गर्म और नम मौसम में ‘आधार’ की बायोमेट्रिक विश्वसनीयता संदिग्ध होती है: मूडीज़

आधार की व्यावहारिकता पर सवाल उठाने वाली रेटिंग एजेंसी मूडीज़ की रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति जताते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि रिपोर्ट ‘बिना किसी सबूत या आधार का हवाला दिए’ तैयार की गई है. इसमें दुनिया की सबसे भरोसेमंद डिजिटल पहचान ‘आधार’ के ख़िलाफ़ बढ़-चढ़कर दावे किए गए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Aadhaar)

आधार की व्यावहारिकता पर सवाल उठाने वाली रेटिंग एजेंसी मूडीज़ की रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति जताते हुए केंद्र सरकार ने कहा है कि रिपोर्ट ‘बिना किसी सबूत या आधार का हवाला दिए’ तैयार की गई है. इसमें दुनिया की सबसे भरोसेमंद डिजिटल पहचान ‘आधार’ के ख़िलाफ़ बढ़-चढ़कर दावे किए गए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक/Aadhaar)

नई दिल्ली: रेटिंग एजेंसी मूडीज (Moody’s) इन्वेस्टर्स सर्विस ने भारत के ‘आधार’ कार्यक्रम जैसी केंद्रीकृत पहचान प्रणालियों में सुरक्षा और गोपनीयता की कमजोरियों के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि गर्म और आर्द्र (Humid) परिस्थितियों में इनकी बायोमेट्रिक पहचान (Readability) संदिग्ध होती है.

द हिंदू के मुताबिक, मूडीज ने अपनी रिपोर्ट ‘विकेंद्रीकृत वित्त और डिजिटल संपत्ति’ में कहा, ‘भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) आधार का प्रबंधन करता है, जिसका लक्ष्य हाशिये पर रहने वाले समूहों को एकीकृत करना और कल्याणकारी लाभों की पहुंच का विस्तार करना है. इस प्रणाली के परिणामस्वरूप अक्सर सेवा में बाधा उत्पन्न हो जाती है, विशेष तौर पर गर्म और आर्द्र जलवायु में मजदूरों के लिए बायोमेट्रिक तकनीक की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगते हैं.’

रेटिंग एजेंसी ने सुझाव दिया कि ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित डिजिटल वॉलेट जैसी विकेंद्रीकृत पहचान (डीआईडी) प्रणाली एक बेहतर समाधान हो सकता है, क्योंकि वह उपयोगकर्ताओं को अपने निजी डेटा पर अधिक नियंत्रण देती है और ऑनलाइन धोखाधड़ी के जोखिम को कम करती है.

रिपोर्ट में कैटलोनिया, अज़रबैजान और एस्टोनिया में सफल योजना के कुछ उदाहरण दिए गए हैं, जिन्होंने डिजिटल पहचान जारी करने के लिए ब्लॉकचेन-आधारित प्रणाली का उपयोग किया है.

इसमें कहा गया है, ‘एस्टोनिया को अपनी पूरी तरह से डिजिटलीकृत सार्वजनिक सेवाओं के लिए जाना जाता है, और इसने नागरिकों को उनकी डिजिटल पहचान पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करने के लिए एसएसआई (स्व-संप्रभु पहचान) को अपनाया है.’

एक केंद्रीकृत प्रणाली में बैंक, सोशल मीडिया मंच या सरकारी मतदाता सूची जैसी एक इकाई यूजर्स के पहचान संबंधी विवरणों और ऑनलाइन संसाधनों तक उनकी पहुंच को नियंत्रित और प्रबंधित करती है. वह इकाई यूजर्स के पहचान संबंधी डेटा- जैसे कि नाम, पता और सामाजिक सुरक्षा नंबर आदि- आंतरिक या थर्ड पार्टी प्रोफाइलिंग उद्देश्यों के लिए बेच सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी प्रणाली यूजर्स को उनके निजी डेटा पर कम से कम नियंत्रण प्रदान करती है.

मूडीज ने कहा कि डीआईडी को अपनाने से गोपनीयता बढ़ती है और बिचौलियों के पास रखी व्यक्तिगत जानकारी की मात्रा कम हो जाती है. इसमें व्यक्तिगत डेटा उपयोगकर्ता के डिजिटल वॉलेट में सहेजा जाता है और पहचान सत्यापन किसी एकल, केंद्रीकृत संस्थान के माध्यम से नहीं, बल्कि ब्लॉकचेन जैसे विकेंद्रीकृत डिजिटल लेजर पर होता है.

इसमें कहा गया है कि डीआईडी को सरकार, व्यवसाय, नियोक्ता या अन्य इकाई के बजाय उपयोगकर्ताओं के पोर्टेबल और वापस इस्तेमाल किए जा सकने वाले डिजिटल वॉलेट में संग्रहीत और प्रबंधित किया जा सकता है.

हालांकि, मूडीज ने कहा कि विकेंद्रीकृत पहचानें भी कुछ चुनौतियां पेश करती हैं. व्यापक स्तर पर, इसने चेतावनी दी कि डिजिटल आईडी, चाहे केंद्रीकृत हों या नहीं, सामाजिक स्तर पर समस्याएं पैदा कर सकती हैं, क्योंकि वे समूह की पहचान और राजनीतिक विभाजन को मजबूत कर सकती हैं.

सरकार ने रिपोर्ट को आधार​हीन बताया

बहरहाल आधार की व्यावहारिकता पर सवाल उठाने वाले मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के इन विचारों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए केंद्र सरकार ने सोमवार (25 सितंबर) को कहा कि रिपोर्ट ‘बिना किसी सबूत या आधार का हवाला दिए’ तैयार की गई है और यह आधारहीन है.

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि आधार भारत का मूलभूत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) है और एक अरब से अधिक भारतीय इस पर भरोसा करते हैं.

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने एक प्रेस नोट में कहा कि बिना किसी सबूत या आधार का हवाला दिए दुनिया की सबसे भरोसेमंद डिजिटल पहचान ‘आधार’ के खिलाफ बढ़-चढ़कर दावे किए गए हैं.

नोट में कहा गया, ‘पिछले एक दशक में एक अरब से अधिक भारतीयों ने 100 अरब से अधिक बार खुद को प्रमाणित करने के लिए आधार का उपयोग करके उस पर अपना भरोसा व्यक्त किया है. किसी पहचान प्रणाली में ऐसे अभूतपूर्व विश्वास को नजरअंदाज करने का मतलब यह है कि यूजर्स यह नहीं समझते हैं कि उनके हित में क्या है.’

मंत्रालय की ओर से गर्म और आर्द्र जलवायु में बायोमेट्रिक के काम न करने के आरोपों पर कहा गया है कि यह भारत की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के संदर्भ में है. मनरेगा डेटाबेस में आधार की सीडिंग श्रमिकों को उनके बायोमेट्रिक्स का उपयोग करके प्रमाणित किए बिना की गई है.

मंत्रालय के नोट में कहा गया है, ‘रिपोर्ट इस बात को नजरअंदाज करती है कि चेहरे के प्रमाणीकरण और आईरिस प्रमाणीकरण जैसे संपर्क रहित माध्यमों से भी बायोमेट्रिक सबमिशन संभव है. इसके अलावा, कई यूजर्स के मामलों में मोबाइल ओटीपी का विकल्प भी उपलब्ध है.’

केंद्रीकृत आधार प्रणाली में सुरक्षा और गोपनीयता संबंधी कमजोरियों पर सरकार ने कहा कि इस संबंध में संसद को स्पष्ट रूप से सूचित किया जा चुका है कि आज तक आधार डेटाबेस से कोई उल्लंघन की सूचना नहीं मिली है. इसके साथ ही मंत्रालय ने अपने बयान में आधार की सुरक्षा और गोपनीयता के लिए अपनाए जाने वाले उपाय भी गिनाए.

सरकार ने सफाई में कहा कि आईएमएफ और विश्व बैंक सहित कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने आधार की भूमिका की सराहना की है. कई राष्ट्र भी प्राधिकरण के साथ यह समझने के लिए जुड़े हुए हैं कि वे समान डिजिटल पहचान प्रणाली कैसे लागू कर सकते हैं.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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