ट्रूडो के आरोपों के पीछे फाइव आइज़ साझेदारों द्वारा दी खुफ़िया जानकारी थी: अमेरिकी राजदूत

'फाइव आइज़' एक इंटेलिजेंस नेटवर्क है जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं. कनाडा में अमेरिका के राजदूत डेविड कोहेन ने कहा है कि नेटवर्क साझेदारों के बीच साझा ख़ुफ़िया जानकारी ने ही प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को भारत सरकार के ख़िलाफ़ आरोप लगाने के लिए प्रेरित किया था.

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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के मौके पर एक बैठक की थी. (फोटो साभार: ट्विटर)

‘फाइव आइज़’ एक इंटेलिजेंस नेटवर्क है जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं. कनाडा में अमेरिका के राजदूत डेविड कोहेन ने कहा है कि नेटवर्क साझेदारों के बीच साझा ख़ुफ़िया जानकारी ने ही प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को भारत सरकार के ख़िलाफ़ आरोप लगाने के लिए प्रेरित किया था.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के मौके पर एक बैठक की थी. (फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: कनाडा में अमेरिका के राजदूत डेविड कोहेन ने कहा है कि ‘फाइव आइज साझेदारों के बीच’ साझा खुफिया जानकारी ने ही कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को भारत सरकार के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर सनसनीखेज आरोप लगाने के लिए प्रेरित किया.

ट्रूडो ने बीते दिनों आरोप लगाया था कि कनाडा में सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों का हाथ था.

‘फाइव आइज़’ नेटवर्क एक खुफिया गठबंधन है जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड शामिल हैं. यह निगरानी-आधारित और सिग्नल इंटेलिजेंस (एसआईजीआईएनटी) दोनों है.

कनाडाई समाचार चैनल सीटीवी न्यूज को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कोहेन ने कहा, ‘फाइव आइज भागीदारों के बीच साझा खुफिया जानकारी थी जिसने कनाडा को प्रधानमंत्री के माध्यम से दिए गए बयान को देने में मदद की.’

उन्होंने यह भी कहा कि ट्रूडो के आरोपों के संबंध में ओटावा और वाशिंगटन के बीच ‘काफी संवाद’ हुआ.

अमेरिकी राजदूत की टिप्पणी सीबीसी न्यूज की उस रिपोर्ट के बाद आई है जिसमे बताया गया था कि कनाडा को कुछ सबूत ‘फाइव आइज़ खुफिया गठबंधन में शामिल एक अनाम सहयोगी द्वारा प्रदान किए गए थे.’

कनाडाई ब्रॉडकास्टिंग डिवीजन की समाचार डिवीजन ने सरकारी स्रोतों के हवाले से बताया था कि ओटावा के पास कनाडा में तैनात भारतीय राजनयिकों समेत भारतीय अधिकारियों को हरदीप सिंह निज्जर की मौत से जोड़ने वाली मानवीय और सिग्नल संबंधी खुफिया जानकारी है.

ओटावा ने कई हफ्तों पहले भारत के साथ ‘प्रमाणिक आरोप’ साझा किए थे- ट्रूडो

इससे पहले शुक्रवार को कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि ओटावा ने कई हफ्तों पहले भारत के साथ ‘प्रमाणिक आरोप’ साझा किए थे. हालांकि, भारत विदेश मंत्रालय के अपने पहले के बयान पर कायम है कि कनाडा द्वारा ‘कोई विशेष जानकारी’ साझा नहीं की गई थी.

ट्रूडो ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा, ‘कनाडा ने अपने विश्वसनीय आरोप- जिनके बारे में सोमवार को बात की थी- भारत के साथ साझा किए थे.’

कोहेन की टिप्पणी अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा भारत से कनाडा की जांच में ‘सहयोग’ करने का आह्वान करने के बाद आई है.

ब्लिंकन ने कहा था कि वाशिंगटन ‘अंतरराष्ट्रीय दमन की किसी भी घटना के प्रति सतर्क है.’ उन्होंने यह भी कहा था कि अमेरिका इस कूटनीतिक विवाद पर कनाडा के साथ न केवल ‘परामर्श’ कर रहा है, बल्कि ‘समन्वय’ भी कर रहा है.

ब्लिंकन की टिप्पणी से पहले अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवान ने कहा था कि किसी भी देश को ऐसी गतिविधियों के लिए ‘खास छूट‘ नहीं मिल सकती. उन्होंने भारत से जांच में शामिल होने का भी आग्रह किया था.

उन्होंने वाशिंगटन पोस्ट की उस रिपोर्ट का भी खंडन किया था जिसमें कहा गया था कि ट्रूडो द्वारा भारत के खिलाफ सार्वजनिक रूप से आरोप लगाने से कुछ हफ्ते पहले कनाडा ने अमेरिका सहित अपने निकटतम सहयोगियों से संपर्क किया था और उनसे अपने नागरिक की हत्या की खुले तौर पर निंदा करने के लिए संयुक्त बयान जारी करने के लिए कहा था.

कोहेन ने कहा, ‘बहुत स्पष्ट रूप से, मैं यह कहूंगा कि मुझे निजी कूटनीतिक बातचीत पर टिप्पणी करने की आदत नहीं है- और आप मुझे अच्छी तरह से जानते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘देखिए, मैं कहूंगा कि यह साझा ख़ुफ़िया जानकारी का मामला था. कनाडा और अमेरिका के बीच इस बारे में काफी बातचीत हुई थी.’

यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों पर कनाडा का पक्ष लेने में जो बाइडेन प्रशासन में कोई झिझक है, कोहेन ने कहा, ‘अमेरिका इन आरोपों को बहुत गंभीरता से लेता है. और आप जानते हैं कि यदि यह सच साबित होते हैं, तो यह संभावित रूप से नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का बहुत गंभीर उल्लंघन है जिसमें हम कार्य करना पसंद करते हैं. हमें लगता है कि इसकी तह तक जाना बहुत महत्वपूर्ण है.’