सनातन धर्म पर टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार, उदयनिधि स्टालिन को नोटिस भेजा

बीते दिनों तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ द्वारा आयोजित 'सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन' में उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म डेंगू, मलेरिया की तरह है, जिसे ख़त्म करने की ज़रूरत है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में टिप्पणियों और उक्त सम्मेलन की सीबीआई जांच की मांग की गई है.

उदयनिधि स्टालिन. (फोटो साभार: फेसबुक)

बीते दिनों तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ द्वारा आयोजित ‘सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन’ में उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म डेंगू, मलेरिया की तरह है, जिसे ख़त्म करने की ज़रूरत है. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में टिप्पणियों और उक्त सम्मेलन की सीबीआई जांच की मांग की गई है.

उदयनिधि स्टालिन. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (22 सितंबर) को सनातन धर्म पर उनकी टिप्पणी के खिलाफ दायर याचिका के जवाब में तमिलनाडु सरकार और उदयनिधि स्टालिन को नोटिस जारी किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की पीठ के समक्ष दायर याचिका में टिप्पणियों और उस सम्मेलन की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग की गई, जहां उदयनिधि ने टिप्पणी की थी.

याचिकाकर्ता बी.जगन्नाथ ने अदालत से आग्रह किया कि पुलिस को उदयनिधि और चेन्नई में 2 सितंबर को तमिलनाडु प्रगतिशील लेखक और कलाकार संघ द्वारा आयोजित ‘सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन’ के आयोजकों के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज करने का निर्देश जारी किया जाए.

द हिंदू के अनुसार, याचिकाकर्ता ने कहा कि सीबीआई जांच से ऐसे संगठनों के लिए राशि देने के जिम्मेदार स्रोतों का पता चलेगा और पता चल सकेगा कि क्या सीमापार से होने वाली किसी टेरर फंडिंग का कोई तत्व शामिल है.

याचिकाकर्ता ने कहा, ‘सम्मेलन विशेष रूप से हिंदू धर्म (जिसे सनातन धर्म भी कहा जाता है) को निशाना बनाने और सनातन धर्म के प्रति दुर्व्यवहार करने, अपमानित करने, अपमानजनक भाषा में बात करने और नफरत फैलाने के लिए आयोजित किया गया था… ये कृत्य पहली बार स्टालिनवादी रूस में गुलाग के निर्माण के लिए देखे गए थे.’

अदालत से यह भी कहा गया कि वह तमिलनाडु पुलिस को एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दे कि ऐसे सम्मेलन की अनुमति क्यों दी गई और आयोजकों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई.

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, दलील सुनने के बाद अदालत ने नोटिस जारी किया लेकिन स्पष्ट किया कि याचिका को शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित अन्य हेट स्पीच मामलों के साथ नहीं जोड़ा जाएगा.

उल्लेखनीय है कि बीते 2 सितंबर को सम्मेलन में तमिलनाडु कैबिनेट में मंत्री उदयनिधि  ने कहा कि सनातन धर्म डेंगू और मलेरिया की तरह है, जिसे खत्म करने की जरूरत है. इसे लेकर हिंदुत्व समूहों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया हुई. टिप्पणियों के बाद उन्हें जान से मारने की धमकी भी मिली है. विशेष रूप से अयोध्या के संत परमहंस आचार्य ने उनका सिर काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा की है.

इस प्रतिक्रिया से अप्रभावित उदयनिधि ने सनातन धर्म पर अपना हमला तेज़ किया है. बीते गुरुवार (21 सितंबर) को मदुरै में हुए एक कार्यक्रम में उन्होंने जानना चाहा कि क्या नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए एक विधवा और आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित न करना सनातन धर्म द्वारा निर्धारित किया गया था.

उदयनिधि ने इशारे से पूछा, ‘नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया. उन्होंने (भारतीय जनता पार्टी) उद्घाटन के लिए तमिलनाडु से अधिनमों को बुलाया, लेकिन भारत के राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया गया क्योंकि वे एक विधवा हैं और आदिवासी समुदाय से हैं. क्या यही सनातन धर्म है?’

ज्ञात हो कि नए संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति मुर्मू को आमंत्रित नहीं किया गया था. उदयनिधि ने यह भी जोड़ा कि कुछ ‘हिंदी फिल्म अभिनेत्रियों’ को नई संसद में आमंत्रित किया गया था. उनका इशारा कंगना रनौत और ईशा गुप्ता की तरफ था, जिन्होंने बुधवार (20 सितंबर) को विशेष सत्र के दौरान संसद का दौरा किया था.