भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने एक कार्यक्रम में कहा कि बुनियादी संरचना सिद्धांत संवैधानिक शासन और क़ानून के शासन को स्थिरता देते हैंं.
नई दिल्ली: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं हो सकती है कि बुनियादी संरचना सिद्धांत संवैधानिक शासन और कानून के शासन को स्थिरता देता है.
एनडीटीवी के मुताबिक, राम जेठमलानी स्मृति व्याख्यान के अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए पूर्व सीजेआई मिश्रा ने यह बात कही.
पूर्व सीजेआई ने कहा कि इसने मूल तौर पर न्यायाधीशों के लिए उनकी संवैधानिक व्याख्या को उचित दिशा में निर्देशित करने के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम किया है.
उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि संविधान की संघीय और धर्मनिरपेक्ष स्वभाव जैसी बुनियादी विशेषताओं को बदला नहीं जा सकता है.
इस बहस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि बुनियादी संरचना सिद्धांतों ने राष्ट्र की अच्छी सेवा की है, पूर्व सीजेआई ने राष्ट्र और इसके नागरिकों की संभावित स्थिति को लेकर कहा कि अगर अदालत ने 39वें और 42वें संशोधन को असंवैधानिक नहीं ठहराया होता तो क्या होता.
मिश्रा ने कहा कि यह कोई पहेली नहीं है और न ही रहस्यवाद के दायरे में है, बल्कि राष्ट्र की सेवा, रक्षा और बचाव के लिए है. उन्होंने कहा कि यह संविधान का मूल सार है और यह लगातार सबसे स्वाभाविक बना हुआ है.
इस बीच, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बुनियादी संरचना सिद्धांत पर अपनी राय व्यक्त नहीं करने का विकल्प चुना. हालांकि, सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह अपने फैसले के माध्यम से सिद्धांत के बारे में बात करेंगे, लेकिन यहां नहीं.