1,000 रुपये मिलेंगे.
महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग (डब्ल्यूसीडीएसएस) के अनुसार, 2011 में झारखंड में ट्रांसजेंडर समुदाय की आबादी लगभग 11,900 थी, जो वर्तमान में लगभग 14,000 होगी.
विभाग के सचिव कृपानंद झा ने कहा, ‘पेंशन योजना का लाभ उठाने के लिए ट्रांसजेंडरों को उपायुक्त कार्यालय से एक प्रमाण-पत्र प्राप्त करना होगा. जिनकी आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है और जिनके पास मतदाता पहचान-पत्र हैं, वे इस योजना के लिए पात्र होंगे.’
उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडरों को अधिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए विभाग ने अस्पतालों में उनके लिए अलग शौचालय बनाने का भी प्रस्ताव दिया है.
झा ने कहा, ‘लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है, ताकि ट्रांसजेंडरों को किसी भेदभाव का सामना न करना पड़े.’
डाडेल ने कहा, ‘जो ट्रांसजेंडर किसी भी जाति आरक्षण के दायरे में नहीं आते हैं, उन्हें पिछड़ा वर्ग-2 का लाभ प्रदान किया जाएगा.’
ट्रांसजेंडर आरक्षण पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि यह कदम काफी आगे तक जाएगा, क्योंकि राज्य के हर नागरिक को मान-सम्मान मिलेगा.
उन्होंने कहा, ‘सरकार लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं के अनुरूप काम कर रही है और उनकी इच्छा के अनुरूप फैसले ले रही है.’
कैबिनेट ने ड्यूटी के दौरान घायल होने वाले सुरक्षाकर्मियों के लिए मुआवजा राशि दोगुनी करने सहित 35 एजेंडों को मंजूरी दी. पहले ऐसे मामलों में अधिकतम 3.5 लाख रुपये दिए जाते थे, जो अब 7.5 लाख रुपये होंगे. माओवादी हिंसा की स्थिति में दोगुनी राशि होगी.