सेबी अडानी समूह के ख़िलाफ़ आरोपों की जांच करने में ‘अनिच्छुक’ है: कांग्रेस

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि ‘ताज़ा खुलासे’ से पता चलता है कि ओपल इन्वेस्टमेंट नामक कंपनी, जो अडानी पावर में 8,000 करोड़ रुपये की इक्विटी को नियंत्रित करती है, को मई 2019 में दुबई में एक ‘सिंगल पर्सन फर्म’ के रूप में स्थापित किया गया था. इस खुलासे से अडानी की शेल कंपनियों के ग़ैर-क़ानूनी कार्यों की दुर्गंध और ज़्यादा तेज़ हो गई है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश. (फाइल फोटो: पीटीआई)

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि ‘ताज़ा खुलासे’ से पता चलता है कि ओपल इन्वेस्टमेंट नामक कंपनी, जो अडानी पावर में 8,000 करोड़ रुपये की इक्विटी को नियंत्रित करती है, को मई 2019 में दुबई में एक ‘सिंगल पर्सन फर्म’ के रूप में स्थापित किया गया था. इस खुलासे से अडानी की शेल कंपनियों के ग़ैर-क़ानूनी कार्यों की दुर्गंध और ज़्यादा तेज़ हो गई है.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच करने में ‘अनिच्छुक’ है. साथ ही पार्टी ने अपना रुख दोहराया कि सच्चाई सामने लाने के लिए केवल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीबी) द्वारा जांच ही पर्याप्त होगी.

एक समाचार रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि अडानी से जुड़ी एक अन्य शेल कंपनी ‘ओपल इन्वेस्टमेंट’ के इर्द- गिर्द ‘अवैधता का संदेह’ मजबूत हो रहा है.

उन्होंने दावा किया कि ‘ताजा खुलासे’ से पता चलता है कि कंपनी, जो अडानी पावर में 8,000 करोड़ रुपये की इक्विटी को नियंत्रित करती है, को मई 2019 में दुबई में एक ‘सिंगल पर्सन फर्म’ के रूप में स्थापित किया गया था. इस खुलासे से अडानी की शेल कंपनियों के गैर-कानूनी कार्यों की दुर्गंध और ज्यादा तेज हो गई है.

जयराम रमेश ने एक्स (ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा, ‘सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति को सौंपी अपनी रिपोर्ट में सेबी ने जेनिथ कमोडिटीज ट्रेडिंग को नियंत्रित शेयरधारक और यूएई के नागरिक एडेल हसन अहमद उलाली को ‘लाभकारी मालिक’ के रूप में चिह्नित किया था. पिछली रिपोर्ट्स से पता चला है कि उलाली मॉरीशस में एक अन्य कंपनी में निदेशक है. इसे भी ओपल इन्वेस्टमेंट कहा जाता है. इसका पता और ट्रस्टलिंक इंटरनेशनल नामक फर्म का पता एक ही है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘ट्रस्टलिंक, जो कि एक कॉरपोरेट सेवा देने वाला फर्म है, ने 4 अक्टूबर 2005 को ओपल इन्वेस्टमेंट की स्थापना की थी, उसी दिन इसने मॉरीशस की शेल कंपनी क्रुणाल ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट की स्थापना की थी, जिसके डायरेक्टर विनोद अडानी थे. ट्रस्टलिंक के सीईओ ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वह अडानी समूह के बोर्ड के सदस्य हैं.’

जयराम रमेश ने कहा, ‘इससे कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं. दुबई स्थित एक ‘सिंगल पर्सन फर्म’ भारत की सबसे बड़ी निजी बिजली उत्पादक कंपनी अडानी पावर में 8,000 करोड़ रुपये मूल्य की 4.7 प्रतिशत हिस्सेदारी को कैसे नियंत्रित कर सकती है? क्या ओपल अडानी का ही एक और फ्रंट नहीं है, जो अवैध राउंड-ट्रिपिंग और भारतीय प्रतिभूति कानूनों का खुलेआम उल्लंघन कर रहा है? और सबसे बड़ा सवाल – वह आखिर ऐसा कर क्यों रहा है, ये वास्तव में किसके फंड हैं? ’

कांग्रेस नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी हमला करते हुए सवाल उठाया कि मई 2024 के बाद प्रधानमंत्री मोदी के रिटायरमेंट प्लान्स क्या हैं?

उन्होंने कहा कि सेबी द्वारा बिना किसी उत्साह और अनिच्छा से की जा रही जांच से कोई जवाब मिलता नहीं दिख रहा है. उन्होंने जेपीसी जांच की कांग्रेस की मांग को फिर से दोहराया.

जयराम रमेश ने कहा, ‘आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता एक जेपीसी है, जो मेगा अडानी घोटाले के पीछे की पूरी कहानी को जांच करने में सक्षम होगी.’

उल्लेखनीय है कि बीते जनवरी माह में अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ द्वारा अडानी समूह के खिलाफ ‘अनियमितताओं’ और स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ का आरोप लगाए जाने के बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर निरंतर हमलावर है और आरोपों की जेपीसी से जांच कराए जाने की मांग कर रही है.

अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया था. अडानी समूह ने इन आरोपों के जवाब में कहा था कि यह हिंडनबर्ग द्वारा भारत पर सोच-समझकर किया गया हमला है. समूह ने कहा था कि ये आरोप और कुछ नहीं सिर्फ ‘झूठ’ हैं. इस जवाब पर पलटवार करते हुए हिंडनबर्ग समूह की ओर से कहा गया था कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढका नहीं जा सकता.