अल्यसंख्यक आयोग से ईसाई प्रतिनिधियों ने कहा- ‘जबरन’ धर्मांतरण के लिए निशाना बनाया जा रहा है

ईसाई समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात कर विभिन्न राज्यों में पुलिस द्वारा समुदाय के सदस्यों पर जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप लगाए जाने पर भी नाराज़गी व्यक्त की. प्रतिनिधियों ने अपनी प्रमुख चिंताओं में मणिपुर में चर्चों पर हमलों का मुद्दा उठाया.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: M./Unsplash)

ईसाई समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष से मुलाकात कर विभिन्न राज्यों में पुलिस द्वारा समुदाय के सदस्यों पर जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप लगाए जाने पर भी नाराज़गी व्यक्त की. प्रतिनिधियों ने अपनी प्रमुख चिंताओं में मणिपुर में चर्चों पर हमलों का मुद्दा उठाया.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Pixabay)

नई दिल्ली: ईसाई समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने बीते गुरुवार (21 सितंबर) को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा से मुलाकात की और जबरन धर्म परिवर्तन के झूठे आरोपों, मणिपुर में चर्चों पर हमले के साथ-साथ समुदाय की अन्य प्रासंगिक चिंताओं से संबंधित अपनी शिकायतें साझा की.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, ईसाई समुदाय के प्रतिनिधिमंडल में एसी. माइकल, फेडरेशन ऑफ कैथोलिक एसोसिएशन ऑफ आर्चडायसिस ऑफ दिल्ली के अध्यक्ष और यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के राष्ट्रीय समन्वयक माइकल विलियम्स, सिजू थॉमस, जॉन दयाल और तहमीना अरोड़ा शामिल थे.

समुदाय के प्रतिनिधियों ने अपनी प्रमुख चिंताओं में मणिपुर में चर्चों पर हमलों के बारे में बताया. उन्होंने विभिन्न राज्यों में पुलिस द्वारा समुदाय के सदस्यों पर जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप लगाए जाने पर भी नाराजगी व्यक्त की.

उन्होंने ईसाई संस्थानों पर हाल के और लगातार हमलों और चर्चों को बंद करने की ओर भी इशारा किया. प्रतिनिधिमंडल ने कहा, ‘भारत में ईसाइयों के खिलाफ सांप्रदायिक हमलों पर बहुत कम डेटा उपलब्ध है.’

उनकी शिकायतों का जवाब देते हुए लालपुरा ने कहा कि भारत के अल्पसंख्यक समुदायों के नागरिकों के पास वे सभी अधिकार हैं, जो बहुसंख्यक समुदाय को उपलब्ध हैं, जिसमें उनके धर्म का पालन करने का अधिकार भी शामिल है.

उन्होंने कहा, ‘हमें अपने खिलाफ किसी भी तरह के भेदभाव के प्रति सतर्क रहना होगा. हम यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हम आपका समर्थन करेंगे और प्राथमिकता के आधार पर आपके मुद्दों का समाधान करेंगे. आपके द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन की उचित जांच की जाएगी.’

आयोग ने प्रतिनिधिमंडल को अपनी शिकायतों के मामले तत्काल निवारण के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को सौंपने की सिफारिश की. आयोग ने सलाह जारी करने और संबंधित अधिकारियों से रिपोर्ट मांगकर कार्रवाई का आश्वासन दिया. यह भी निर्णय लिया गया कि आयोग मासिक आधार पर ईसाई और अन्य सभी अल्पसंख्यक समुदायों के साथ बैठकें करेगा.

मालूम हो कि ईसाई मुद्दों पर सक्रिय दिल्ली के सिविल सोसायटी संगठन ‘यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम’ ने बीते 7 सितंबर को एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि मौजूदा वर्ष 2023 के पहले 8 महीनों में भारत में ईसाइयों के खिलाफ 525 हमले हुए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो यह भारत में ईसाई समुदाय के लिए अब तक का सबसे कठिन और हिंसक वर्ष साबित होगा और वर्ष 2021 एवं 2022 के रिकॉर्ड को तोड़ देगा.

इसके अनुसार, 2012 से 2022 के बीच 11 वर्षों में दर्ज की गईं घटनाओं (ईसाइयों के खिलाफ हमला) की संख्या चार गुना बढ़ गई है. पहली बड़ी वृद्धि 2016 में देखी गई, जब 247 घटनाएं सामने आई थीं. अगले कुछ वर्षों में यह संख्या बढ़ती रही. अगला उछाल 2021 में आया, जब 505 घटनाएं दर्ज की गईं. 2022 में ये बढ़कर 599 हो गईं.

बीते अप्रैल में फेडरेशन ऑफ कैथोलिक एसोसिएशन ऑफ आर्चडायसिस ऑफ दिल्ली (एफसीएएडी) के अध्यक्ष और यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के राष्ट्रीय समन्वयक एसी माइकल ने दोनों समूहों की ओर से भारत में ईसाइयों द्वारा सामना किए जा रहे गंभीर मुद्दों और भेदभाव के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. इसमें धर्मांतरण विरोधी कानून, अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों पर हमले और दलित ईसाइयों को आरक्षण लाभ से वंचित करने के मुद्दे उठाए गए थे.