एक कार्यक्रम के दौरान बिहार के शिक्षा मंत्री और राजद नेता चंद्रशेखर ने कहा कि वह रामचरितमानस में शामिल ‘जातिवादी संदर्भों’ का विरोध करना जारी रखेंगे. बीते साल भी उन्होंने कहा था कि मनुस्मृति, रामचरितमानस और एमएस गोलवलकर द्वारा लिखित ‘अ बंच ऑफ थॉट्स’ ‘विभाजनकारी ग्रंथ’ हैं.
नई दिल्ली: बिहार के शिक्षा मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर ने एक बार फिर रामचरितमानस की आलोचना करके विवाद पैदा कर दिया है. उन्होंने इसकी तुलना अत्यधिक जहरीले रासायनिक पोटैशियम साइनाइड से की है और कहा है कि वह इसमें शामिल ‘जातिवादी संदर्भों’ का विरोध करना जारी रखेंगे.
भाजपा ने रामचरितमानस पर शिक्षा मंत्री के ताजा हमले को ‘जातिगत भेदभाव को तेज करने और सामाजिक खाई पैदा करने का एक निरंतर प्रयास’ कहा. सत्तारूढ़ महागठबंधन में राजद के सहयोगी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) ने भी ‘शासन के एजेंडे’ के रास्ते से भटकने के लिए मंत्री पर हमला किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बीते शुक्रवार (15 सितंबर) को हिंदी दिवस के अवसर पर पटना स्थित हिंदी ग्रंथ अकादमी में बोलते हुए चंद्रशेखर ने कहा, ‘रामचरितमानस पर मेरी टिप्पणियों के लिए मुझे अक्सर निशाना बनाया जाता है, लेकिन मैं इस पर हमला जारी रखूंगा, क्योंकि इसमें पोटैशियम साइनाइड होता है. मैं इसमें शामिल बहुत सारे जातिवादी संदर्भों से हैरान हूं.’
चंद्रशेखर ने रामचरितमानस के एक दोहे पर प्रकाश डाला, ‘पूजहि बिप्र सकल गुणहिना, शूद्र न पूजहु वेद प्रवीणा (बिना किसी गुण वाले ब्राह्मण की पूजा की जा सकती है, लेकिन वेदों का ज्ञान रखने वाले शूद्र की पूजा नहीं की जा सकती)’.
उन्होंने कहा, ‘जब मैंने ‘सुंदर कांड’ में इसी तरह के जातिवादी संदर्भों को निशाना बनाया था, तो कुछ हलकों से मेरी जीभ काटने के लिए 10 करोड़ रुपये का पुरस्कार देने की पेशकश की गई थी. मैं सोच रहा हूं कि फिर मेरी गर्दन का मूल्य क्या होना चाहिए.’
राजद ने न तो शिक्षा मंत्री का पूरा समर्थन किया और न ही उनकी टिप्पणियों से खुद को अलग किया है. पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने कहा, ‘हालांकि सामाजिक भेदभाव के संबंध में कुछ चीजों पर चर्चा की जरूरत है, लेकिन शिक्षा मंत्री को कठोर शब्दों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. हम केवल विकास की राजनीति से जुड़े हैं.’
मधेपुरा का प्रतिनिधित्व करने वाले चंद्रशेखर ने पिछले साल पटना में नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में भी रामचरित मानस को निशाना बनाया था.
उन्होंने कहा था कि 16वीं सदी के भक्ति कवि तुलसीदास द्वारा लिखित रामचरितमानस ‘समाज में नफरत फैलाता है’.
उन्होंने कहा था, ‘मनुस्मृति, रामचरितमानस और एमएस गोलवलकर द्वारा लिखित अ बंच ऑफ थॉट्स ‘विभाजनकारी ग्रंथ’ हैं और बीआर आंबेडकर मनुस्मृति का विरोध करने के मामले में सही थे.’
इस बीच वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने रामचरितमानस को लेकर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की ताजा टिप्पणियों की आलोचना की है.
उन्होंने कहा, सबसे बड़ा पोटैशियम साइनाइड तुष्टिकरण की राजनीति तथा अपराध और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति है. सनातन धर्म और रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी एक बीमार मानसिकता को दर्शाती है.
उन्होंने शिक्षा मंत्री को ‘रामचरितमानस की व्याख्या करने और समझाने के लिए एक अच्छे शिक्षक’ को नियुक्त करने की भी सलाह दी.
भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने कहा, ‘वह अपनी टिप्पणियों से जातिगत भेदभाव को तेज करने और सामाजिक दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. उनके जैसे नेता इस प्रक्रिया में भगवान राम और भगवान कृष्ण पर भी हमला कर रहे हैं.’
आनंद ने कहा कि ऐसा लगता है कि चंद्रशेखर को राजद नेतृत्व का मौन समर्थन प्राप्त है.
इस बीच, जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘शिक्षा मंत्री ने जो कहा वह महागठबंधन के मूल शासन एजेंडे के खिलाफ है. वह (विपक्ष के) इंडिया गठबंधन की मूल भावना के खिलाफ भी जा रहे हैं, जो संविधान में निहित चीजों की रक्षा करने की बात करता है.’