मद्रास हाईकोर्ट एक वृद्धा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि डीएमके वार्ड सचिव 13 साल से अधिक समय तक उनकी भूमि पर कब्ज़ा कर रखा था. अदालत ने कहा कि राजनीतिक ताक़त का इस्तेमाल करके एक शक्तिहीन आम आदमी से ज़मीन छीनना दिनदहाड़े हुई डक़ैती के अलावा कुछ नहीं है.
नई दिल्ली: मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि राजनीतिक शक्ति का उपयोग करके एक शक्तिहीन आम आदमी से जमीन छीनना दिनदहाड़े डकैती के अलावा कुछ नहीं है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने यह भी कहा कि अदालत नेताओं द्वारा बड़े पैमाने पर राजनीतिक शक्ति का शोषण देख रही है, खासकर भूमि-हथियाने के मामलों में.
अदालत ने यह टिप्पणी एक वरिष्ठ नागरिक आर. गिरिजा की याचिका पर की, जिनके टी. नगर स्थित घर पर डीएमके वार्ड सचिव एस रामलिंगम ने 13 साल से (पांच साल तक किराया चुकाए बिना) अधिक समय तक कब्जा कर रखा था.
बताया गया कि डीएमके पदाधिकारी ने परिसर खाली करने से इनकार कर दिया और शहर की एक अदालत में किराये संबंधी विवाद याचिका दायर करके घर पर कब्जा करने में कामयाब रहे. 1 सितंबर को हाईकोर्ट ने चेन्नई के पुलिस आयुक्त को 48 घंटे में रामलिंगम को बेदखल करने और मालिक-याचिकाकर्ता को घर का कब्ज़ा सौंपने का निर्देश दिया है.
जब याचिका सोमवार को आगे की सुनवाई के लिए आई, तो डीसीपी (प्रशासन) ने एक अनुपालन रिपोर्ट दायर की और अदालत को सूचित किया कि रामलिंगम को बेदखल कर दिया गया है.
इसे स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पांच साल से अधिक का किराया बकाया रामलिंगम द्वारा अभी तक तय नहीं किया गया है. दलीलें दर्ज करते हुए जस्टिस सुब्रमण्यम ने रामलिंगम को 11 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से या वकील के माध्यम से पेश होने का निर्देश दिया.
अदालत ने कहा, ‘यह जरूरी है कि इस राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग अवैध और व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए. सत्ता-संपन्न नेताओं की लोगों के जीवन पर सकारात्मक और स्वस्थ प्रभाव डालने और उन्हें सही रास्ते पर मार्गदर्शन करने की अंतर्निहित जिम्मेदारी है, लेकिन इसके बजाय आज हम जो देख रहे हैं वह यह है कि नेता अपने राजनीतिक संबंधों और शक्ति का इस्तेमाल जनता को धमकाने और उपद्रव पैदा करने के लिए कर रहे हैं.’
जस्टिस सुब्रमण्यम ने कहा कि राजनीति आम आदमी और देश की भलाई के लिए होनी चाहिए, इसके बजाय आर्थिक और व्यक्तिगत लाभ हासिल करने के लिए आम आदमी के जीवन से खेलना न केवल सत्ता का दुरुपयोग है, बल्कि संवैधानिक आदर्शों के खिलाफ है.
किराया नियंत्रण अदालतों में चल रही कार्यवाही के संबंध में न्यायाधीश ने कहा, ‘किराया नियंत्रण मामलों में लंबी अदालती कार्यवाही का कुछ वादियों द्वारा मकान मालिकों द्वारा बेदखली से बचने और किराए के बकाया की वसूली के लिए मामले को लंबा खींचकर दुरुपयोग किया जा रहा है.’