इज़रायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में अब तक सीमा के दोनों ओर 1,200 से अधिक लोग मारे गए हैं.
नई दिल्ली: इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में सीमा के दोनों ओर 1,200 से अधिक लोग मारे गए हैं. इजरायल में पिछले दो दिनों में बीते कई दशकों में हुए किसी भी अन्य हमले के मुकाबले अधिक मौतें दर्ज की गई हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्र में मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (OCHA-OPT) द्वारा दर्ज आंकड़े हिंसा के पैमाने की खौफनाक तस्वीर दिखाते हैं जो इस क्षेत्र के लोगों ने झेली है.
आंकड़े बताते हैं कि साल 2008 से सितंबर 2023 तक 6,407 फ़िलिस्तीनी मारे गए, जिनमें से आधे से अधिक मौतें मिसाइल हमलों के चलते हुईं. इसी अवधि में संयुक्त राष्ट्र ने संघर्ष स्थितियों में 308 इजरायलियों की मौत दर्ज की.
बीते हफ्ते शुरू हुए ताज़ा हमले से पहले आखिरी बड़ी लड़ाई मई 2021 में हुई थी जब इजरायलियों ने रमज़ान के महीने के दौरान यरूशलेम के दमिश्क गेट के पास अल-अक्सा मस्जिद की ओर जाने वाले रास्ते पर मेटल बैरिकेडिंग लगा दी थीं. 11 दिनों के संघर्ष में 349 फिलिस्तीनियों और 11 इजरायलियों की मौत हुई थी. एक रॉकेट हमले में वहां काम करने वाली एक भारतीय महिला की भी जान गई थी.
इजरायली मानवाधिकार संगठन B’Tselem के अनुसार, हालिया हिंसा शुरू होने से पहले साल 2000 से इस साल तक 10,712 फिलिस्तीनी और 1,330 इजरायली मारे गए थे.
1987 में पहले इंतिफ़ादा के कारण फ़िलिस्तीन में काफी खूनखराबा हुआ, जिसके बाद आखिरकार ओस्लो शांति समझौता हुआ. हालांकि, इजरायल के अंदर होने वाले आत्मघाती बम धमाकों के चलते हिंसा में कमी नहीं आई और गाजा और भी दबाव बढ़ता रहा.
कैंप डेविड वार्ता विफल होने के कुछ महीने बाद दूसरा इंतिफादा शुरू हुआ. 2005 में इज़रायल गाजा से हट तो गया, लेकिन फ़िलिस्तीनियों की आवाजाही पर ज्यादा प्रतिबंध लगा दिए गए.
2008 और 2009 में हताहतों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई थी जब इज़राइली शहर सेडरोट की ओर रॉकेट लॉन्च किए जाने के बाद इज़रायल ने गाजा पर हमला किया था. जनवरी 2009 में युद्धविराम की घोषणा से पहले लगभग 1,400 फ़िलिस्तीनी और 13 इज़रायली मारे गए थे.
फिलिस्तीन के लिए सबसे घातक साल 2014 था, जब हमास ने तीन इजरायली लड़कों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी थी. सात हफ़्तों की जंग, जिसमें इज़रायली हवाई हमले और हमास के रॉकेट लॉन्च शामिल थे, में 2,310 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे गए. तब इज़रायली पक्ष की ओर से मरने वालों की संख्या 73 थी, जिसमें 67 सैनिक और बाकी नागरिक शामिल थे.