संघर्षग्रस्त मणिपुर की सरकार ने बीते 23 सितंबर को क़रीब 143 दिन बाद इंटरनेट बहाल किए जाने की घोषणा की थी. इंटरनेट पर दोबारा प्रतिबंध की घोषणा दो मेईतेई छात्रों के शव की वायरल तस्वीरों को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बीच की गई है. दोनों छात्र दो महीने से अधिक समय से लापता थे.
नई दिल्ली: हिंसाग्रस्त मणिपुर में 23 सितंबर इंटरनेट बहाल होने के कुछ ही दिनों बाद राज्य सरकार ने बीते मंगलवार (26 सितंबर) को घोषणा की कि कम से कम पांच दिनों के लिए इस पर फिर से प्रतिबंध लगाया जा रहा है.
एक आदेश में मणिपुर के गृह विभाग ने कहा कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से ‘गलत सूचना, झूठी अफवाहें और अन्य प्रकार की हिंसक गतिविधियां’ फैल रही हैं, जिसके कारण सरकार तत्काल प्रभाव से इंटरनेट को निलंबित कर रही है.
आदेश में कहा गया है कि इंटरनेट बड़े पैमाने पर एसएमएस भेजने के अलावा आंदोलनकारियों और प्रदर्शनकारियों की भीड़ को जुटाने की सुविधा दे रहा है, जिससे ‘जान माल को नुकसान/या सार्वजनिक/निजी संपत्ति को नुकसान हो सकता है’ या कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है.
इसमें कहा गया है, ‘राज्य सरकार ने मणिपुर राज्य के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में मोबाइल इंटरनेट डेटा सेवाओं के साथ-साथ वीपीएन के माध्यम से इंटरनेट/डेटा सेवाओं को पांच दिनों के लिए तत्काल प्रभाव से 01/10/2023 शाम 7:45 बजे तक निलंबित करने का निर्णय लिया है. आदेश समाप्ति से पहले इसकी समीक्षा की जाएगी.’
पिछले साल मणिपुर में केवल एक बार इंटरनेट शटडाउन हुआ था. इस साल इंटरनेट 143 दिनों – 3 मई से 23 सितंबर तक – के लिए बंद कर दिया गया था, जब बहुसंख्यक मेईतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष शुरू हुए थे. दूसरा शटडाउन मंगलवार को फिर से शुरू हो गया है.
यह घटनाक्रम दो मेईतेई छात्रों – लुवांगबी लिनथोइंगंबी हिजाम और फिजाम हेमनजीत सिंह के शवों की वायरल तस्वीरों के विरोध के बीच सामने आया है, जो दो महीने से अधिक समय से लापता थे. छात्र यह कहते हुए सड़कों पर उतर आए कि ‘हम छात्रों की हत्या के खिलाफ हैं.’
इस घटना को लेकर दो वायरल तस्वीरें सामने आई हैं. पहले में एक लड़का 20 वर्षीय फिजाम और और एक लड़की 17 वर्षीय हिजाम एक-दूसरे के बगल में बैठे हुए हैं, जबकि उनके पीछे हथियार लिए दो लोगों को खड़े देखा जा सकता है. दूसरी तस्वीर में उन्हें एक-दूसरे के बगल में जमीन पर गिरा हुआ दिखाया गया है, जिसमें हेमजीत का सिर गायब है.
बहरहाल एक वीडियो में इन हत्याओं के विरोध में हुए प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए राज्य पुलिस को छात्रों पर बल प्रयोग करते देखा जा सकता है. सूत्रों ने कहा कि कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए, क्योंकि पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े.
मणिपुर सरकार ने भी घोषणा की कि सभी सरकारी और निजी स्कूल 29 सितंबर, 2023 तक बंद रहेंगे.
Public protest in Imphal after more than 40 students were injured earlier in the day. The students were protesting against the killing of two students in July. #Manipur_Violence @manipur_police @manipur_cmo pic.twitter.com/07hW2oo6yJ
— Aaisha Sabir (@SabirAaisha) September 26, 2023
इसी बीच, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि यह घटनाक्रम मणिपुर में सामान्य स्थिति के दावों को ‘पूरी तरह से मजाक’ बनाता है.
The Prime Minister is roaming around different states leaving behind his trademark trail of lies, abuses and insults. Why he cannot find a day to visit Manipur is simply beyond any understanding.
Today again internet services have been suspended for 5 days in Manipur. A…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 26, 2023
पार्टी के प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा, ‘जहां तक मणिपुर का सवाल है, प्रधानमंत्री को कोई भी चीज हिला या विचलित नहीं कर सकती. उन्होंने वहां के लोगों को यूं ही छोड़ दिया है. प्रधानमंत्री को केवल सत्ता पर कब्जा बनाए रखने की चिंता है, चाहे कुछ भी हो जाए, उनके लिए और कुछ मायने नहीं रखता.’
एक ट्वीट में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘147 दिनों से मणिपुर के लोग परेशान हैं, लेकिन पीएम मोदी के पास राज्य का दौरा करने का समय नहीं है. इस हिंसा में छात्रों को निशाना बनाए जाने की भयावह तस्वीरों ने एक बार फिर पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. अब यह स्पष्ट है कि इस संघर्ष में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा को हथियार बनाया गया था.’
For 147 days, people of Manipur are suffering, but PM Modi does not have time to visit the state.
The horrific images of students being targeted in this violence has once again shocked the entire nation.
It is now apparent that violence against women and children was weaponised…
— Mallikarjun Kharge (@kharge) September 27, 2023
उन्होंने कहा कि खूबसूरत राज्य मणिपुर को भाजपा के कारण युद्ध के मैदान में बदल दिया गया है! अब समय आ गया है, पीएम मोदी भाजपा के अक्षम मणिपुर मुख्यमंत्री को बर्खास्त करें. किसी भी उथल-पुथल को नियंत्रित करने के लिए यह पहला कदम होगा.
जहां सरकार ने दावा किया है कि अफवाहें फैलाने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल किया गया था, जमीनी रिपोर्ट और विशेषज्ञों की राय कुछ और ही बताती है. इस के आलोचकों का कहना है कि इंटरनेट पर प्रतिबंध ने सूचना के प्रवाह में बाधा उत्पन्न की है, जिससे हिंसा के वास्तविक पैमाने का पता चल सकता था. पूर्ण प्रतिबंध से आपातकालीन सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं.
एक ग्राउंड रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरनेट के न होने से ‘समाचार और घटनाओं के अपडेट अक्सर विकृत होते हैं. इसके बाद सत्ता में बैठे लोगों द्वारा अपनी सुविधा के अनुसार एक विशेष नैरेटिव से संबंधित जानकारी मुहैया कराई जाती है.
इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के अपार गुप्ता ने कहा, ‘सच्चाई, न्याय और सुलह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने में राज्य और केंद्र सरकारों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सूचना प्रवाह भी आवश्यक है.’
भारत को ‘इंटरनेट शटडाउन की राजधानी’ माना जाता है, वैश्विक डिजिटल अधिकार समूह ‘एक्सेस नाउ’ द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने 2022 में कम से कम 84 शटडाउन लागू किया, जो किसी भी लोकतांत्रिक देश में सबसे अधिक है. यह लगातार 5वां वर्ष है, जब भारत को जान-बूझकर इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने वाले देशों में शीर्ष स्थान मिला है.
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