2022-23 में केवल 66 लाख फ्रंटलाइन नौकरियां सृजित हुईं, पिछले साल की तुलना में 17.5% की गिरावट: रिपोर्ट

एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 के 80 लाख के मुकाबले वित्त वर्ष 2022-23 में फ्रंटलाइन श्रमिकों के लिए लगभग 66 लाख नौकरियां सृजित हुईं. फ्रंटलाइन की नौकरियों में कॉल सेंटर कर्मचारी, डिलीवरीकर्मी, मार्केटिंग अधिकारी, बिक्री एवं व्यवसाय विकास अधिकारी और हाउसकीपिंग स्टाफ जैसी ग्राहकों से सीधे रूबरू होने वाली अन्य नौकरियां शामिल होती हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Flickr/ILO)

एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 के 80 लाख के मुकाबले वित्त वर्ष 2022-23 में फ्रंटलाइन श्रमिकों के लिए लगभग 66 लाख नौकरियां सृजित हुईं. फ्रंटलाइन की नौकरियों में कॉल सेंटर कर्मचारी, डिलीवरीकर्मी, मार्केटिंग अधिकारी, बिक्री एवं व्यवसाय विकास अधिकारी और हाउसकीपिंग स्टाफ जैसी ग्राहकों से सीधे रूबरू होने वाली अन्य नौकरियां शामिल होती हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Flickr/ILO)

नई दिल्ली: फ्रंटलाइन कार्यबल प्रबंधन मंच ‘बेटरप्लेस’ (BetterPlace) की एक रिपोर्ट बताती है कि व्यापक आर्थिक प्रतिकूलताओं के बीच कंपनियों द्वारा सावधानीपूर्वक नियुक्तियों के कारण वित्त वर्ष 2022-23 में फ्रंटलाइन नौकरियों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में 17.5 फीसदी की गिरावट आई है.

रिपोर्ट का हवाला देते हुए इकोनॉमिक टाइम्स ने बताया है कि वित्त वर्ष 2021-22 के 80 लाख की तुलना में पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 66 लाख नौकरियां पैदा हुईं.

इन फ्रंटलाइन की नौकरियों में कॉल सेंटर कर्मचारी, डिलीवरीकर्मी, मार्केटिंग अधिकारी, बिक्री एवं व्यवसाय विकास अधिकारी और हाउसकीपिंग स्टाफ जैसी अन्य नौकरियां शामिल हैं. ये नौकरियां महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन भूमिकाओं में कर्मचारी अक्सर कंपनी का चेहरा होते हैं. ग्राहकों के साथ उनकी बातचीत कंपनी की प्रतिष्ठा और ग्राहक संतुष्टि पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है.

कोविड-29 महामारी के बाद वित्त वर्ष 2022 में कारोबार फिर से खुलने पर कंपनियों द्वारा नियुक्तियों के शुरू हुए दौर के बाद यह गिरावट देखी गई है.

एमएसएन ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया है कि डेटा यह भी दिखाता है कि वित्त वर्ष 2013 में फ्रंटलाइन श्रमिकों के लिए औसत मासिक वेतन 4.5 फीसदी घटकर 21,700 रुपये हो गया.

इसमें कहा गया है, ‘आईएफएम और आईटी ने उच्चतम मासिक औसत वेतन 25,700 रुपये दर्ज किया और वित्त वर्ष 2022 की तुलना में इस क्षेत्र में वेतन में 17 फीसदी की वृद्धि हुई. इसके बाद बीएफएसआई और लॉजिस्टिक्स एंड मोबिलिटी ने क्रमश: 22,000 रुपये और 21,800 रुपये प्रति माह वेतन की पेशकश की.’

बेटरप्लेस के सह-संस्थापक और समूह सीईओ प्रवीण अग्रवाल ने ईटी को बताया कि हालांकि, इस साल नियुक्तियों की संख्या में सुधार हो सकता है, क्योंकि चालू त्योहारी सीजन के कारण श्रमबल की मांग में वृद्धि हो रहा है और कंपनियां उपभोग में वृद्धि को पूरा करने के लिए ऑन-रोल (वेतन पर), थर्ड-पार्टी रोल (ठेके पर) और गिग वर्कर्स (स्वतंत्रकर्मी) के संयोजन में कर्मचारियों को नियुक्त करना चाहती हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में लॉजिस्टिक्स और मोबिलिटी सेक्टर ने अग्रिम पंक्ति के श्रमिकों को सबसे अधिक रोजगार देने वाले उद्योग की दौड़ में ई-कॉमर्स को पीछे छोड़ दिया है, वर्ष के दौरान कुल मांग में 111 फीसदी की वृद्धि हुई है.

टाइम्स ऑफ इंडिया को अग्रवाल ने बताया, ‘रिटेल और वेयर हाउसिंग जैसे क्षेत्रों में कंपनियां अधिक महिला गिग श्रमिकों को नियुक्त करना चाह रही हैं, क्योंकि महिलाएं अधिक दक्षतापूर्ण परिणाम देती हैं. इसके अलावा, कंपनियां ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासनिक) लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं.’

उन्हें उम्मीद है कि आगे चलकर कार्यबल में परिवर्तनशीलता बढ़ेगी.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जहां गिग नौकरियों में लगातार मजबूती से वृद्धि हो रही है, वहीं (स्थायी) फ्रंटलाइन नौकरियां इतनी अधिक नहीं बढ़ी हैं. वित्त वर्ष 22 के अंत और वित्त वर्ष 23 की शुरुआत में मांग में सकारात्मक वृद्धि देखी गई लेकिन धीरे-धीरे. नियोक्ताओं ने व्यवसाय में मंदी, घाटे, अधिक नियुक्ति, नियुक्ति की लागत आदि जैसे विभिन्न कारणों के चलते नौकरियां घटा दीं. अधिकांश उद्यम कार्यबल प्रबंधन के गिग मॉडल की ओर रख करके अपनी कार्यबल लागत में परिवर्तन करना चाह रहे हैं.’

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंं. 

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