देवरिया सामूहिक हत्याकांड: ज़मीन विवाद की शिकायत पर कार्रवाई न करने पर 15 अफ़सर सस्पेंड

आरोप है कि उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले के एक गांव में बीते 2 अक्टूबर को ज़मीन विवाद को लेकर सत्य प्रकाश दुबे ने प्रेमचंद यादव की हत्या कर दी थी. इसके बाद यादव परिवार ने सत्य प्रकाश समेत उनके परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी थी. सत्य प्रकाश ने पिछले कुछ सालों में कई बार यूपी सरकार की एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली पर विवाद की शिकायत की, लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की थी.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एक्स)

आरोप है कि उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले के एक गांव में बीते 2 अक्टूबर को ज़मीन विवाद को लेकर सत्य प्रकाश दुबे ने प्रेमचंद यादव की हत्या कर दी थी. इसके बाद यादव परिवार ने सत्य प्रकाश समेत उनके परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी थी. सत्य प्रकाश ने पिछले कुछ सालों में कई बार यूपी सरकार की एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली पर विवाद की शिकायत की, लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की थी.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में दो परिवारों के बीच काफी समय से चले आ रहे जमीन विवाद ने बीते दिनों हिंसक मोड़ ले लिया. इसके परिणामस्वरूप दो परिवारों के 6 सदस्यों की बीते 2 अक्टूबर की हत्या कर दी गई.

इस सामूहिक हत्याकांड को देवरिया जिले में रुद्रपुर थाना क्षेत्र के फतेहपुर गांव के लेहड़ा टोला में अंजाम दिया गया. लंबे समय से चले आ रहे भूमि विवाद को लेकर बीते 2 अक्टूबर को प्रेमचंद यादव की हत्या के बाद कथित तौर पर उनके परिवार के सदस्यों ने प्रतिद्वंद्वी सत्य प्रकाश दुबे (54 वर्ष) उनकी पत्नी किरण दुबे (52 वर्ष), बेटी सलोनी (18 वर्ष), नंदिनी (10 वर्ष) और बेटे गांधी (15 वर्ष) को मार डाला.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, पहले जमीनी विवाद में पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रेमचंद यादव की हत्या हुई. फिर सत्य प्रकाश दुबे समेत उनके परिवार के 5 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. इसमें पति-पत्नी, दो बेटियों और बेटे का गला काटा गया. उन्हें गोली मारी गई. इसके बाद ईंट से सिर कूंच दिए गए.

हमलावरों ने दुबे के 8 साल के बेटे अनमोल तक को नहीं छोड़ा. उस पर भी कई वार किए और उसे मरा समझकर छोड़ गए. हालांकि, उसकी सांसें चलती रहीं, उसे गंभीर हालत में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एडमिट कराया गया है.

अब पता चला है कि अपने प्रतिद्वंद्वी प्रेमचंद पर जमीन हड़पने का आरोप लगाते हुए सत्य प्रकाश दुबे ने पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश सरकार की एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईजीआरएस) को कई शिकायतें भेजी थीं.

रिपोर्ट के अनुसार, सत्य प्रकाश ने 4 साल में करीब 17 बार अधिकारियों की चौखट से लेकर एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली पर जमीन विवाद की शिकायत की थी. जांच भी हुई, लेकिन एसडीएम और सीओ से लेकर तहसीलदार तक सिर्फ खानापूर्ति करते रहे.

इस हत्याकांड के बाद जब यह मामला सामने आया तो बीते गुरुवार (5 अक्टूबर) को प्रशासन ने एसडीएम-तहसीलदार समेत 15 अफसरों को सस्पेंड कर दिया है. इनमें वो अफसर भी शामिल हैं, जो मौजूदा वक्त में तो वहां तैनात नहीं हैं, लेकिन अपनी तैनाती के वक्त उन्होंने भी इस मामले में कार्रवाई नहीं की थी.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि सत्य प्रकाश दुबे और उनके भाई साधु दुबे फतेहपुर गांव के लेहड़ा टोला इलाके के निवासी थे. दो साल पहले साधु दुबे ने अपनी जमीन अभयपुर यादव टोला के प्रेमचंद यादव को बेच दी थी और गुजरात में बस गए थे.

हालांकि, सत्य प्रकाश दुबे ने दावा किया था कि उनके छोटे भाई जमीन बेचने के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं थे, जबकि यादव जमीन पर कब्जा करना चाहते थे.

2 अक्टूबर को प्रेमचंद यादव जमीन पर कब्जा करने पहुंचे थे, जिसका सत्य प्रकाश और उनके परिवार ने विरोध किया, जो हिंसक हो गया, परिणामस्वरूप दोनों परिवारों के छह सदस्यों की हत्या कर दी गई.

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