आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) को वित्त मंत्रालय ने सलाह दी है कि भविष्य में ब्याज दर की सिफ़ारिशों को उसके द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद ही सार्वजनिक किया जाए. यह आदेश ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड द्वारा वर्ष 2022-23 के लिए ब्याज दर में बढ़ोतरी की सिफ़ारिश करने के बाद जारी किया गया था.
नई दिल्ली: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) को कहा गया है कि वह वित्त मंत्रालय की पूर्व मंजूरी के बिना वित्त वर्ष 2023-24 से शुरू होने वाली ब्याज दर की सार्वजनिक रूप से घोषणा न करे.
यह जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्राप्त ईपीएफओ, वित्त मंत्रालय और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के बीच हुए आधिकारिक संचार से प्राप्त हुई है.
ईपीएफओ श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत आता है. यह अपने 6 करोड़ ग्राहकों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि और कर्मचारी पेंशन योजना का प्रबंधन करता है.
यह जुलाई की शुरुआत में वित्त मंत्रालय द्वारा श्रम मंत्रालय से साथ किए गए संचार में उठाए गए एक मुद्दे के बाद सामने आया, जिसमें ईपीएफओ के 197.22 करोड़ रुपये के घाटे में जाने की बात थी, जबकि इसके विपरीत वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इसका अनुमानित अधिशेष 449.34 करोड़ रुपये आंका गया था.
इसे ब्याज दर घोषणा तंत्र में हस्तक्षेप करने और संशोधित करने के एक कारण के रूप में उल्लिखित किया गया था. दरअसल, घाटे को चिह्नित करते हुए वित्त मंत्रालय ने यह भी सुझाव दिया कि उच्च ईपीएफ ब्याज दरों पर ध्यान देने की जरूरत है.
मंत्रालय ने कहा, ‘मौजूदा बाजार ब्याज दर और ईपीएफओ ब्याज दर के बीच व्यापक अनुरूपता सरकार के मौद्रिक नीति प्रसार के प्रयासों को मजबूत करती है.’
पिछले कुछ वर्षों में वित्त मंत्रालय ने ईपीएफओ द्वारा बरकरार रखी गई उच्च दर पर सवाल उठाया है और समग्र ब्याज दर परिदृश्य के अनुरूप इसे घटाकर 8 प्रतिशत से कम करने के लिए कहा है.
वर्तमान में वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (8.2 प्रतिशत) के लिए ब्याज दर को छोड़कर, अन्य सभी छोटी बचत योजनाओं पर ईपीएफओ द्वारा घोषित ब्याज दर से कम ब्याज दर है.
2016 में श्रम मंत्रालय द्वारा 8.80 प्रतिशत ब्याज दर की घोषणा के बाद वित्त मंत्रालय ने 2015-16 के लिए 8.70 प्रतिशत की कम ईपीएफ दर को मंजूरी दी थी.
ट्रेड यूनियनों के विरोध के बाद वित्त मंत्रालय 2015-16 के लिए 8.8 प्रतिशत ब्याज दर की प्रारंभिक घोषणा पर वापस लौट आया था. हालांकि, इस बार प्रक्रिया में ही भारी बदलाव किया जा रहा है.
इस साल मार्च में ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने 2022-23 के लिए अपने 6 करोड़ से अधिक ग्राहकों के लिए 8.15 प्रतिशत की ब्याज दर की सिफारिश की, जो पिछले वर्ष के 8.1 प्रतिशत से मामूली अधिक है.
बोर्ड श्रम और रोजगार मंत्री की अध्यक्षता में एक वैधानिक निकाय है, जिसमें एक उपाध्यक्ष; केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त; केंद्र सरकार के पांच प्रतिनिधि; 15 राज्य सरकार के प्रतिनिधि; 10 नियोक्ताओं के प्रतिनिधि और 10 कर्मचारियों के प्रतिनिधि होते हैं.
2022-23 के लिए ईपीएफ ब्याज दर में बढ़ोतरी सेवानिवृत्ति निधि निकाय के 2021-22 में घाटे में जाने के बावजूद हुई थी. केंद्रीय न्यासी बोर्ड बैठक के बाद मार्च में श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था कि वित्त वर्ष 2013 के लिए 8.15 प्रतिशत भुगतान के बाद ईपीएफ के पास 663.91 करोड़ रुपये का अधिशेष बचे होने का अनुमान है.
श्रम और रोजगार सचिव आरती आहूजा द्वारा बीते 3 जुलाई को आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ को लिखे पत्र में 2022-23 के लिए ब्याज दर प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेजा गया था.
इसमें कहा गया था कि वित्त वर्ष 2022-23 में सदस्यों के खातों को अपडेट करने के लिए कुल 90,695.29 करोड़ रुपये उपलब्ध थे और पिछले वर्ष 2021-22 के 197.72 करोड़ रुपये के घाटे को घटाने के बाद 2022-23 के लिए 90,497.57 करोड़ रुपये की शुद्ध आय वितरण के लिए उपलब्ध है.
अपने पत्र में इन गणनाओं को साझा करते हुए उन्होंने डीईए सचिव को बताया कि 2022-23 के लिए 663.91 करोड़ रुपये का अधिशेष अनुमानित है और ‘इसलिए (मैं) आपसे 2022-23 के लिए ईपीएफ सब्सक्राइबर्स को 8.15 फीसदी ब्याज दर पर सहमति प्रदान करने का अनुरोध करती हूं.’
10 दिन बाद 13 जुलाई को वित्त मंत्रालय के तहत आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए) ने ब्याज दर को मंजूरी दे दी, लेकिन एक कार्यालयीन ज्ञापन में यह भी रेखांकित किया, ‘ईपीएफ योजना के पैरा 60(1) में संचित निधि पर ब्याज दर केंद्रीय न्यासी बोर्ड, ईपीएफओ के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित करने की जरूरत होती है, इसलिए ईपीएफओ को सलाह दी जाती है कि भविष्य में केंद्रीय न्यासी बोर्ड की ब्याज दर सिफारिशों को वित्त मंत्रालय द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद ही सार्वजनिक किया जाए.’
वित्त मंत्रालय ने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 8.1 फीसदी ब्याज दर की सिफारिश करते हुए ईपीएफओ ने 449.34 करोड़ रुपये के अधिशेष का अनुमान लगाया था, लेकिन वास्तव में 197.72 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.
पांच दिन बाद 18 जुलाई को श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने ईपीएफओ को एक पत्र लिखकर मंजूरी देने के साथ-साथ भविष्य के लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी.
वित्त मंत्रालय की बात दोहराते हुए इसने घाटे के मुद्दे का भी जिक्र किया और कहा, ‘ईपीएफओ को सलाह दी जाती है कि भविष्य में केंद्रीय न्यासी बोर्ड की ब्याज दर की सिफारिशों को वित्त मंत्रालय द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद ही सार्वजनिक किया जा सकता है, इसलिए ईपीएफओ से अनुरोध है कि वह वित्त मंत्रालय द्वारा निर्देशित गाइडलाइन का पालन करे, जिसके पास वित्त मंत्री की मंजूरी होती है.’
इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है कि उसे वित्त मंत्रालय, श्रम एवं रोजगार सचिव और ईपीएफओ को उसके द्वारा भेजे गए प्रश्नों का कोई जवाब नहीं मिला.
मानदंडों के अनुसार, ईपीएफओ का बोर्ड ब्याज दर की सिफारिश करने के लिए आधा वर्ष (पहले नवंबर और हाल के वर्षों में फरवरी/मार्च) बीतने के बाद एक बैठक आयोजित करता है, जिसके बाद ब्याज दर घोषित की जाती है. बोर्ड की सिफारिश वित्त मंत्रालय को मंजूरी के लिए भेजी जाती है.