पंजाब के मुक्तसर ज़िले में एक वकील को हिरासत में यातना देने, अप्राकृतिक यौन संबंध के लिए उकसाने, ग़लत तरीके से क़ैद में रखने और उसकी जान को ख़तरा पैदा करने के आरोप में छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने श्री मुक्तसर साहिब के एसएसपी को निलंबित करने की भी मांग की है.
नई दिल्ली: पंजाब के मुक्तसर जिले में पुलिस हिरासत में एक वकील के साथ कथित तौर पर बर्बर तरीके से मारपीट के मामले में सोमवार 25 सितंबर देर रात सदर श्री मुक्तसर साहिब पुलिस स्टेशन में छह पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई.
यह कदम पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री को लिखे गए एक पत्र के बाद आया, जिसमें कथित तौर पर दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने और मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करने के लिए श्री मुक्तसर साहिब के एसएसपी को निलंबित करने की मांग की गई थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू करने के सीजेएम के हालिया विशिष्ट आदेश के बावजूद पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की थी.
एफआईआर आईपीसी की धारा 377, 342, 323, 149 और 506 के तहत दर्ज की गई है. इन छह पुलिसकर्मियों में – रमन कुमार (प्रभारी सीआईए स्टाफ), रमनदीप सिंह भुल्लर (एसपी जांच), वरिष्ठ कॉन्स्टेबल हरबंस सिंह, वरिष्ठ कॉन्स्टेबल भूपिंदर सिंह, कॉन्स्टेबल गुरप्रीत सिंह और होम गार्ड दारा सिंह शामिल हैं.
इसी बीच, वकील के साथ एकजुटता दिखाते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मंगलवार को काम से दूर रहने का फैसला किया है.
पुलिस अधिकारियों के कृत्य की निंदा करते हुए बार एसोसिएशन ने यह भी मांग की है कि न्याय सुनिश्चित करने के लिए मामले की जांच श्री मुक्तसर साहिब जिले से बाहर स्थानांतरित की जाए.
बार एसोसिएशन द्वारा अपने अध्यक्ष जीबी एस ढिल्लों और मानद सचिव जसमीत सिंह भाटिया के माध्यम से पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा गया था.
यह पत्र मुक्तसर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) द्वारा 22 सितंबर को पारित एक आदेश के बाद भेजा गया था, जिसमें मुक्तसर सदर थाने के एसएचओ को एसपी (जांच) रमनदीप सिंह भुल्लर, डीएसपी (जांच) संजीव गोयल, सीआईए प्रभारी इंस्पेक्टर रमन कुमार, दो वरिष्ठ कॉन्स्टेबल, एक कॉन्स्टेबल, एक होम गार्ड और चार से पांच अज्ञात पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था.
आरोपी पुलिसकर्मियों पर कथित तौर पर वकील को चोट पहुंचाने, गलत तरीके से बंधक बनाने,अप्राकृतिक यौन संबंध के लिए दबाव बनाने और उसके जीवन और स्वतंत्रता के लिए खतरा पैदा करने का आरोप है.
वकील और सोहनेवाला गांव के एक निवासी को सीआईए प्रभारी इंस्पेक्टर रमन कुमार द्वारा मुक्तसर सिटी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने के बाद गिरफ्तार किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि दोनों ने 14 सितंबर की रात टिब्बी साहिब रोड पर पुलिस अधिकारियों की एक टीम पर हमला किया था, उनकी वर्दी फाड़ दी थी और उन्हें अपनी ड्यूटी करने से रोका था.
दोनों को 15 सितंबर को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, लेकिन अगले दिन वकील ने सीआईए कॉम्प्लेक्स में अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाते हुए दोबारा मेडिकल जांच की गुहार लगाई.
पीड़ित वकील के वकील ने कहा कि बाद की मेडिकल जांच रिपोर्ट में उनके शरीर पर चोट के 18 निशान मिले. पीड़ित के वकील 21 सितंबर को अदालत में पेश हुए और बयान दिया. वकील ने यह भी दावा किया कि उनके मुवक्किल ने डर के कारण अपनी जमानत अर्जी वापस ले ली थी.
वकील के आवेदन पर सुनवाई करते हुए सीजेएम कोर्ट ने शुक्रवार (22 सितंबर) को निम्नलिखित आदेश जारी किया था, ‘पीड़ित के बयान को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 2 (डी) के अनुसार शिकायत के रूप में माना जाता है, जिसमें प्रथमदृष्टया अप्राकृतिक यौन संबंध के लिए उकसाने और गलत कारावास में चोट पहुंचाने, उसके जीवन और स्वतंत्रता को खतरा पैदा करने जैसे संज्ञेय अपराध शामिल हैं. उनके बयान में उनके द्वारा नामित पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार हैं. संबंधित एसएचओ को पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद जांच शुरू करने का निर्देश दिया जाता है.’
सोमवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति ने एक आपात बैठक बुलाई, जिसमें श्री मुक्तसर साहिब पुलिस द्वारा श्री मुक्तसर साहिब में वकालत करने वाले वकील पर आरोपी पुलिस अधिकारियों द्वारा किए गए अत्याचार, अमानवीय और बर्बर कृत्यों की कड़ी निंदा की गई.
एसोसिएशन के पत्र में यह भी कहा गया है कि ‘एसएसपी श्री मुक्तसर साहिब के आदेश पर पीड़ित को धमकी दी जा रही थी और शिकायत/आवेदन वापस लेने के लिए दबाव डाला जा रहा था.’