हज़ारों एनजीओ लाइसेंस रद्द होने के बीच राम मंदिर ट्रस्ट ने एफसीआरए लाइसेंस के लिए आवेदन किया

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के लिए स्थापित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि अब तक विदेशी चंदे के लिए आवेदन न करने के क़ानूनी कारण थे, लेकिन अब सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं. उन्होंने यह भी बताया है कि ट्रस्ट के कोष में अभी 3,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा हैं.

राम मंदिर का प्रस्तावित डिज़ाइन.

अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के लिए स्थापित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि अब तक विदेशी चंदे के लिए आवेदन न करने के क़ानूनी कारण थे, लेकिन अब सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं. उन्होंने यह भी बताया है कि ट्रस्ट के कोष में अभी 3,000 करोड़ रुपये से अधिक जमा हैं.

राम मंदिर का प्रस्तावित डिज़ाइन.

नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण पर लगभग 900 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद मंदिर ट्रस्ट, जिसके खजाने में 3,000 करोड़ रुपये पड़े हैं, ने विदेशी दान प्राप्त करने की अनुमति देने वाले लाइसेंस के लिए आवेदन किया है.

द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के लिए स्थापित ट्रस्ट श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत पंजीकरण के लिए एक आवेदन प्रस्तुत किया है. यह अधिनियम भारतीय संस्थाओं और उनकी सहायक कंपनियों को मिलने विदेशी योगदान को विनियमित करता है.

गौरतलब है कि यह खबर तब सामने आ रही है जब सरकार द्वारा एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द करने के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी जा रही है. राजनीतिक विश्लेषकों और सिविल राइट्स समूहों का कहना है कि यह भाजपा सरकार का अपने आलोचक संगठनों को दबाने का तरीका है.

उल्लेखनीय है कि जनवरी 2020 में 10,000 से अधिक एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया गया था. वहीं, जनवरी 2022 में सरकार ने लगभग 6000 गैर-लाभकारी संस्थाओं के एफसीआरए लाइसेंस को रद्द कर दिया था, जिनमें मदर टेरेसा की मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी, ऑक्सफैम इंडिया, दिल्ली विश्वविद्यालय, आईआईटी दिल्ली और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय जैसी प्रमुख संस्थाएं शामिल थीं. हाल ही में, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर) जैसे थिंक टैंक और बच्चों, महिलाओं और लिंग आधारित हिंसा से बचे लोगों के साथ काम करने वाले तीन एनजीओ के लाइसेंस रद्द किए गए हैं.

इस बीच, मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, ‘अब तक, ट्रस्ट ने (मंदिर के निर्माण के लिए) विदेशी मुद्रा में फंड प्राप्त करने के लिए भारत सरकार के समक्ष कोई आवेदन नहीं दिया है. इसके पीछे कानूनी कारण थे. लेकिन अब हमने सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं और एफसीआरए के तहत ट्रस्ट के पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन जमा कर दिया है.’

सुप्रीम कोर्ट के नवंबर 2019 के फैसले से मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने के बाद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसके सहयोगियों ने 2021 में मंदिर निर्माण के लिए धन इकट्ठा करने के लिए ‘निधि समर्पण अभियान’ शुरू किया था.

राय ने कहा, ‘अगर हम 5 फरवरी 2020 से शुरू करें तो 31 मार्च 2023 तक मंदिर के निर्माण और अन्य संबंधित कार्यों पर लगभग 900 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. आज भी बचत जमा और सावधि जमा में हमारे पास अभी भी 3,000 करोड़ रुपये से अधिक हैं. जिसका मतलब है कि ‘निधि समर्पण अभियान’ के तहत जो भी एकत्र किया गया है, उसका बहुत कम हिस्सा अब तक खर्च किया गया है. ‘

उन्होंने कहा, ‘ऑनलाइन माध्यम से दान आदि के जरियेजो पैसा प्राप्त हुआ है, उसका भी लगातार उपयोग किया जा रहा है.’

मंदिर ट्रस्ट ने अगले दो वर्षों में 5 लाख गांवों में ‘अक्षत पूजा’ के चावल वितरित करने के अलावा 10 करोड़ से अधिक घरों में राम की प्रतिमा की एक तस्वीर वितरित करने की भी योजना बनाई है. ऐसा संकेत दिया गया है कि इसी तरह के कामों में 3,000 करोड़ रुपये और संभावित विदेशी दान की राशि खर्च किए जा सकते हैं.

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