तमिल अभिनेता विशाल ने आरोप लगाया है कि उनकी फिल्म ‘मार्क एंटनी’ के हिंदी संस्करण को सेंसर बोर्ड से प्रमाणित कराने के लिए उन्हें दो एजेंटों को 6.5 लाख रुपये की रिश्वत देनी पड़ी. उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सेंसर बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार पर ध्यान देने की अपील की है.
नई दिल्ली: तमिल अभिनेता विशाल ने आरोप लगाया है कि उन्हें अपनी नई फिल्म ‘मार्क एंटनी’ के हिंदी संस्करण को प्रमाणित कराने के लिए केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) यानी ‘सेंसर बोर्ड’ को 6.5 लाख रुपये की रिश्वत देनी पड़ी. बीते शुक्रवार को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने इस मामले में ‘तत्काल जांच’ के आदेश दिए हैं.
बीते गुरुवार (28 सितंबर) को विशाल ने सोशल साइट एक्स पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सेंसर बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार पर ध्यान देने की अपील की.
उन्होंने आरोप लगाया कि हालांकि फिल्मों के प्रमाणन के लिए एक ऑनलाइन प्रणाली मौजूद है, लेकिन उनके जैसे निर्माताओं को अपनी फिल्मों को बिना किसी परेशानी के प्रमाणित कराने के लिए ‘एजेंटों’ पर निर्भर रहना पड़ता था.
यह हवाला देते हुए कि उन्हें ऐसा करने के लिए दो एजेंटों को दो किश्तों में 6.5 लाख रुपये का भुगतान करना पड़ा, उन्होंने कथित तौर पर ‘मध्यस्थों’ के स्वामित्व वाले दो बैंक खातों में फंड ट्रांसफर के विवरण का भी दिया है.
उन्होंने कहा कि चूंकि बड़ी पैमाने पर पैसा दांव पर लगा था, इसलिए उनके पास ‘एजेंटों’ को रिश्वत देने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था. साथ ही उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड के मुंबई कार्यालय में भ्रष्ट कार्यप्रणाली से वह ‘आश्चर्यचकित’ हैं.
#Corruption being shown on silver screen is fine. But not in real life. Cant digest. Especially in govt offices. And even worse happening in #CBFC Mumbai office. Had to pay 6.5 lacs for my film #MarkAntonyHindi version. 2 transactions. 3 Lakhs for screening and 3.5 Lakhs for… pic.twitter.com/3pc2RzKF6l
— Vishal (@VishalKOfficial) September 28, 2023
विशाल ने कहा, ‘हमारे पास अन्य कोई विकल्प नहीं बचा था. हमसे सिर्फ स्क्रीनिंग के लिए पहले 3 लाख रुपये देने को कहा गया. बाकी 3.5 लाख रुपये प्रमाण-पत्र के लिए गए थे.’
उनकी फिल्म ‘मार्क एंटनी’ बीते शुक्रवार (29 सितंबर) को रिलीज हुई है.
उनकी पोस्ट वायरल होने के तुरंत बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मामले की जांच के आदेश देते हुए और एक्स पर कहा, ‘भ्रष्टाचार के प्रति सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति है और इसमें शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.’
इसमें कहा गया है, ‘मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को जांच करने के लिए नियुक्त किया गया है.’ साथ ही लोगों से ‘सीबीएफसी द्वारा उत्पीड़न के किसी अन्य उदाहरण’ के बारे में जानकारी साझा करने की अपील भी की गई है.
The issue of corruption in CBFC brought forth by actor @VishalKOfficial is extremely unfortunate.
The Government has zero tolerance for corruption and strictest action will be taken against anyone found involved. A senior officer from the Ministry of Information & Broadcasting…
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) September 29, 2023
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव नीरजा शेखर को उक्त जांच करने और जल्द से जल्द मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपने के लिए मुंबई भेजा गया है.
मंत्रालय के अलावा सीबीएफसी ने भी कथित भ्रष्टाचार के लिए अप्रत्यक्ष रूप से आवेदकों पर जिम्मेदारी डालते हुए एक बयान जारी किया है.
इसमें कहा गया है कि ऑनलाइन प्रमाणन प्रक्रिया के बावजूद आवेदक अभी भी बिचौलियों या एजेंटों के माध्यम से आवेदन करना चुनते हैं, जिससे तीसरे पक्ष (बिचौलियों) की भागीदारी की प्रणाली चालू रहती है. हालांकि, इसमें कहा गया है कि ऑनलाइन प्रमाणन प्रक्रिया अस्तित्व में आने के बाद एजेंटों की भागीदारी में भारी कमी आई है.
सीबीएफसी के अध्यक्ष प्रसून जोशी और सीईओ रविंदर भाकर ने कहा कि आरोपों को बहुत गंभीरता से लिया गया है और सेंसर बोर्ड भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ ‘कड़ी कार्रवाई’ करेगा. हालांकि इसने किसी को भी ‘सीबीएफसी की छवि खराब करने के किसी भी प्रयास’ के खिलाफ चेतावनी भी दी.
इस बीच इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन ने भी कहा कि वह विशाल द्वारा सीबीएफसी के खिलाफ लगाए गए आरोपों से चिंतित है और सीबीआई जांच की मांग करता है.
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