लीबिया में 10 सितंबर की रात को आए एक शक्तिशाली तूफान के कारण तटीय शहर डर्ना के पास दो बांध टूटने से शहर का अधिकांश हिस्सा नष्ट हो गया और पूरा इलाका समुद्र में समा गया. शहर के मेयर का कहना है कि बाढ़ से नष्ट हुईं इमारतों की संख्या के आधार पर शहर में मौतों की अनुमानित संख्या 20,000 तक पहुंच सकती है.
नई दिल्ली: उत्तर अफ्रीकी देश लीबिया में रविवार (10 सितंबर) की रात आए एक शक्तिशाली तूफान के कारण तटीय शहर डर्ना के पास दो बांध टूटने से 5,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि बांधों के टूटने से शहर का अधिकांश हिस्सा नष्ट हो गया और पूरा इलाका समुद्र में समा गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, लीबिया युद्ध से पहले ही हताहत है, डेनियल नामक तूफान के लिए यह बिल्कुल भी तैयार नहीं था, जो भूमध्य सागर के पार बहकर उसकी तटरेखा को नष्ट कर गया. देश को दो प्रतिद्वंद्वी सरकारों द्वारा संचालित किया जाता है, जिससे बचाव और सहायता प्रयास जटिल हो गए हैं. इसके विशाल तेल संसाधनों के बावजूद एक दशक से अधिक की राजनीतिक अराजकता के बाद इसके बुनियादी ढांचे को खराब बनाकर रखा गया है.
लीबियाई टेलीविजन स्टेशन अल-मसर के अनुसार, पूर्वी लीबिया की देखरेख करने वाली सरकार के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता तारेक अल-खराज़ ने कहा कि अकेले डर्ना शहर में कम से कम 5,200 लोग मारे गए. इसके अलावा बाढ़ के पानी ने शाहहाट, अल-बायदा और मर्ज सहित अन्य पूर्वी बस्तियों को भी अपनी चपेट में ले लिया, जिससे कम से कम 20,000 लोग विस्थापित हुए हैं.
हजारों लोग लापता हैं और आने वाले दिनों में मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है. बाढ़ के कारण शव सड़कों पर बिखरे पड़े हैं. इमारतें ढह गईं, वाहन डूब गए और सड़कें अवरुद्ध हो गईं, जिससे सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच बाधित हो गई.
अल ज़जीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रवक्ता ने बुधवार (13 सितंबर) को बताया कि डर्ना शहर में अब तक 3,840 मौतें दर्ज की गई हैं, जिनमें 3,190 लोग शामिल हैं, जिन्हें पहले ही दफनाया जा चुका है. उनमें कम से कम 400 विदेशी थे, जिनमें अधिकतर सूडान और मिस्र से थे.
इस बीच, पूर्वी लीबिया को चलाने वाले प्रशासन में नागरिक उड्डयन मंत्री हिचेम अबू ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि अब तक 5,300 से अधिक मृतकों की गिनती की जा चुकी है और कहा कि यह संख्या काफी बढ़ने की संभावना है और यहां तक कि दोगुनी भी हो सकती है.
डर्ना के मेयर अब्दुलमेनम अल-ग़ैथी ने अल-अरबिया टेलीविजन को बताया कि बाढ़ से नष्ट हुईं इमारतों की संख्या के आधार पर शहर में मौतों की अनुमानित संख्या 18,000 से 20,000 तक पहुंच सकती है.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘वास्तव में हमें शवों को बरामद करने में विशेषज्ञ टीमों की आवश्यकता है. मुझे डर है कि मलबे के नीचे और पानी में बड़ी संख्या में शवों के कारण शहर महामारी से संक्रमित हो जाएगा.’. रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 10,000 लोग लापता हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, क्षेत्र की प्रमुख राजनीतिक ताकत लीबियाई राष्ट्रीय सेना के प्रवक्ता अहमद अल-मोस्मारी ने सोमवार (11 सितंबर) को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘बांधों ने लगभग 100,000 लोगों की आबादी वाले डर्ना शहर को जलमग्न कर दिया.’
अल-मोस्मारी ने इस परिदृश्य को पूरी तरह से अप्रत्याशित बताते हुए कहा, ‘यह पहली बार है, जब हम इस प्रकार के मौसम के संपर्क में आए हैं.’ उन्होंने कहा कि हालात के कारण बचाव और सहायता अभियान चलाना मुश्किल हो रहा है, सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों की सभी सड़कें या तो कट गई हैं या लगभग बह गई हैं.
इस बाढ़ ने 2005 में आए कैटरीना तूफान के प्रभावों की याद दिला दी, जब अमेरिका लुइसियाना में तूफान आया था और न्यू ऑरलियंस में तटबंध टूटने के बाद एक आपदा बन गया था, जिससे शहर के बड़े हिस्से जलमग्न हो गए थे.
इस बाढ़ ने यह भी रेखांकित किया है कि कैसे जलवायु परिवर्तन, राजनीतिक संघर्षों और आर्थिक विफलता के साथ मिलकर आपदाओं के पैमाने को बढ़ा सकता है.
लीबिया, राजधानी त्रिपोली स्थित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार और पूर्व में एक अलग प्रशासित क्षेत्र के बीच विभाजित है, जिसमें डर्ना शहर भी शामिल है – जहां मुख्य शक्ति लीबियाई राष्ट्रीय सेना और उसके कमांडर खलीफा हिफ्टर के पास है, जो लंबे समय से मिलिशिया नेता हैं.
इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप की वरिष्ठ लीबिया विश्लेषक क्लाउडिया गज़िनी ने कहा, ‘पिछले 10 वर्षों से लीबिया एक युद्ध से दूसरे युद्ध, एक राजनीतिक संकट से दूसरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. अनिवार्य रूप से इसका मतलब यह है कि पिछले 10 वर्षों से देश के बुनियादी ढांचे में वास्तव में बहुत अधिक निवेश नहीं हुआ है.’
देश विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और भयंकर तूफानों के प्रति भी संवेदनशील है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के कारण भूमध्यसागरीय जल का विस्तार हो रहा है और इसके समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, तटरेखाएं नष्ट हो रही हैं और बाढ़ का प्रभाव बढ़ रहा है, लीबिया के निचले तटीय क्षेत्र विशेष रूप से खतरे में हैं.
लीबिया ने मोअम्मर गद्दाफी के अधीन 42 वर्षों तक निरंकुश शासन को सहन किया है. 2011 में अरब स्प्रिंग के दौरान उनके शासन का अंत हुआ था.
अगले दशक में देश गृहयुद्ध से टूट गया, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई विदेशी खिलाड़ी शामिल हो गए. एक समय पर तुर्की ने त्रिपोली में एक अस्थायी सरकार का समर्थन किया, जबकि रूस, संयुक्त अरब अमीरात और मिस्र ने लीबिया के पूर्व जनरल हिफ्टर का समर्थन किया था.
आज देश त्रिपोली में स्थित पश्चिमी प्रशासन द्वारा शासित है, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री अब्दुल हामिद मोहम्मद दबीबाह करते हैं और ओसामा हमद के नेतृत्व में एक पूर्वी-आधारित प्राधिकरण है. दर्जनों सशस्त्र समूह प्रभावशाली बने हुए हैं, यह बात त्रिपोली में पिछले महीने हुई घातक झड़पों से और भी मजबूत हुई है. अफ्रीकी महाद्वीप पर सबसे बड़ा तेल और गैस भंडार होने के बावजूद देश आपदा से निपटने के लिए सक्षम नहीं था.