अयोध्या में बीते दिनों बड़े प्रचार के साथ सरयू नदी में शुरू की गई ‘क्रूज़’ सेवा जनता को लुभाने में नाकामयाब रही है. हफ्तेभर में ही कम लोगों के पहुंचने के बीच इसका किराया घटा दिया गया है. यात्रा कर चुके लोगों ने भी ‘क्रूज़’ के रंग-रोगन से लेकर इसमें दी जाने वाली सुविधाओं पर सवाल उठाए हैं.
बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का, जो चीरा तो इक कतरा-ए-खूं न निकला! अनेक अयोध्यावासियों को गत श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद से नवाब शुजाउद्दौला (1754-1775) के वक्त के फैजाबाद के बेहद मशहूर व मकबूल शायर ख्वाजा हैदर अली ‘आतिश’ का यह शे’र बरबस बार-बार याद आ रहा है.
दरअसल, इस बार की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, जो गत आठ सितंबर को संपन्न हुई, अयोध्यावासियों के लिहाज से इस मायने में बहुत खास थी कि उसी दिन उन्हें सरयू नदी में ‘अत्याधुनिक’ क्रूज सेवा की ‘रोमांचकारी’ सौगात मिलने वाली थी और मीडिया का बड़ा हिस्सा इसे रामभक्तों, श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए ‘नए तरह के अनुभव’ और ‘बड़ी खुशखबरी’ की तर्ज पर प्रचारित कर खासा हाइप दे रहा था.
चमत्कार यह कि वह एक ही सांस में इस सेवा को ‘दुबई की तर्ज पर’ और ‘काशी के बाद’ भी बता रहा था और ‘बेमिसाल’ भी.
दूसरी ओर जिस क्रूज का जलावतरण किया जाना था, उसे ‘जटायु’ नाम दिया गया था और दावा किया जा रहा था कि उस पर सैर कहें या सरयूविहार करने वालों का न सिर्फ भरपूर आतिथ्य सत्कार किया जाएगा, बल्कि उन्हें अयोध्या की पौराणिकता से भी रूबरू कराया जाएगा. खबरें छप रही थीं कि अयोध्या के जिला प्रशासन और अयोध्या क्रूज लाइंस के संयुक्त प्रयास से इस ‘विशेष क्रूज’ को दुबई में निर्मित कराकर लाया जा रहा है.
तीन सौ रुपये में इतनी चीजों का वादा!
इस बीच ‘जटायु’ सड़क मार्ग से अयोध्या पहुंचा तो उसका ‘भव्य स्वागत’ भी किया गया था- इस दावे के साथ कि उसमें एक साथ 100 लोगों के बैठने की व्यवस्था है और वह सरयू के नए घाट पर स्थित अपने स्टेशन से यात्रा शुरू कर पचास मिनट में नौ किलोमीटर दूर गुप्तार घाट, जहां कहा जाता है कि अपनी नर लीलाएं समाप्त करने के बाद भगवान राम अदृश्य हुए थे, तक जाएगा. गुप्तार घाट पर 20 मिनट के ठहराव के बाद वह नया घाट वापस लौटेगा और दो घंटों में कुल 18 किलोमीटर की दूरी तय करेगा.
इन दो घंटों में वह अपने सवारों को ‘पूर्वांचल के विभिन्न पकवान’, कोल्ड ड्रिंक व बिस्कुट वगैरह तो उपलब्ध कराएगा ही, उन्हें ऐसे गाइडों की सेवा भी देगा जो उन्हें सरयू के किनारे स्थित मंदिरों व घाटों की बाबत जानकारियां देते रहेंगे. उस पर कैप्टन और हवाई जहाजों की तर्ज पर होस्टेस भी तैनात होंगी.
यह भी बताया जा रहा था यह क्रूज दिन भर में जितने भी फेरे लगा सकेगा, लगाया करेगा. चूंकि उसमें दो इंजन लगे हैं, इसलिए सरयू में पानी की कमी के दिनों में भी उसका संचालन बाधित नहीं होगा और तीन-चार फीट गहरे पानी में भी उसे आसानी से चलाया जा सकेगा. अलबत्ता, उसमें यात्री नयाघाट के स्टेशन से ही चढ़ सकेंगे, गुप्तार घाट या किसी और जगह से नहीं. हां, उतर वे कहीं भी सकते हैं. इस यात्रा के लिए उन्हें किराये के तौर पर ‘महज’ 300 रुपये देने होंगे. ‘इतना कम किराया इसलिए रखा गया है ताकि ‘मध्यम वर्ग के लोग भी इसका आनंद ले सकें.’
तय कार्यक्रम के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शाम वैदिक मंत्रोच्चारों के बीच उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर इस क्रूज को जनता को समर्पित किया तो उन्होंने कहा था कि अयोध्या को ‘भव्य व अलौकिक’ बनाकर पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करना उनकी पहली प्राथमिकता है और जल्द ही एक और बड़ा सौर ऊर्जा से संचालित क्रूज सरयू में उतारा जाएगा, जिसके लिए प्रदेश के पर्यटन विभाग ने यूपीनेडा के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं.
उम्मीद से परे असलियत: न भव्य, न विराट, न नया
लेकिन जनता को समर्पित किए जाने से पहले ही ट्रायल रन में सरयू पर बने सड़क पुल के पिलर से टकराकर इस क्रूज ने ऐसी घटनाओं के सिलसिले की शुरुआत कर दी थी, जिससे लोगों को आतिश का उक्त शे’र याद आने लगे, जिसका शुरू में जिक्र कर आए हैं.
दरअसल, मीडिया हाइप के मद्देनजर अयोध्या के लोग ‘जटायु’ के जितना भव्य होने की उम्मीद लगा बैठे थे, वह आया तो उस लिहाज से उनकी आंखों को सुहाया नहीं. किसी को ‘मिनी क्रूज’ जैसा दिखा तो किसी को ‘डबल इंजन बोट’ जैसा. संत करपात्री जी महाराज ने तो ‘एक सरकारी नाव’ कहकर जैसे उसकी सारी हवा ही निकाल दी!
हद यह कि बहुत से लोगों को वह ‘नया’ भी नहीं लगा और वे कहने लगे कि किसी पुराने ढांचे का ही रंग-रोगन करके भेज दिया गया है. इस पर अयोध्या क्रूज लाइंस के प्रबंध निदेशक राहुल शर्मा ने सफाई दी कि रामायण थीम के आधार पर नया लुक देने के लिए उस पर दोबारा रंग-रोगन और अन्य ऊपरी काम किए गए हैं, जिससे वह कई लोगों को पुराना लग रहा है, लेकिन है नया ही. हां, उसके दो कंपाउंडों में 35-35 यानी कुल मिलाकर सत्तर यात्री ही बैठ सकते हैं, शेष को उसके टॉप यानी छत पर जाना होगा.
तिस पर जलावतरण के दो दिन भी नहीं बीते थे कि खबर आई कि कुछ सिरफिरों ने उसके संचालक दल के सदस्यों से धक्कामुक्की कर उन्हें उसका संचालन रोकने को धमकाया है. इतना ही नहीं, पायलट के केबिन से दो हजार रुपये, टैब, कैल्कुलेटर व कंपास वगैरह गायब कर दिए और इंजन ऑयल व डीजल की पाइप क्षतिग्रस्त कर दी है.
इसके बाद दावा किया गया कि ‘पुख्ता पुलिस सुरक्षा’ उपलब्ध करा दी गई है और जरूरत की जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं. इससे पहले दस सितंबर को सरयू घाट के पंडे-पुरोहितों ने जटायु के घाट पर खड़े होने से स्नानार्थियों को स्नान में हो रही असुविधा को लेकर आवाज उठाई थी और उसमें बिजली के कटिया कनेक्शन से अप्रिय घटना का अंदेशा जताया था.
‘हेलीकाॅप्टर से अयोध्या दर्शन’ जैसा हाल
इन असहज व बदमजगी पैदा करने वाली खबरों के बीच लोगों को आतिश का शे’र ही याद आकर रह जाता तो भी गनीमत थी. मगर जैसे ही खबर आई कि ‘जटायु’ को किराया देने वाले यात्री ही नहीं मिल रहे और उसमें जितनी सीटें उपलब्ध हैं, वे भी खाली रह जा रही हैं, लोगों को प्रदेश के पर्यटन विभाग द्वारा गत रामनवमी पर शुरू की गई पखवाड़े भर की हेलीकाॅप्टर से अयोध्या दर्शन की वह योजना की याद आने लगी, जो उड़ानों के लिए दर्शनार्थियों की कमी के कारण निर्धारित अवधि के चार दिन पहले ही औंधे मुंह गिर पड़ी थी.
हालांकि मीडिया, खासकर न्यूज चैनलों ने जैसे इस क्रूज का वैसे ही उक्त योजना का भरपूर प्रमोशन किया था.
उक्त योजना के तहत हर इच्छुक दर्शनार्थी से तीन हजार रुपये लेकर सुबह नौ बजे से शाम छह बजे के बीच सात मिनट में समूची अयोध्या का हवाई दर्शन कराया जाता था और पर्यटन विभाग को उम्मीद थी कि दर्शनार्थी इस उत्सुकता में उसके हेलीकाॅप्टर पर सवार होने के लिए उमड़ पड़ेंगे कि जानें आसमान से अयोध्या कैसी दिखती है. लेकिन वह 11 दिनों की उड़ानों के लिए भी पर्याप्त दर्शनार्थी नहीं जुटा सका था.
अयोध्या के आसपास के गरीब दर्शनार्थियों के लिए तो खैर सात मिनट के ‘गगन-विहार’ के लिए तीन हजार रुपये खर्च करना किसी हिमाकत से कम नहीं था, लेकिन देश के दूसरे भागों से आए अमीर श्रद्धालुओं ने भी उसमें रुचि नहीं ली थी.
बहरहाल ‘जटायु’ का हाल भी कुछ ऐसा ही है. न पर्यटक उसे उपकृत करने में रुचि ले रहे हैं और न स्थानीय लोग. इसलिए किराया तीन सौ से घटाकर ढाई सौ कर दिए जाने के बावजूद ये पंक्तियां लिखने तक वह प्रतिदिन तीन फेरे ही लगा पा रहा है. इन तीन फेरों में भी केवल शाम के फेरे में उसे अपनी क्षमता भर यात्री मिल पा रहे हैं. सुबह और दोपहर के फेरों में गिनती के यात्री ही होते हैं.
कोढ़ में खाज यह कि इन यात्रियों का अपनी पहली क्रूज यात्रा का अनुभव भी अच्छा नहीं है. वे बताते हैं कि किराये में पचास रुपये की रियायत वेलकम ड्रिंक और नाश्ते में कटौती की कीमत पर दी गई है, जिसे अब दस रुपये की एक ड्रिंक तक सीमित कर दिया गया है. इतना ही नहीं, यात्रियों को गुप्तार घाट तक ले जाने के बजाय भाटीबाबा के स्थान से ही लौटा लाया जा रहा है, जो नया घाट से महज दो-ढाई किलोमीटर दूर है.
नए-नवेले होने के दावों के विपरीत कभी क्रूज का एयर कंडीशनर खराब रहता है तो कभी कोई अटेंडेंट नहीं होता जो यात्रियों को बता सके कि उनकी सीट कौन-सी है.
यही नहीं, संत करपात्री महाराज ने अपनी एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि इस ‘सरकारी नाव’ के नीचे तक भगवान राम, जटायु और केवट आदि के चित्र लगे हैं, जिन पर यात्री जूते-चप्पल पहनकर टहल रहे हैं. दूसरी ओर सरयू में नावें चलाकर परंपरागत रूप से जीविका अर्जित करते आए स्थानीय मल्लाहों को आशंका है कि अभी तो यह शुरुआत है. जैसा कि पर्यटन मंत्री कह गए हैं, अभी सरयू में और क्रूज उतारे जाएंगे और यात्रियों की छीना-झपटी मचाकर उनकी रोजी-रोटी का जरिया छीन लेंगे. तब भला वे अपनी नावें कहां चलाएंगे?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.)