मनरेगा प्रत्येक ग्रामीण परिवार के व्यस्क व्यक्तियों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के अकुशल शारीरिक श्रम के रोजगार की गारंटी देता है. 2020-21 में जब कोविड-19 का प्रकोप और उसके बाद देशव्यापी लॉकडाउन देखा गया तब इस योजना का लाभ उठाने वाले परिवारों का वार्षिक आंकड़ा 7.5 करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
नई दिल्ली: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत 2022-23 में रोजगार की मांग में थोड़ी गिरावट के बाद इसमें एक बार फिर वृद्धि हुई है और अगस्त 2023 में 1.73 करोड़ से अधिक परिवारों ने इस योजना का लाभ उठाया है.
इंडियन एक्सप्रेस ने मनरेगा पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के हवाले से बताया है कि इस साल अगस्त में इस योजना का लाभ उठाने वाले परिवारों की संख्या पिछले साल के इसी महीने में 1.37 करोड़ की तुलना में 25.85 फीसदी अधिक रही.
कोविड महामारी के दौरान अगस्त 2020 में आंकड़ा 2 करोड़ था और अगस्त 2021 में 2.11 करोड़ था. हालांकि, कोविड-19 महामारी के फैलने से पहले यह बहुत निचले स्तर (अगस्त 2019 में 1.22 करोड़) पर था.
अगर पश्चिम बंगाल में योजना जारी रहती तो मनरेगा के तहत काम करने वाले परिवारों का अगस्त 2023 का आंकड़ा और अधिक हो सकता था.
बता दें कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल को फंड जारी करना बंद कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में कोई काम नहीं हो रहा है. यही कारण है कि अगस्त 2023 में पश्चिम बंगाल में इस योजना का लाभ उठाने वाले केवल 10 परिवारों की सूचना मिली.
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के दौरान मनरेगा के तहत काम की मांग ऊंची बनी रही, लाभ उठाने वाले परिवारों की संख्या अप्रैल में 2 करोड़, मई में 2.56 करोड़, जून में 3.05 करोड़ और जुलाई में 2.09 करोड़ तक पहुंच गई.
मनरेगा प्रत्येक ग्रामीण परिवार के व्यस्क व्यक्तियों को एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों के अकुशल शारीरिक श्रम के रोजगार की गारंटी देता है. यह योजना उन गरीब और प्रवासी श्रमिकों के लिए सुरक्षा कवच साबित हुई थी, जो कोविड-19 महामारी के मद्देनजर अपने गांवों में लौट आए थे.
2020-21 में जब कोविड-19 का प्रकोप और उसके बाद देशव्यापी लॉकडाउन देखा गया, इस योजना का लाभ उठाने वाले परिवारों का वार्षिक आंकड़ा 7.5 करोड़ के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
अगले दो वर्षों में इसमें कमी आई, 2021-22 में यह 7.25 करोड़ और 2022-23 में 6.18 करोड़ रह गया. हालांकि, वित्त वर्ष 2023-24 की शुरुआत के बाद से इसमें फिर से वृद्धि शुरू हो गई है.
23 सितंबर 2023 तक मनरेगा का लाभ उठाने वाले परिवारों की संचयी संख्या 4.8 करोड़ तक पहुंच गई है. मनरेगा के तहत बढ़ती मांग के मासिक विश्लेषण से पता चलता है कि अप्रैल 2022 में 1.83 करोड़ की तुलना में अप्रैल 2023 के दौरान लगभग 11 फीसदी अधिक परिवारों (2 करोड़) ने योजना का लाभ उठाया.
इस साल मई में यह पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 9.47 फीसदी अधिक था, जून 2023 में जून 2022 की तुलना में 11.04 फीसदी अधिक था, और जुलाई 2023 में पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 19.38 फीसदी अधिक था.
अगस्त 2023 के दौरान मनरेगा का लाभ उठाने वाले परिवारों की अधिकतम संख्या दर्ज करने वाले शीर्ष पांच राज्य तमिलनाडु (54.61 लाख), उत्तर प्रदेश (17.61 लाख), राजस्थान (13.07 लाख), मध्य प्रदेश (9.67 लाख) और केरल (9.49 लाख) थे.
तमिलनाडु में मांग में 56.87 प्रतिशत का उछाल देखा गया, यहां पिछले साल अगस्त में लाभ उठाने वाले परिवारों की संख्या 34.81 लाख थी. उत्तर प्रदेश में इस साल अगस्त में पिछले साल की तुलना में 0.43 फीसदी की मामूली गिरावट देखी गई, जबकि राजस्थान में 70.74 फीसदी का उछाल देखा गया.
मनरेगा के तहत काम करने वाले परिवारों की संख्या में गिरावट देखने वाले प्रमुख राज्यों में से एक बिहार है, जहां अगस्त 2023 में यह संख्या 43.72 प्रतिशत कम होकर 4.03 लाख रह गई है जो एक साल पहले इसी महीने में 7.17 लाख थी.