रांची स्थित हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन के इंजीनियरों सहित 100 से अधिक कर्मचारी 18 महीने से वेतन न मिलने के विरोध में 21 सितंबर को दिल्ली में प्रदर्शन करेंगे. कॉरपोरेशन के कर्मचारियों और इंजीनियरों ने दावा किया कि उन्होंने इसरो के दूसरे लॉन्चिंग पैड के कई हिस्सों का निर्माण किया है, जिसका इस्तेमाल चंद्रयान-3 के लिए किया गया था.
नई दिल्ली: झारखंड की राजधानी रांची स्थित सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी (पीएसयू) हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) के इंजीनियरों सहित 100 से अधिक कर्मचारी 18 महीने से वेतन न मिलने के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं.
21 सितंबर को प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए ये कर्मचारी चंद्रयान-3 की कट-आउट प्रतिकृतियों के साथ दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एचईसी मजदूर यूनियन के अध्यक्ष भवन सिंह बीते मंगलवार 19 सितंबर को रांची से ट्रेन से दिल्ली रवाना हुए. उन्होंने कहा, ‘हम अलग-अलग ट्रेनों से दिल्ली पहुंच रहे हैं. 21 सितंबर को प्रदर्शन के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर जुटेंगे. हम जनता को दिखाने और केंद्र को इसरो के हालिया चंद्रयान मिशन में हमारे योगदान की याद दिलाने के लिए चंद्रयान-3 की कट-आउट प्रतिकृतियां भी ले जा रहे हैं. हमें 18 महीने से वेतन नहीं दिया गया है.’
एचईसी के कर्मचारियों और इंजीनियरों ने दावा किया कि उन्होंने इसरो के दूसरे लॉन्चिंग पैड के कई हिस्सों का निर्माण किया है, जिसका इस्तेमाल चंद्रयान-3 के लिए किया गया था.
एचईसी के इंजीनियरों ने 400/60 ईओटी (इलेक्ट्रिक ओवरहेड ट्रैवलिंग) क्रेन, 200/30टी ईओटी क्रेन, 10 टन हैमरहेड टावर क्रेन, एफसीवीआरपी (फोल्डिंग कम वर्टिकल रिपोजिशनेबल प्लेटफॉर्म), क्षैतिज स्लाइडिंग दरवाजा और इसरो के मोबाइल लॉन्चिंग पेडस्टल का निर्माण किया था.
सिंह ने यह भी बताया कि विभिन्न दलों के कई सांसदों ने उनके मुद्दे के प्रति एकजुटता व्यक्त की है और वे जंतर-मंतर रोड पर धरने में शामिल होंगे.
सिंह ने कहा, ‘हमारे कुछ सदस्य पहले ही दिल्ली पहुंच चुके हैं और सांसदों और अन्य नेताओं से संपर्क कर रहे हैं, ताकि वे हमारे प्रदर्शन में शामिल हों. हमें झारखंड के भाजपा और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी सांसदों से कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि उनमें केंद्र सरकार के सामने आवाज उठाने की हिम्मत नहीं है. हमने केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री से भी मिलने का समय मांगा है.’
झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से 11 पर भाजपा और एक पर उसकी सहयोगी आजसू का प्रतिनिधित्व है. राज्य से कांग्रेस और झामुमो के एक-एक लोकसभा सदस्य हैं.
सिंह ने यह भी कहा कि केरल से सीपीएम सांसद एलामारम करीम पूरे दिन प्रदर्शन में मौजूद रहने के लिए सहमत हुए हैं.
सिंह ने कहा, ‘सीपीएम सांसद ने इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री महेंद्र नाथ पांडे को पत्र लिखकर 2,800 कर्मचारियों की दुर्दशा को उजागर किया था, जो वेतन न मिलने के कारण भुखमरी के कगार पर हैं. हमें उम्मीद है कि अन्य दलों के सांसद भी धरने में शामिल होंगे.’
झारखंड में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं ने पिछले हफ्ते रांची के राजभवन के पास एक आंदोलन किया था और राज्यपाल के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित एक पत्र सौंपा था, जिसमें एचईसी के आधुनिकीकरण और पुनरुद्धार और इसके कर्मचारियों और अधिकारियों के लंबित वेतन को मंजूरी देने का अनुरोध किया गया था.
प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्हें चंद्रयान-3 और इसरो के आदित्य एल-1 सौर परियोजना में एचईसी के योगदान की याद दिलाई गई और कहा गया कि एचईसी ने आदित्य परियोजना के लिए भी लॉन्चपैड बनाया था.
इसमें कहा गया था, ‘बहुत सारे ऑर्डर मिलने के बावजूद एचईसी आज मरणासन्न स्थिति में है, क्योंकि कोई आधुनिकीकरण नहीं हुआ है. बैंक गारंटी बंद होने, कार्यशील पूंजी उपलब्ध नहीं होने के कारण एचईसी ऑर्डर पूरा करने में असमर्थ है. एचईसी कर्मचारियों का वेतन भी पिछले 18 महीनों से बकाया है.’
मालूम हो कि कि बीते जुलाई महीने में भी चंद्रयान-3 के सफल प्रक्षेपण के ठीक बाद हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (एचईसी) के इंजीनियरों को वेतन न दिए जाने का मुद्दा उठाया था. रांची के धुर्वा इलाके में स्थित एचईसी भारी उद्योग मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है.
फ्रंटलाइन ने मई माह में अपनी रिपोर्ट में बताया था कि करीब 2,700 कर्मचारियों और 450 अधिकारियों को पिछले 14 महीनों से वेतन नहीं मिला है.
इससे पहले नवंबर 2022 में समाचार एजेंसी आईएएनएस ने खबर दी थी कि कंपनी के अधिकारियों को पूरे साल और कर्मचारियों को आठ-नौ महीने से वेतन नहीं मिला है.
इसमें कहा गया था कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, रक्षा मंत्रालय, रेलवे, कोल इंडिया और इस्पात क्षेत्र से 1,500 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिलने के बावजूद 80 फीसदी काम धन की कमी के कारण लंबित है.