जम्मू-कश्मीर में भारी मात्रा में हथियारों की बरामदगी से सुरक्षा बल चिंतित

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू कश्मीर में पिछले चार वर्षों में हथियारों, गोला-बारूद, आईईडी और डेटोनेटर की सबसे ज़्यादा बरामदगी हुई है. साल 2018 में 275, 2019 में 185, 2020 में 453, 2021 में 364, 2022 में 485 और इस साल 67 हथियार बरामद किए गए हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: ट्विटर)

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू कश्मीर में पिछले चार वर्षों में हथियारों, गोला-बारूद, आईईडी और डेटोनेटर की सबसे ज़्यादा बरामदगी हुई है. साल 2018 में 275, 2019 में 185, 2020 में 453, 2021 में 364, 2022 में 485 और इस साल 67 हथियार बरामद किए गए हैं.

(प्रतीकात्मक फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में हिंसा की घटनाओं में भारी गिरावट आई है, लेकिन पिछले चार वर्षों में हथियारों, गोला-बारूद, इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) और डेटोनेटर की सबसे ज्यादा बरामदगी ने सुरक्षा बलों की चिंता बढ़ा दी है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय की 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में चल रहा आतंकवाद ‘अंतरराष्ट्रीय सीमा’ के साथ-साथ ‘नियंत्रण रेखा’ (एलओसी) के पार से आतंकवादियों की घुसपैठ से जुड़ा हुआ है.

अखबार ने 2018 से इस साल 31 मई तक सुरक्षा बलों द्वारा संकलित वर्षवार डेटा हासिल किया है. आंकड़ों से पता चलता है कि 2018 में 131 डेटोनेटर, 2019 में 31, 2020 में 97, 2021 में 89, पिछले साल (2022) 154 और इस साल (2023) 9 डेटोनेटर बरामद किए गए हैं.

आंकड़ों में कहा गया है, ‘2018 में 35 आईईडी, 2019 में 12, 2020 में पांच, 2021 में 16, 2022 में 39 आईईडी और इस साल मई तक 15 आईईडी बरामद किए गए हैं.’

सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर लगभग तीन दशकों से सीमा पार से प्रायोजित और समर्थित आतंकवादी और अलगाववादी हिंसा से प्रभावित है. हालांकि उन्होंने भारी मात्रा में बरामदगी की है, लेकिन बढ़ती संख्या राज्य पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि हमलों के लिए हथियारों और गोला-बारूद की खेप सफलतापूर्वक पहुंचाए जाने की संभावना है.

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि उन्होंने 2018 में 275, 2019 में 185, 2020 में 453, 2021 में 364, 2022 में 485 और इस साल 67 हथियार बरामद किए हैं.

आंकड़ों में कहा गया है, ‘2018 में 11,568, 2019 में 10,497, 2020 में 20,016, 2021 में 10,201, पिछले साल 15,808 और इस साल 2,868 गोला-बारूद बरामद किए गए हैं.’

2018 से इस साल तक जम्मू-कश्मीर में 268.4 किलोग्राम विस्फोटक और 2,021 ग्रेनेड बरामद किए गए हैं.

आंकड़ों में कहा गया है, ‘2018 में 5 किलो विस्फोटक, 2019 में 53 किलो, 2020 में 108 किलो, 2021 में 72 किलो, 2022 में 30.4 किलो विस्फोटक बरामद किया गया और इस साल कोई बरामदगी नहीं हुई. जबकि 2018 में 254, 2019 में 287, 2020 में 589, 2021 में 412, 2022 में 390 और इस साल 89 ग्रेनेड बरामद किए गए हैं.’

गृह मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि जून 2004 से मई 2014 के बीच जम्मू-कश्मीर में 7,217 हिंसक घटनाएं दर्ज की गईं. जून 2014 से इस साल अगस्त तक 70 प्रतिशत की गिरावट आई और 2,197 घटनाएं दर्ज की गईं. जून 2004 से मई 2014 के बीच नागरिकों और सुरक्षा बलों की कुल मौतों की संख्या 2,829 थी. जून 2014 और इस साल अगस्त के बीच 69 प्रतिशत की गिरावट आई और 891 मौतें हुई हैं.

आंकड़ों में कहा गया है, ‘जून 2004 से मई 2014 तक 1,769 नागरिकों की मौत हुई, जबकि पिछले नौ वर्षों में 336 मौतें हुईं, जो 81 प्रतिशत की गिरावट है. जून 2004 से मई 2014 तक सुरक्षाकर्मियों की 1,060 मौतें हुईं, जबकि इस साल अगस्त तक 555 मौतें (48 प्रतिशत की गिरावट) हुई हैं.’

मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की निगरानी और समीक्षा सेना, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और अन्य एजेंसियों द्वारा की जाती है. मंत्रालय जम्मू-कश्मीर और रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर सुरक्षा स्थिति की निगरानी भी करता है.