मणिपुर के इंफाल पश्चिम ज़िले में डिफेंस सर्विस कॉर्प्स के सैनिक सर्टो थांगथांग कोम का 16 सितंबर को उनके घर से अपहरण कर लिया गया था. कमेटी फॉर ट्राइबल यूनियन की ओर से कहा गया है कि ऐसे बर्बर कृत्य से पता चलता है कि कैसे सशस्त्र मेईतेई बदमाशों को इंफाल घाटी में बिना किसी हिचकिचाहट के आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी गई है.
नई दिल्ली: सिपाही सर्टो थांगथांग कोम (Serto Thangthang Kom) का मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले के तरुंग स्थित उनके घर से बीते शनिवार (16 सितंबर) की सुबह अपहरण कर लिया गया था. इसके अगले दिन 17 सितंबर को उनका शव इंफाल पूर्वी जिले में सड़क किनारे मिला.
तरुंग जिले के नेइकानलोंग क्षेत्र में है.
41 वर्षीय थांगथांग को लीमाखोंग सैन्य स्टेशन पर तैनात थे और वह छुट्टी पर थे, जब उनकी हत्या कर दी गई. वह 2018 में असम रेजिमेंट से सेवानिवृत्त हुए थे और साल 2019 में डिफेंस सर्विस कॉर्प्स में शामिल हो गए थे.
रक्षा मंत्रालय के कोहिमा और इंफाल डिवीजन के जनसंपर्क अधिकारी ने सोशल साइट एक्स (पूर्व नाम ट्विटर) पर अपने आधिकारिक हैंडल से मौत की सूचना देते हुए एक पोस्ट किया है.
An #IndianArmy soldier, Sep Serto Thangthang Kom (41), was abducted & later killed, by 3 unidentified miscreants, while on leave at Tarung, Happy Valley, #Imphal West. He was deployed at DSC Platoon, Leimakhong, #Manipur. He is survived by his wife & 2 children.@SpokespersonMoD pic.twitter.com/UYgDqhW51b
— PRO, Kohima & Imphal, Ministry of Defence (@prodefkohima) September 17, 2023
थांगथांग के परिवार का कहना है कि शनिवार (16 सितंबर) को तीन अज्ञात लोगों ने उनके घर का दरवाजा खटखटाया और बंदूक की नोक पर उन्हें एक सफेद कार में ले गए.
उस समय थांगथांग अपने सात साल के बेटे के साथ बरामदे में बैठे थे. बच्चे ने अपने पिता को अज्ञात लोगों द्वारा ले जाते हुए देखा.
द वायर से बात करते हुए थांगथांग के बड़े भाई रेवरेंड पाचुंग सर्टो लिटन ने कहा, ‘जब हमने उनका शव सड़क पर पड़ा देखा तो उनके सिर में एक गोली लगी थी.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह जानते हैं कि थांगथांग की हत्या किसने की होगी, लिटन ने कहा, ‘हम नहीं जानते कि यह किसने किया, लेकिन हमें घाटी के लोगों पर संदेह है.’
थांगथांग कोम समुदाय के सदस्य थे, जिससे मशहूर मुक्केबाज मैरी कोम संबंधित हैं. कोम समुदाय के एक सदस्य, जिनसे द वायर ने बात की और जिन्होंने गुमनाम रहने का अनुरोध किया, ने कहा, ‘हमने उसी दिन सुबह 11 बजे गोली चलने की आवाज सुनी, लेकिन हमें नहीं पता था कि यह थांग था.’
यह जानने के बाद कि थांगथांग का अपहरण कर लिया गया है, परिवार मदद के लिए इंफाल पश्चिम के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सहित कई पुलिस स्टेशनों के साथ-साथ प्रभावशाली सीओसीओएमआई (कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटिग्रिटी) सहित सभी नागरिक समाज संगठनों के पास पहुंचा.
थांगथांग के परिवार के सदस्यों और कोम समुदाय के अन्य लोगों ने बताया कि इंफाल पुलिस ने कथित तौर पर सफेद कार में उनके अपहरण के बाद आसपास के सभी इलाकों में तलाशी अभियान चलाए, लेकिन अंतत: उन्हें समय पर ढूंढने में विफल रही.
कमेटी फॉर ट्राइबल यूनियन (सीओटीयू) ने एक बयान में मांग की कि भारत सरकार इंफाल घाटी में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफस्पा) को फिर से लागू करे.
बयान में कहा गया है, ‘दिनदहाड़े किए गए ऐसे बर्बर कृत्य से पता चलता है कि कैसे सशस्त्र मेईतेई बदमाशों को इंफाल घाटी में बिना किसी हिचकिचाहट के आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए स्वतंत्र रूप से घूमने की इजाजत दी गई है. एक बार फिर यह साबित होता है कि मणिपुर अब लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार द्वारा संचालित राज्य नहीं है, बल्कि सांप्रदायिक सोच वाले निरंकुश शासकों द्वारा चलाया जाता है.’
आगे कहा गया, ‘चूंकि राज्य पुलिस इंफाल घाटी में अपने कर्तव्यों का पालन करने में विफल रही है, इसलिए सशस्त्र मेईतेइयों को निर्दोष लोगों के खिलाफ ऐसे अमानवीय कृत्यों को अंजाम देने से रोकने के लिए घाटी में आफस्पा को फिर से लागू करना भारत सरकार के लिए एकमात्र तरीका होगा.’
राज्य में 3 मई से शुरू हुई जातीय हिंसा में मारे गए लोगों में सीमा सुरक्षा बल के दो जवान और मणिपुर पुलिस के कई कर्मचारी भी शामिल हैं.
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