प्रदर्शन में शामिल नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम नामक संगठन की ओर से कहा गया है वह अगले कुछ दिनों तक सरकार की प्रतिक्रिया का इंतज़ार करेगा. अगर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो संगठन सभी राज्यों में भाजपा के ख़िलाफ़ अभियान चलाएगी और लोगों से 2024 के आम चुनाव में पार्टी को वोट न देने के लिए कहेगी.
नई दिल्ली: पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के कई लाख कर्मचारी रविवार (1 अक्टूबर) को राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में प्रदर्शन किया.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के इटावा से पहुंचे शिक्षक नेता सुनील बाजपेयी ने कहा कि अंडमान और लद्दाख समेत पूरे देश से 8 लाख से 10 लाख कर्मचारी जुटे थे.
केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के संगठन, नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) ने विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था.
एनएमओपीएस केंद्र और अधिकांश राज्यों द्वारा नई पेंशन योजना (एनपीएस) शुरू करने के बाद भर्ती किए गए कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली के लिए देशव्यापी आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है.
पुरानी पेंशन योजना एक कर्मचारी को उनके अंतिम आहरित वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर पेंशन का हकदार बनाता है. 2004 में केंद्र द्वारा शुरू की गई और अधिकांश राज्यों द्वारा अपनाई गई नई पेंशन योजना में सेवारत कर्मचारी को अपनी पेंशन के लिए सरकार के बराबर योगदान करने की आवश्यकता होती है. इस योजना में योगदान की उच्चतम दर पर भी अंतिम पेंशन पुरानी पेंशन योजना के तहत बहुत कम है.
एनएमओपीएस सदस्य बाजपेयी ने कहा कि केंद्र के रेलवे, रक्षा और डाक विभाग और सभी राज्य सरकार के विभागों के कर्मचारियों ने बैठक में भाग लिया.
उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शन में किसान नेता राकेश टिकैत और विपक्षी नेताओं जैसे कांग्रेस से उदित राज, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह और समाजवादी पार्टी से कुलदीप यादव सहित कई नेताओं ने भाग लिया.’
बाजपेयी ने कहा कि बैठक में निर्णय लिया गया कि एनएमओपीएस अगले कुछ दिनों तक सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार करेगा.
उन्होंने कहा, ‘अगर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिलती है, तो एनएमओपीएस सभी राज्यों में भाजपा के खिलाफ अभियान चलाएगी और लोगों से 2024 के आम चुनाव में पार्टी को वोट न देने के लिए कहेगी.’
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन के राष्ट्रीय संयोजक एवं महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा, ‘जो कर्मचारी 1 जनवरी 2004 के बाद सरकारी सेवा में आए हैं, वे नई पेंशन योजना का कड़ा विरोध कर रहे हैं. वे सेवानिवृत्ति के बाद अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि उन्हें पुरानी पेंशन योजना से वंचित कर दिया गया है और नई पेंशन योजना लेने के लिए मजबूर किया गया है.’
नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के नेता विजय कुमार बंधु ने बताया, ‘हमने पुरानी पेंशन योजना को वापस लाने का आह्वान किया है और अपने संघर्ष से कई राज्यों में इसे सफलतापूर्वक वापस लाया गया है. हमारी टीम का मानना है कि अगर केंद्र सरकार इसकर (पुरानी पेंशन योजना) पुष्टि करती है, तो जिम्मेदारी राज्य सरकार पर नहीं होगी. यही कारण है कि हम दिल्ली के रामलीला मैदान में विरोध करने आए है.’
द टेलीग्राफ के अनुसार, केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने नई पेंशन योजना में सुधार का सुझाव देने के लिए इस साल अप्रैल में एक समिति का गठन किया था. समिति को अभी अपनी रिपोर्ट सौंपनी बाकी है. हालांकि, बंधु ने कहा कि एनएमओपीएस पुरानी पेंशन योजना की वापसी चाहता है, बेहतर एनपीएस नहीं.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ये विरोध प्रदर्शन सत्तारूढ़ शासन के खिलाफ हमारे सरकारी अधिकारियों के गुस्से को दर्शाते हैं.
उन्होंने कहा, ‘हमने कांग्रेस शासित राज्यों में ओपीएस लागू किया, क्योंकि यह उनका अधिकार है. 20 लाख लोगों की ये भीड़ एक कहानी कहती है कि भाजपा के दिन अब गिनती के रह गए हैं.’
रैली में टिकैत ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि किसान उनके साथ हैं, वहीं, आप के संजय सिंह ने कहा कि उन्होंने हमेशा संसद में भाषणों के दौरान पुरानी पेंशन योजना को वापस लाने का मुद्दा उठाया है.