अगस्त 2022 में आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को क़तर में गिरफ़्तार कर लिया गया था. वह वहां दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज़ एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज़ में काम करते थे. वह अभी भी क़तर की जेल में बंद हैं, जबकि इनके साथ गिरफ़्तार दहरा ग्लोबल के मालिक एक ओमानी नागरिक को नवंबर 2022 में रिहा कर दिया गया था.
नई दिल्ली: सेवानिवृत्त सैनिकों के संगठन ‘इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट’ ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों की रिहाई और स्वदेश वापसी की अपील की है, जिन्हें कतर सरकार ने साल भर पहले गिरफ्तार कर एकांत कारावास में डाल दिया था.
8 former indian navy men are in a qatar jail for 1 year!!!! Their families continue to appeal to the Indian govt to get them home pic.twitter.com/jhIWsnDirJ
— sunetra choudhury (@sunetrac) September 30, 2023
जब 30 अगस्त 2022 को आठ पूर्व सैनिकों को उनके खिलाफ आरोपों की जानकारी दिए बिना गिरफ्तार किया गया, तो मामला एक राजनयिक और राजनीतिक विवाद में बदल गया था.
आठ पूर्व सैनिक – कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेन्दु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश – एक ओमानी नागरिक के स्वामित्व वाली सुरक्षा कंपनी ‘दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज’ में काम कर रहे थे.
ओमानी नागरिक रॉयल ओमानी वायुसेना के पूर्व स्क्वाड्रन लीडर थे. उन्हें भी गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर 2022 में रिहा कर दिया गया. हालांकि, आठ भारतीय पूर्व सैनिक अभी भी कतर की जेल में बंद हैं.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने तब मीडिया को बताया था कि उनकी तत्काल रिहाई और स्वदेश वापसी अधिकारियों के लिए उच्च प्राथमिकता का मामला है. लेकिन बाद में अप्रैल 2023 में उसने कहा कि भारत कतर की कानूनी प्रक्रिया में ‘हस्तक्षेप’ नहीं करेगा.
उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद भारतीय अधिकारियों ने कतर अधिकारियों को गिरफ्तार पूर्व सैनिकों को उनके परिवारों से बात करने देने के लिए मना लिया था और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि केंद्र सरकार उन्हें वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है.
लेकिन तब से यह मामला केवल लटका हुआ है. पूर्व सैनिकों पर लगे आरोपों पर कोई स्पष्टता के अभाव में अप्रैल 2023 में द ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि उन पर इज़रायल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया है और उन्हें मौत की सजा दी जा सकती है.
कई अन्य रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि गिरफ्तारी से तीन महीने पहले उनकी राजधानी दोहा में तैनात एक भारतीय राजनयिक के साथ ‘दोस्ताना बातचीत’ पर कतर के अधिकारियों के संदेह के चलते उन्हें हिरासत में लिया गया हो सकता है.
यह लगभग वही समय था जब विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह कतर की कानूनी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने को तैयार नहीं है. कतर की अदालत में अप्रैल और मई में इस मामले पर कम से कम दो सुनवाई हो चुकी है.
इंडियन एक्सप्रेस के लिए लिखते हुए निरुपमा सुब्रमण्यम ने कहा, ‘(सुरक्षा कंपनी दहरा के) प्रबंध निदेशक कमांडर पुर्णेंदु तिवारी (सेवानिवृत्त) को भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में उनकी सेवाओं के लिए 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला था. वह सशस्त्र बलों से यह पुरस्कार पाने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं. दोहा में तत्कालीन भारतीय राजदूत पी. कुमारन और कतर रक्षा बलों के अंतरराष्ट्रीय सैन्य सहयोग के पूर्व प्रमुख द्वारा उनका सम्मान किया गया था. यह समारोह भारतीय सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित किया गया था. भारतीय नौसेना के कैप्टन कपिल कौशिक, जो उस समय भारतीय दूतावास में रक्षा अधिकारी के रूप में तैनात थे, भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे.’
इस बीच, भारत में कांग्रेस पार्टी पूर्व सैनिकों को वापस लाने में विफलता के लिए मोदी सरकार पर हमलावर है.
बीते अप्रैल महीने में कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने एक बयान में कहा था, ‘पूर्व नौसेना कर्मियों के साथ गिरफ्तार किए गए एक ओमानी नागरिक को नवंबर में रिहा कर दिया गया था, भारतीय नागरिक अभी भी हिरासत में हैं.’
उन्होंने आरोप लगाया था कि मोदी सरकार अडानी समूह को बचाने के लिए कतर सरकार पर गलत तरीके से दबाव डालने को तैयार नहीं हो सकती है, क्योंकि कतर सरकार ने अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई में भारी निवेश किया है.
Here is my statement on the continued detention of retired Indian Navy personnel in Qatar a country with which Modani has a special relationship. Why has this relationship not helped the ex-servicemen so far? pic.twitter.com/JTtvnT3x8V
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) April 6, 2023
कांग्रेस के आरोप का जवाब देते हुए बागची ने तब भारत के रुख का बचाव किया था. बागची ने द हिंदू को बताया था, ‘हमारा दूतावास हिरासत में लिए गए भारतीय नागरिकों के परिवारों के साथ संपर्क में है और आवश्यक कॉन्सुलर पहुंच के साथ-साथ कानूनी सहायता भी प्रदान कर रहा है. हमने कॉन्सुलर पहुंच के एक और दौर के लिए भी अनुरोध किया है.’
उन्होंने कहा था, ‘सरकार इस मामले को उच्च प्राथमिकता देती है और मामले के संबंध में कतर के अधिकारियों के साथ संपर्क में है. मुझे नहीं लगता कि उनके खिलाफ लगे आरोपों का अभी खुलासा हुआ है. कानूनी प्रक्रिया चल रही है और हम उस पर कड़ी नजर रखेंगे.’
चूंकि मामला अधर में है, इसलिए पूर्व सैनिकों के परिवार उन्हें भारत वापस लाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं और अपील कर रहे हैं. पूर्णेंदु तिवारी की बहन डॉ. मीतू भार्गव ने भी नवंबर 2022 में एक ट्वीट करके गिरफ्तार पूर्व-सैनिकों के हालात का विवरण दिया था.
The Indian Government need to act immediately, swiftly & walk the talk if they really care about their defence personnel as today is 69th day of the illegal solitary confinement of our senior citizen Navy Veterans (officers) in Doha (Qatar) #Help #IndianNavy #Veterans #SOS https://t.co/22aqUsYEPz
— Meetu Bhargava (@DrMeetuBhargava) November 6, 2022
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