‘इंडिया’ गठबंधन ने आतंकी हमले में तीन जवानों की मौत के बीच पीएम मोदी के ‘जश्न’ की निंदा की

13 सितंबर को कश्मीर में हुए आतंकी हमले में 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष ढोंचक और जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं मुजामिल भट शहीद हो गए. इसी दिन भाजपा मुख्यालय में प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में हुए समारोह में उन पर फूल बरसाने की तस्वीरें सामने आईं.

13 सितंबर को भाजपा मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: ट्विटर/ भाजपा)

13 सितंबर को कश्मीर में हुए आतंकी हमले में 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष ढोंचक और जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं मुजामिल भट शहीद हो गए. इसी दिन भाजपा मुख्यालय में प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में हुए समारोह में उन पर फूल बरसाने की तस्वीरें सामने आईं.

13 सितंबर को भाजपा मुख्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो साभार: ट्विटर/ भाजपा)

नई दिल्ली: विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन ने जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले में सैन्यकर्मियों की शहादत के बीच जी-20 सम्मलेन की सफलता को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यालय में हुए समारोह में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है.

ज्ञात हो कि बुधवार (13 सितंबर) को दक्षिण कश्मीर के कोकरनाग में हुए आतंकी हमले में सेना की 19 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल मनप्रीत सिंह, जम्मू कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक (डीएसपी) हुमायूं मुजामिल भट और 19 राष्ट्रीय राइफल्स के मेजर आशीष ढोंचक शहीद हो गए.

उसी दिन, दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में नरेंद्र मोदी के भव्य स्वागत समारोह किया गया था, जहां बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता सफलतापूर्वक जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए प्रधानमंत्री को बधाई देने के लिए एकत्र हुए. मोदी ने भाजपा कार्यालय एक चक्कर लगाया था,  जिस दौरान उन पर फूल बरसाए गए थे. वे पार्टी कार्यकर्ताओं से मिले थे, जिन्होंने उन्हें जी-20 शिखर सम्मेलन की सफलता के लिए बधाई दी.

गुरुवार (14 सितंबर) को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस पूर्व सैनिक विभाग के अध्यक्ष कर्नल रोहित चौधरी ने घटना को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, ‘…जब हमारे साथी लड़ाई लड़ रहे थे और देश के लिए बलिदान दे रहे थे तब हमारे प्रधानमंत्री जी उस समय अपने ही लोगों द्वारा अपना महिमामंडन करवा रहे थे.  फूलों की बरसात हो रही थी, फूल मालाओं से उनका स्वागत हो रहा था…  और वहां हमारे साथी गोलियों से छलनी हो रहे थे.’

उन्होंने शहीदों के दुखी परिवारों और प्रधानमंत्री के कार्यालय पहुंचने का वीडियो दिखाते हुए कहा, ‘ये कैसे प्रधानमंत्री हैं, ये कैसी सरकार है जो खुद को देशभक्त कहती है, जो अपने सैनिकों की शहादत का सम्मान न करके, उनकी अवहेलना करके, असंवेदनशीलता दिखाते हुए पार्टी हेडक्वॉर्टर के अंदर फूलों की बारिश करवा रहे हैं. शर्म की बात है!’

उधर, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद साकेत गोखले ने भी भाजपा मुख्यालय में जश्न के समय पर सवाल उठाया और पूछा कि मोदी जश्न को एक दिन के लिए स्थगित क्यों नहीं कर सकते थे.

उन्होंने ट्विटर) पर एक बयान में लिखा, ‘बेहद चौंकाने वाली बात यह है कि पीएम मोदी ने भाजपा मुख्यालय में एक भव्य पार्टी के साथ ‘जी-20 के लिए खुद का जश्न मनाने’ का फैसला किया, जबकि इन बहादुरों की जान जा चुकी थी और इसकी खबर भी सामने आ गई थी. क्या मोदी अपने पीआर को सिर्फ एक दिन के लिए स्थगित नहीं कर सकते? क्या ऐसी की त्रासदी के वक्त भाजपा का जश्न मनाना और मोदी का महिमामंडन करना अनिवार्य था?’

13 सितंबर को भाजपा मुख्यालय पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फूल बरसाए गए. (फोटो साभार: ट्विटर/ भाजपा)

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने भी प्रधानमंत्री से इस बारे में सफाई मांगी कि उक्त समारोह को स्थगित क्यों नहीं किया गया.

उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री और भाजपाइयों को देश को यह बताना चाहिए कि ऐसा कौन-सा ऐसा महत्वपूर्ण ‘जश्न’ था जिसे हमारे सैन्य बलों के अधिकारियों एवं जवानों के सर्वस्व समर्पण के सम्मान में 2 दिनों के लिए टाला नहीं जा सकता था?’

उन्होंने जोड़ा, ‘पुलवामा के समय कहा गया कि देर से पता चला था लेकिन अनंतनाग के बारे में तो सुबह से पता था तब भी जश्न जारी रहा. क्या इसको एक-दो दिन आगे नहीं बढ़ाया जा सकता था?’

विपक्षी गठबंधन में शामिल आम आदमी पार्टी ने भी  प्रधानमंत्री को निशाने पर लिया. एक प्रेस वार्ता में पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा, ‘जहां एक तरफ शहीदों का जनाज़ा उठ रहा था, प्रधानमंत्री जश्न मना रहे थे… यह भारत के प्रधानमंत्री की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है.’

उन्होंने जोड़ा, ‘आपने (मोदी) वादा किया था कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद समाप्त करेंगे, पर कभी पुलवामा में हमारे 40 जवान शहीद हो जाते हैं, कभी हमारे जवानों के टेंट पर हमला होता है… पुलवामा के समय वे शूटिंग में व्यस्त थे. देश कोविड महामारी से जूझ रहा था, श्मशान, गंगा के घाट लाशों से भरे थे लेकिन प्रधानमंत्री बंगाल के चुनाव में व्यस्त थे…’

सिंह ने जोड़ा कि भारत सरकार को पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए.

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