बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में पत्रकारों के साथ बातचीत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि हमने अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखा है. हम ख़ुद को भारत की आवाज़ मानते हैं, लेकिन यह स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इतना परेशान कर रहा है कि वह देश का नाम बदलना चाहते हैं.
नई दिल्ली: यूरोपीय देश बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स के एक प्रेस क्लब में मीडिया से बातचीत करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बीते शुक्रवार (8 सितंबर) को ‘इंडिया बनाम भारत’ विवाद, कश्मीर और ‘लोकतांत्रिक संस्थानों पर हमले’ के अलावा नई दिल्ली में हो रहे जी-20 शिखर सम्मेलन जैसे कई विषयों पर बात की.
केंद्र सरकार द्वारा ‘भारत के राष्ट्रपति’ (प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह) के नाम पर जी-20 शिखर सम्मेलन का निमंत्रण भेजे जाने के बाद सोशल मीडिया पर उपजे विवाद पर टिप्पणी करते हुए राहुल ने इसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की ‘ध्यान भटकाने वाली रणनीति’ कहा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘हमारे संविधान में जो नाम है, उनसे मैं पूरी तरह खुश हूं. इंडिया यानी भारत, मेरे लिए बिल्कुल ठीक है.’ जब उनसे पूछा गया कि उन्हें कौन-सा नाम पसंद है तो कांग्रेस नेता ने कहा, ‘लेकिन मुझे लगता है कि ये मेरे लिए एक तरह से घबराहट की प्रतिक्रियाएं हैं. सरकार में थोड़ा डर है. ये ध्यान भटकाने वाली रणनीति हैं.’
राहुल गांधी वर्तमान में बेल्जियम से शुरू होने वाले यूरोपीय दौरे पर हैं. उन्होंने कहा कि सरकार 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्ष द्वारा अपने गठबंधन को ‘इंडिया’ नाम देने से परेशान है.
उन्होंने कहा, ‘हम निश्चित रूप से अपने गठबंधन के लिए इंडिया नाम लेकर आए हैं और यह एक शानदार विचार है, क्योंकि यह दर्शाता है कि हम वास्तव में कौन हैं, हम खुद को भारत की आवाज मानते हैं और इसलिए यह नाम बहुत अच्छा है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री को इतना परेशान कर रहा है कि वह देश का नाम बदलना चाहते हैं, जो बेतुका है.’
मोदी सरकार के खिलाफ अपना आक्रामक रुख जारी रखते हुए राहुल ने कहा, ‘यह दिलचस्प है कि हर बार जब हम अडानी और क्रोनी कैपटलिज्म का मुद्दा उठाते हैं, तो प्रधानमंत्री एक नाटकीय नई रणनीति के साथ सामने आए हैं. अडानी पर मेरी प्रेस कॉन्फ्रेंस के ठीक बाद यह बदलाव (जी-20 निमंत्रण पर ‘भारत के राष्ट्रपति’ लिखना) लागू किया गया.’
कश्मीर पर अपना रुख दोहराते हुए उन्होंने कहा, ‘कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. यह हमारे अलावा किसी और का नहीं है. हमारी स्थिति स्पष्ट है. यह महत्वपूर्ण है कि भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं की रक्षा की जाए और भारत के हर हिस्से में लोगों की आवाज की रक्षा की जाए.’
उन्होंने जी-20 सम्मेलन में विपक्षी नेताओं को आमंत्रित नहीं करने के लिए भी सरकार को फटकार लगाई और कहा कि इससे पता चलता है कि ‘वर्तमान नेतृत्व भारत की 60 प्रतिशत आबादी के नेताओं को महत्व नहीं देता है.’ उन्होंने कहा कि ‘लोगों को यह सोचना चाहिए कि इस विचार के पीछे किस प्रकार की सोच है!’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे देश के स्वभाव को बदलने का प्रयास किया जा रहा है. हमारे देश को राज्यों के संघ के रूप में वर्णित किया गया है और हमारा मानना है कि हमारे संघ का सबसे महत्वपूर्ण पहलू इसके सदस्यों के बीच बातचीत है. यह महात्मा गांधी के दृष्टिकोण और नाथूराम गोडसे के दृष्टिकोण के बीच की लड़ाई है. भाजपा का मानना है कि सत्ता को केंद्रीकृत किया जाना चाहिए, धन को केंद्रित किया जाना चाहिए और भारत के लोगों के बीच बातचीत को दबा दिया जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि भारत में भेदभाव और हिंसा में वृद्धि हुई है, उन्होंने इसे ‘हमारे देश के लोकतांत्रिक संस्थानों पर पूरी तरह से हमला’ करार दिया.
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि विपक्ष रूस-यूक्रेन युद्ध पर भाजपा की वर्तमान स्थिति से सहमत है और एक बड़ा देश होने के कारण भारत के लिए दुनिया भर में द्विपक्षीय संबंधों को रखना स्वाभाविक है.
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर मोदी सरकार द्वारा अपनाए गए ‘सतर्क दृष्टिकोण’ के बारे में एक यूक्रेनी समाचार एजेंसी के सवाल के जवाब में राहुल ने कहा, ‘मुझे लगता है कि विपक्ष कुल मिलाकर युद्ध पर भारत की वर्तमान स्थिति से सहमत होगा.’
उन्होंने कहा, ‘रूस के साथ हमारा रिश्ता है और मुझे नहीं लगता कि सरकार वर्तमान में जो प्रस्ताव दे रही है, उससे विपक्ष का अलग कोई दृष्टिकोण होगा.’