कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ‘प्रतिदिन मीडिया नेटवर्क’ द्वारा आयोजित एक चर्चा में कहा कि विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन में कुछ मतभेदों को दूर करने की ज़रूरत है, लेकिन वे सब मिलकर ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ को बचाने के लिए लड़ रहे हैं.
नई दिल्ली: कांग्रेस के लोकसभा सदस्य राहुल गांधी ने ‘प्रतिदिन मीडिया नेटवर्क’ द्वारा आयोजित एक घंटे की चर्चा में आगामी राज्य विधानसभा चुनावों से अपनी उम्मीदों, इंडिया गठबंधन के भीतर मतभेदों को दूर करने, जाति जनगणना, महिला आरक्षण, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव और उत्तर-पूर्व में राजनीति के बारे में बात की.
यहां चर्चा से पांच प्रमुख निष्कर्ष दिए गए हैं.
आगामी विधानसभा चुनाव
राहुल गांधी राजस्थान और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत को लेकर काफी आश्वस्त दिखे.
उन्होंने कहा, ‘मैं कहूंगा कि अभी हम संभवत: तेलंगाना जीत रहे हैं, हम निश्चित तौर पर मध्य प्रदेश जीत रहे हैं, हम निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ जीत रहे हैं. राजस्थान में बहुत करीबी मुकाबला है और हमें लगता है कि हम जीत जाएंगे.’
उन्होंने कहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव, जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल की, से पार्टी की मुख्य सीख यह है कि भाजपा द्वारा ध्यान भटकाने वाली बातों पर प्रतिक्रिया करने के बजाय अपनी खुद की नैरेटिव (narrative) रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही करने की कोशिश करेगी.
उन्होंने कहा, ‘अगर आप तेलंगाना चुनाव देखें तो हम नैरेटिव को नियंत्रित कर रहे हैं, जबकि भाजपा नैरेटिव में है ही नहीं. तेलंगाना में भाजपा का सफाया हो गया है और वह खत्म हो गई है.’
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘यदि आप मध्य प्रदेश में नैरेटिव को देखें, तो हम नैरेटिव को नियंत्रित कर रहे हैं. यदि आप छत्तीसगढ़ में नैरेटिव को देखें, तो हम नैरेटिव को नियंत्रित कर रहे हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि भाजपा क्या करने की कोशिश करती है, वे नैरेटिव पर कब्जा नहीं कर रहे हैं.’
उन्होंने दावा किया कि राजस्थान में लोग कांग्रेस राज्य सरकार की सामाजिक कल्याण योजनाओं और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में किए गए कामों से खुश हैं.
इंडिया गठबंधन के भीतर मतभेद
राहुल गांधी ने स्वीकार किया कि इंडिया गठबंधन में एक साथ आए विभिन्न दलों के बीच कुछ बुनियादी मतभेद हैं.
उन्होंने कहा, ‘हम (गठबंधन की पार्टियां) बैठ सकते हैं और कह सकते हैं (एक दूसरे से) कि ‘हम आपसे सहमत नहीं हैं’… लेकिन इसमें काफी लचीलापन है और मैं इससे काफी खुश हूं.’
गांधी ने कहा कि सभी विपक्षी दल समझते हैं कि अब क्या दांव पर ‘आइडिया ऑफ इंडिया’ है. उन्होंने कहा, ‘हम उस विचार की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं.’
एक राष्ट्र, एक चुनाव
गांधी ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के राष्ट्रीय और राज्य चुनाव एक साथ कराने के प्रस्ताव को ध्यान भटकाने की एक और कोशिश करार दिया। उन्होंने कहा कि यह विचार भाजपा द्वारा सार्वजनिक चर्चा में लाया गया था जब दुनिया के प्रमुख मीडिया आउटलेट गौतम अडानी पर नए खुलासे लेकर आए थे.
उन्होंने आरोप लगाया कि बेरोजगारी, भारी असमानता, संपदाओं का केंद्रीकरण और आदिवासियों के खिलाफ अत्याचार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से बचने के लिए भाजपा ने ये ध्यान भटकाने वाली बातें फैलाई हैं. उन्होंने कहा कि देश का नाम बदलने की स्पष्ट कोशिश इसी तरह की एक और कोशिश है और कहा कि कांग्रेस इन पर ध्यान नहीं देगी.
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेता ने कहा, ‘हम ऐसी स्थिति में ढल रहे हैं जहां भाजपा मीडिया को नियंत्रित करती है. यह न सोचें कि विपक्षी इसके अनुसार ढलने में सक्षम नहीं है, हम ढल रहे हैं, हम एक साथ मिलकर काम रहे हैं, हम भारत की 60 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते है. भाजपा को 2024 के लोकसभा में झटका लगेगा.’
जाति जनगणना और महिला आरक्षण
गांधी ने दोहराया कि जाति जनगणना समय की तत्काल आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद पार्टी सबसे पहला काम 25 करोड़ भारतीय घरों की सामाजिक-आर्थिक विशेषताओं और जातियों को रिकॉर्ड करने के लिए यूपीए सरकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण के आंकड़े जारी करेगी.
उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार के पास भी सर्वेक्षण (जाति) का डेटा है, जिसे वह जारी नहीं कर रही है.
उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक को संसद में लगभग सर्वसम्मति से समर्थन मिलने की भी बात कही, इसलिए अगर मोदी सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीर है तो इसके कार्यान्वयन में देरी करने की कोई गुंजाइश नहीं है.
‘आपको बस यह कहना है कि लोकसभा में महिलाओं के लिए 33% सीटें आरक्षित होने जा रही हैं.’ उन्होंने संसद में समग्र महिला कोटा के भीतर ओबीसी महिलाओं के लिए कोटा की अपनी मांग दोहराई.
राहुल ने कहा कि महिला आरक्षण और जनगणना या महिला आरक्षण और परिसीमन के बीच कोई संबंध नहीं है.
उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार ने अडानी मामले पर फाइनेंशियल टाइम्स जैसे अखबारों में आई खबरों से ध्यान भटकाने के लिए विशेष सत्र का विचार रखा.
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘पहले वे इंडिया का नाम बदलकर भारत करने की योजना बना रहे थे… लेकिन इसका काफी विरोध हुआ, उन्हें लगा कि लोगों को यह पसंद नहीं आएगा इसलिए इसे छोड़ दिया और फिर यह लेकर आए.
उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि महिलाओं को 10 साल बाद भी इसका फायदा मिलेगा, लेकिन कांग्रेस चाहती है कि अभी भी महिलाओं को इसका फायदा मिले.
पूर्वोत्तर में राजनीति
राहुल गांधी ने असम में ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) पार्टी के साथ किसी भी गठबंधन से इनकार किया. मौलाना बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाली एआईयूडीएफ को अल्पसंख्यक आधारित पार्टी माना जाता है. कांग्रेस ने ‘भाजपा के संबंध में’ पार्टी के ‘आश्चर्यजनक व्यवहार और रवैये’ के कारण 2021 में एआईयूडीएफ से अपना नाता तोड़ लिया था.
गांधी ने मणिपुर की स्थिति के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि उन्होंने वहां जो देखा वह कुछ ऐसा था जो उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में नहीं देखा था. उस घटना को याद करते हुए, जहां कुकी समुदाय के एक सुरक्षा कर्मचारी को मेईतेई बहुल क्षेत्र का दौरा करते समय अपनी टुकड़ी छोड़ने की सलाह दी गई थी और मेईतेई कर्मी को कुकी बहुल क्षेत्र.
उन्होंने कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा उनके लिए एक सीखने का अनुभव था और हो सकता है कि वह इसे पश्चिम से पूर्व तक भी करना चाहें. हालांकि, उन्होंने किसी विशेष योजना की बात नहीं की.
कन्याकुमारी से कश्मीर तक की 4,000 किलोमीटर से अधिक की अपनी ‘भारत जोड़ो’ यात्रा से मिली सीख के बारे में राहुल ने कहा कि 21वीं सदी के भारत में संचार व्यवस्था पर भाजपा ने इस कदर कब्जा कर लिया है कि उसके माध्यम से भारत के लोगों से बात करना व्यवहारिक रूप से असंभव है.
उन्होंने कहा, ‘यह बिल्कुल स्पष्ट है कि मेरे यूट्यूब चैनल, मेरे ट्विटर एकाउंट सभी को दबाया गया. यात्रा हमारे लिए जरूरी थी. विपक्ष कुछ भी कहे लेकिन राष्ट्रीय मीडिया में यह तोड़े-मरोड़े बिना पेश नहीं किया जाता है.’
राहुल ने कहा, ‘सबसे बड़ी सीख यह मिली कि संचार का पुराना तरीका और लोगों से मिलना, जिसे महात्मा गांधी जी ने आधुनिक युग में शुरू किया था, अन्य लोगों ने भी पुराने युग में आगे बढ़ाया था, वह अब भी काम करता है.’
उन्होंने कहा कि चाहे भाजपा कितनी भी ऊर्जा लगा ले, चाहे मीडिया कितना भी तोड़-मरोड़कर पेश कर लें, यह काम नहीं करेगा क्योंकि अब लोगों से सीधा संवाद है.
राहुल गांधी ने कहा, ‘मेरे लिए, निजी तौर पर मैंने जो सीखा, वह और भी रोचक था. आप सोचते हैं कि मेरी सीमा यहीं तक है, लेकिन आपकी सीमा वास्तव में कहीं नहीं होती. आपकी सीमा आपकी कल्पना से कहीं बहुत आगे है.’