भारतीय जनता पार्टी के सोशल मीडिया पर एक पोस्टर साझा किया गया, जिसमें अरबपति समाजसेवी जॉर्ज सोरोस द्वारा राहुल गांधी को कठपुतली बनाकर चलाते हुए दिखाया गया है. सोरोस की यह तस्वीर जो एक वायरल दक्षिणपंथी यहूदी विरोधी मीम है. इस पोस्टर की आलोचना करते हुए इसे घृणात्मक और विकृत बताया गया है.
नई दिल्ली: वैश्विक टिप्पणीकारों ने अरबपति समाजसेवी जॉर्ज सोरोस के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा बनाए गए उस पोस्टर का संज्ञान लिया है, जिसमें सोरोस को एक कठपुतली का खेल दिखाने वाले के रूप में पेश किया गया है, जो कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद राहुल गांधी की डोर अपने हाथ में थामे हुए हैं. पोस्टर में उनकी छवि पूरी तरह से यहूदी-विरोधी के रूप में दिखाई गई है.
इजरायली अखबार हारेत्ज़ की प्रधान संपादक एस्थर सोलोमन ने पोस्टर को ‘आकर्षित करने वाला, घृणास्पद और विकृत’ करार दिया.
उन्होंने एक पोस्ट में लिखा, ‘दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल, मोदी की भाजपा कठपुतली नचाते हुए सोरोस की तस्वीर का इस्तेमाल कर रही है, जो एक वायरल दक्षिणपंथी यहूदी विरोधी मीम है. यह ध्यान आकर्षित करने वाला, घृणात्मक और विकृत है. इजरायल की धुर दक्षिणपंथी सरकार से इस पर आपत्ति की अपेक्षा न करें. नेतन्याहू के मंत्रियों को यह बहुत पसंद है.’
सोलोमन संभवत: उन बैठकों का जिक्र कर रही थीं, जो इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने पिछले महीने एलन मस्क के साथ की थीं, जिनकी आलोचना भी हुई थी. नेतन्याहू को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोस्तों में भी गिना जाता है, दोनों ही नेता अक्सर व्यक्तिगत संबंधों को प्रदर्शित करने का प्रयास करते हैं.
एक तीखी टिप्पणी में ब्रिस्बेन के ग्रिफिथ एशिया इंस्टिट्यूट में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर और ऑस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टीट्यूट के मानद फेलो डॉ. इयान हॉल ने एक्स पर कहा, ‘यह भारत में अच्छा लग सकता है (और शायद इस मंच पर भी) लेकिन अन्य जगहों पर यह वास्तव में बहुत बदसूरत और सीधे तौर पर यहूदी विरोधी दिखता है.’
लंदन के द फाइनेंशियल टाइम्स के लेखक और विदेशी मामलों के मुख्य टिप्पणीकार गिदिओन रैशमैन ने भी डॉ. हॉल की बात आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘यह देखना निराशाजनक है कि वे पश्चिम के कुछ सबसे कुरूप और घृणित पहलुओं को इतने उत्साह के साथ कैसे अपनाते हैं.’
इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं आई हैं और भाजपा के सोशल मीडिया प्रयासों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का अपमान करने के लिए इस्तेमाल किए गए प्रसिद्ध यहूदी-विरोधी प्रतीक की ओर ध्यान आकर्षित किया है.
कठपुतली चलाना यहूदी-विरोधी संकेत है
इसका भी एक कारण है, जो तब सामने आया था, जब 2021 में फॉक्स न्यूज ने कठपुतली मीम से जॉर्ज सोरोस को हटा दिया था (जो फेसबुक और इंस्टाग्राम समेत इसके सोशल मीडिया एकाउंट्स पर पोस्ट किया गया था) क्योंकि एंटी-डिफेमेशन लीग (एडीएल) ने शिकायत की थी कि यह लंबे समय से चली आ रही यहूदी विरोधी विचार को बल देता है.
एडीएल न्यूयॉर्क का एक गैर-सरकारी संगठन है, जो खुद को एक ऐसे संगठन के रूप में परिभाषित करता है जो ‘यहूदी लोगों का अपमान रोकने और सभी के लिए न्याय और समान व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए’ काम करता है.
कार्टून के अनुसार, मीम में 92 वर्षीय यहूदी फाइनेंसर, जो अक्सर धुर-दक्षिणपंथी षड्यंत्र के सिद्धांतों का विषय होता है, को डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले दो गधों के धागे खींचते हुए प्रदर्शित किया गया था, प्रयास जो अराजकता और अव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे थे.
एडीएल ने लिखा था, ‘जैसा कि हमने फॉक्स न्यूज को कई बार बताया है कि एक यहूदी व्यक्ति को कठपुतली चलाने वाले के रूप में पेश करना, जो द्वेषपूर्ण उद्देश्यों के लिए राष्ट्रीय घटनाओं को प्रभावित करता है, यहूदी शक्ति के बारे में लंबे समय से चले आ रहे यहूदी-विरोधी विचारों को जन्म देता है. साथ ही यहूदी-विरोध का सामान्यीकरण करने में योगदान देता है. इसे हटाए जाने की जरूरत है.’
As we have told @FoxNews numerous times, casting a Jewish individual as a puppet master who manipulates national events for malign purposes conjures up longstanding antisemitic tropes about Jewish power + contributes to the normalization of antisemitism. This needs to be removed. pic.twitter.com/gyWTrSvNtR
— ADL (@ADL) December 15, 2021
कठपुतली नचाने वाले यहूदी का विचार यूरोप में सदियों से अल्पसंख्यक यहूदी समुदाय पर सभी प्रकार की चिंताओं के लिए सारा दोष मढ़ने के अभियान का एक हिस्सा रहा है.
मोदी सरकार पर हमला करने के अभियान का नेतृत्व करने के कारण जॉर्ज सोरोस पर आमतौर पर भाजपा समर्थकों द्वारा हमला किया जाता है.
फरवरी में, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर सोरोस को ‘बूढ़ा, अमीर, हठधर्मी और खतरनाक’ बताने के लिए आलोचना के घेरे में आ गए थे. तब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोकतंत्र पर सोरोस की टिप्पणियों और ‘लोकतांत्रिक मानदंडों पर वैश्विक बहस के उनके आह्वान’ पर प्रतिक्रिया दे रहे थे.
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