सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामला: ‘सीबीआई कॉन्ट्रैक्ट वर्कर है, जो सरकार के हिसाब से काम कर रही है’

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बृजगोपाल लोया की मौत पर द कारवां पत्रिका के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल से बातचीत.

///

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सुनवाई कर रहे सीबीआई जज बृजगोपाल लोया की मौत पर द कारवां पत्रिका ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें उनके परिजनों ने उनकी मृत्यु की संदेहास्पद परिस्थितियों पर सवाल उठाए, साथ ही उन्हें सोहराबुद्दीन मामले में अमित शाह के पक्ष में फैसला देने के लिए 100 करोड़ रुपये की रिश्वत देने के प्रस्ताव की बात भी कही. इस रिपोर्ट पर द कारवां के पॉलिटिकल एडिटर हरतोष सिंह बल से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.

सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश बृजगोपाल लोया की अचानक हुई मौत के लगभग तीन साल बाद उनके परिजनों ने चुप्पी तोड़ते हुए उनकी मौत पर सवाल खड़े किए हैं.

मालूम हो कि गुजरात के इस चर्चित मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत गुजरात पुलिस के कई आला अधिकारियों के नाम आए थे.

बृजगोपाल लोया के परिजनों से हुई बातचीत का हवाला देते हुए सोमवार को द कारवां पत्रिका में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट में लोया की मौत की संदेहास्पद परिस्थितियों पर सवाल उठाए गए हैं.

ज्ञात हो कि लोया की मौत 1 दिसंबर 2014 को नागपुर में हुई थी, जिसकी वजह दिल का दौरा पड़ना बताया गया था. वे नागपुर अपनी सहयोगी जज स्वप्ना जोशी की बेटी की शादी में गए हुए थे.

द कारवां की इस रिपोर्ट में उनके परिजनों की ओर से कई सवाल उठाए गए हैं, जैसे-

  • लोया की मौत के समय को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार मृत्यु का समय 1 दिसंबर 2014 को सुबह 6:15 बजे दर्ज है, जबकि परिजनों के मुताबिक उन्हें एक तारीख़ को सुबह 5 बजे फोन पर उनकी मृत्यु की सूचना दी गई थी.
  • लोया की मौत दिल के दौरे से होना बताया गया, जबकि परिजनों ने उनके कपड़ों पर खून के धब्बे देखे थे.
  • लोया के पिता के अनुसार उनके सिर पर चोट भी थी.
  • परिवार को लोया का फोन मौत के कई दिन बाद लौटाया गया, जिसमें से डाटा डिलीट किया गया था.
  • साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि रवि भवन से सबसे नज़दीकी ऑटो स्टैंड की दूरी दो किलोमीटर है. ऐसे में आधी रात को ऑटो मिलना कैसे संभव हुआ.
  • एक सवाल ईश्वर बहेटी नाम के आरएसएस कार्यकर्ता पर भी उठाया गया है. इसी कार्यकर्ता ने लोया की मौत के बाद पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव ले जाने की जानकारी परिजनों को दी, साथ ही लोया का फोन भी परिवार को बहेटी ने ही लौटाया था.
  • पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के हर पन्ने पर एक व्यक्ति के दस्तखत हैं, जिसके नीचे मृतक से संबंध मराठी में ‘चचेरा भाई’ लिखा है, लेकिन परिवार का कहना है कि परिवार में ऐसा कोई व्यक्ति ही नहीं है.
  • रिपोर्ट कहती है कि लोया की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई, तो फिर पोस्टमॉर्टम की ज़रूरत क्यों पड़ी?

पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें.

द कारवां पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार लोया की बहन अनुराधा बियानी ने बताया कि उनके भाई बृजगोपाल लोया को उस समय बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहित शाह द्वारा सोहराबुद्दीन मामले में उनके कहे अनुसार फैसला देने के एवज में 100 करोड़ रुपये देने की बात कही गई थी.

पत्रिका के रिपोर्टर से बात करते हुए अनुराधा ने बताया कि मौत से कुछ समय पहले जब वे लोग दिवाली पर अपने गांव में मिले थे तब लोया ने उन्हें यह बात बताई थी.

लोया के पिता हरकिशन लोया ने भी इस बात की पुष्टि की और बताया कि इस मामले में पक्ष में फैसला देने के लिए उनके बेटे को पैसे और मुंबई में घर का प्रस्ताव दिया गया था.

पूरी रिपोर्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें.