करगिल में लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बाद पार्टी उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में देरी के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ चुनाव आयोग को भी दोषी ठहराया. अब्दुल्ला ने आयोग से चुनाव न कराने के कारणों को बताने के लिए कहा है.
नई दिल्ली: करगिल में लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी) के चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस के सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के एक दिन बाद पार्टी के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर चुनावों में देरी के लिए केंद्र के साथ-साथ भारत के चुनाव आयोग को भी दोषी ठहराया.
बीते सोमवार (9 अक्टूबर) को 5 राज्यों विधानसभा चुनाव की घोषणा के दौरान पूछे गए एक सवाल के जवाब में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर चुनावों पर ‘उचित समय पर’ विचार किया जाएगा.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी इस टिप्पणी का जिक्र करते हुए उमर ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी वे कह रहे हैं कि उन्हें अन्य कारकों पर विचार करने की आवश्यकता है. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि ये कारक क्या हैं? हमें लगता है कि केवल एक ही कारक है, वह है डर.’
सोमवार (9 अक्टूबर) को एक संवाददाता सम्मेलन में मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार के बयान का जिक्र करते हुए, जहां उन्होंने टिप्पणी की थी कि जम्मू-कश्मीर चुनावों पर ‘उचित समय पर’ विचार किया जाएगा, उमर ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी वे कह रहे हैं कि उन्हें अन्य कारकों पर विचार करने की आवश्यकता है. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि ये कारक क्या हैं? हमें लगता है कि केवल एक ही कारक है, वह है डर.’
अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा पहले राजभवन (राज्यपाल) के पीछे छुपी हुई थी और अब चुनाव आयोग को ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. उन्होंने कहा, ‘चुनाव आयोग अपने फैसले स्वतंत्र रूप से लेने के बजाय भाजपा से निर्देश ले रहा है.’
अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति पर भी सवाल उठाया और कहा, ‘5 अगस्त, 2019 के बाद से यह अनुमान लगाया गया है कि कश्मीर में स्थिति बदल गई है. अगर यह सच है, तो बताएं कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को सरकार के लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित करने के लिए कौन से कारक जिम्मेदार हैं.’
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, उमर अब्दुल्ला ने चुनाव आयोग से जम्मू-कश्मीर में चुनाव न कराने के कारणों को बताने के लिए कहा.
उन्होंने कहा, ‘इससे पहले आयोग ने माना था कि एक खालीपन है, जिसे भरने की जरूरत है. क्या हालात इतने खराब हैं कि चुनाव नहीं कराए जा सकते? लेकिन भारत सरकार दुनिया भर में यह कहानी सुना रही है कि जम्मू-कश्मीर शांतिपूर्ण है और हजारों की संख्या में पर्यटक आ रहे हैं.’
नेशनल कॉन्फ्रेंस द्वारा रविवार (8 अक्टूबर) को करगिल में 26-सदस्यीय लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद का चुनाव बहुमत के साथ जीतने पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘करगिल के फैसले से यह साबित हो गया कि जम्मू-कश्मीर के विभाजन को कश्मीर में उतना ही नापसंद किया गया, जितना कि जम्मू और लद्दाख में. सच्चाई यह है कि ये चुनाव विकास के लिए नहीं, बल्कि 5 अगस्त, 2019 को भारत सरकार के कार्यों के खिलाफ थे. करगिल ने अपने वोट से स्पष्ट कर दिया कि लोग इसके साथ नहीं हैं.’
उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस की जीत से जम्मू-कश्मीर में चुनाव में और देरी होने की संभावना है.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘विधानसभा चुनावों को छोड़ दें, सरकार पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों के चुनाव नहीं करा रही है. नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बैठक की खबरों के बाद यह साफ हो गया. सरकार जम्मू-कश्मीर में लोकसभा का चुनाव भी नहीं होने देगी.’