क्रिकेट के एशिया कप के सुपर-4 चरण में भारत-पाकिस्तान मैच में बारिश की आशंका के चलते मैच से ठीक पहले ‘रिज़र्व डे’ जोड़ा गया था. टूर्नामेंट में सिर्फ एक मैच के लिए ऐसा किए जाने पर सवाल उठाते हुए श्रीलंकाई टीम के पूर्व कप्तान अर्जुन रणातुंगा ने कहा कि एक टीम को दूसरों पर तरजीह देने से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट ख़तरे में पड़ जाएगा.
नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की भूमिका पर अब तक की सबसे तीखी टिप्पणी करते हुए श्रीलंका क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अर्जुन रणातुंगा ने मनमाने फैसले लेने वाले ‘एक बोर्ड या एक व्यक्ति’ (बीसीसीआई का जिक्र करते हुए) पर निशाना साधा है.
साथ ही उन्होंने एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) और अंतरराष्ट्रीय किक्रेट परिषद (आईसीसी) की भूमिका पर भी टिप्पणी की है.
गौरतलब है कि बीसीसीआई के सचिव जय शाह एसीसी के अध्यक्ष भी हैं.
ईएसपीएन क्रिकइंफो के मुताबिक, केवल भारत और पाकिस्तान के बीच एशिया कप सुपर-4 मैच के लिए एक रिजर्व जोड़ने के फैसले की आलोचना करते हुए ‘रणातुंगा ने कहा है कि एक टीम (भारत) को दूसरों के मुकाबले अधिक तरजीह देने से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खतरे में पड़ जाएगा.’
टूर्नामेंट शुरू होने के बाद एकमात्र मैच यही था जिसको यह सुविधा मिली, जबकि बारिश की संभावना अन्य मैच में भी बनी हुई थी.
पीटीआई ने बताया है कि पत्रकारों से बात करते हुए रणातुंगा ने कहा, ‘आप एशिया कप ले लीजिए. आपके पास टूर्नामेंट से पहले कुछ नियम होते हैं, लेकिन उस एक मैच से पहले उन्होंने नियम बदल दिए. एसीसी कहां है? आईसीसी कहां है? मैं इस बात से काफ़ी असहज हूं कि एक टूर्नामेंट में एक टीम के लिए नियम बदल दिए जाते हैं. इससे भविष्य में एक आपदा आती देख रहे हैं.’
रणातुंगा यहीं नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा, ‘अगर वे भारत-पाकिस्तान मैच (आगामी एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप में) से पहले नियम बदलते हैं तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा. आईसीसी अपना मुंह बंद रखेगा और कहेगा, ‘हां, कर लीजिए.’ आईसीसी सिर्फ बकवास करता है, होता कुछ नहीं है.’
ईएसपीएन क्रिकइन्फो की रिपोर्ट के अनुसार, ‘रणातुंगा ने कहा कि विश्व क्रिकेट को एक बोर्ड या एक व्यक्ति द्वारा शासित नहीं किया जाना चाहिए और अन्य बोर्डों को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना चाहिए.’
उन्होंने ‘पूर्व क्रिकेटरों’के लिए भी तीखे शब्द कहे, जिन्हें बीसीसीआई से मिलने वाले ‘पैसे’ की जरूरत होती है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे आईसीसी और एसीसी के लिए दुख होता है क्योंकि वे सिर्फ अपने पद पर बने रहना चाहते हैं. पूर्व क्रिकेटर भी जुबान नहीं खोलते, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने पैसों की जरूरत होती है.’
बता दें कि एशिया कप-2023 में (टूर्नामेंट के फाइनल के अलावा) केवल भारत बनाम पाकिस्तान मैच के लिए रिजर्व डे रखने के एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के फैसले की काफी आलोचना हुई है.
ईएसपीएन क्रिकइंफो के मुताबिक, रणातुंगा ने कहा, ‘मैं समझ नहीं पाता और देश ऐसा कैसे होने देते हैं? क्योंकि बीसीसीआई और एक व्यक्ति विशेष बहुत शक्तिशाली हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए था. ऐसा करना था तो हर मैच के लिए एक अतिरिक्त रिज़र्व डे होना चाहिए था.’
हिंदुस्तान टाइम्स ने बताया है कि ‘(रिजर्व डे) रखने का निर्णय महत्वपूर्ण साबित हुआ क्योंकि भारत ने रिजर्व डे पर रिकॉर्ड अंतर से मैच जीत लिया. यदि टूर्नामेंट के बीच में नियम में बदलाव नहीं होता तो भारत और पाकिस्तान ने उस मैच के लिए अंक साझा किए होते और क्योंकि भारत अपना आखिरी सुपर 4 मैच बांग्लादेश से हार गया, इसलिए पाकिस्तान के बजाय वह टूर्नामेंट से बाहर हो गया होता. बेशक, ये सभी काल्पनिक परिदृश्य हैं लेकिन इससे पता चलता है कि रिजर्व डे कितना महत्वपूर्ण था.’
बीसीसीआई के सचिव जय शाह भारत के गृहमंत्री अमित शाह के बेटे हैं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद भारत का एकमात्र अन्य शक्ति केंद्र माना जाता है.
जय शाह 30 साल की उम्र में बीसीसीआई के सचिव बने थे, जिस पर सवाल उठे थे. हाल ही में एक जांच के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कैलेंडर पर बीसीसीआई और शाह का कथित प्रभाव सवालों के घेरे में आ गया था. पत्रकार शारदा उग्र ने द कारवां पत्रिका में लिखा, ‘जहां बीसीसीआई का अहंकार पैसे के इर्द-गिर्द सिमटा हुआ है, वहीं इसे क्रॉस-पार्टी (अंतरदलीय) राजनीतिक संबंधों से भी लाभ हुआ है (बोर्ड में आमतौर पर पक्ष-विपक्ष दोनों के नेता शामिल होते हैं). हालांकि, अब जो चल रहा है वह कुछ अलग है.’
वह आगे लिखती हैं कि बीसीसीआई में पहली बार ऐसा देखा जा रहा है कि एक ही राजनीतिक दल यहां धीरे-धीरे मजबूत हो रहा है.
इससे पहले द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे भारत-पाकिस्तान तनाव और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट संस्थाओं पर बीसीसीआई का नियंत्रण देखा जा रहा है और यह जांच के दायरे में आ रहा है.