देशभर के सूचना आयोगों के पास तीन लाख से अधिक अपीलें और शिकायतें लंबित: रिपोर्ट

12 अक्टूबर, 2023 को भारत में आरटीआई अधिनियम के कार्यान्वयन के 18 वर्ष पूरे हुए हैं. इससे पहले सूचना आयोगों के प्रदर्शन पर जारी एक रिपोर्ट बताती है कि देश के सूचना आयोगों में लंबित अपीलों की सबसे अधिक संख्या महाराष्ट्र (1,15,524)  और उसके बाद कर्नाटक (41,047) में है.

(फोटो साभार: विकीपीडिया)

12 अक्टूबर, 2023 को भारत में आरटीआई अधिनियम के कार्यान्वयन के 18 वर्ष पूरे हुए हैं. इससे पहले सूचना आयोगों के प्रदर्शन पर जारी एक रिपोर्ट बताती है कि देश के सूचना आयोगों में लंबित अपीलों की सबसे अधिक संख्या महाराष्ट्र (1,15,524)  और उसके बाद कर्नाटक (41,047) में है.

(फोटो साभार: विकीपीडिया)

नई दिल्ली: एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देशभर के 27 राज्य सूचना आयोगों में कुल 3,21,537 अपीलें और शिकायतें लंबित हैं और बैकलॉग लगातार बढ़ रहा है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, लंबित अपीलों की सबसे अधिक संख्या महाराष्ट्र (1,15,524) में है, उसके बाद कर्नाटक (41,047) में है. बताया गया है कि तमिलनाडु ने इस बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया.

भारत में सूचना आयोगों के प्रदर्शन पर रिपोर्ट कार्ड- 2022-23 में कहा गया है कि 2019 के आकलन में पाया गया कि उस वर्ष 31 मार्च तक 26 सूचना आयोगों में कुल 2,18,347 अपील/शिकायतें लंबित थीं, जो 30 जून, 2021 तक बढ़कर 2,86,325 हो गईं और फिर 30 जून, 2022 तक आंकड़ा तीन लाख को पार कर गया.

यह रिपोर्ट देश भर के सूचना आयोगों के प्रदर्शन और शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाले नागरिकों के समूह सतर्क नागरिक संगठन (एसएनएस) द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत प्राप्त जानकारी के आधार पर संकलित की गई है.

रिपोर्ट बताती है कि चार सूचना आयोग- झारखंड, तेलंगाना, मिजोरम और त्रिपुरा – निष्क्रिय हैं क्योंकि यहां पिछले अधिकारी के पद छोड़ने के बाद कोई नया सूचना आयुक्त नियुक्त नहीं किया गया. केंद्रीय सूचना आयोग को मिलाकर छह राज्यों- मणिपुर, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार और पंजाब के सूचना आयोग वर्तमान में नेतृत्वहीन हैं.

उल्लेखनीय है कि 12 अक्टूबर, 2023 को भारत में आरटीआई अधिनियम के कार्यान्वयन के 18 वर्ष पूरे हुए हैं. यह अधिनियम साल 2005 में पारित किया गया था, जो भारतीय नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरण से जानकारी मांगने का अधिकार देता है, सरकार और उसके पदाधिकारियों को अधिक जवाबदेह और जिम्मेदार बनाता है.

आरटीआई कानून के तहत सूचना आयोग अंतिम अपीलीय प्राधिकारी हैं और उन्हें लोगों के सूचना के मौलिक अधिकार की सुरक्षा और सुविधा प्रदान करने का दायित्व दिया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 28 सूचना आयोगों द्वारा 1 जुलाई, 2022 और 30 जून, 2023 के बीच 2,20,382 अपील और शिकायतें दर्ज की गईं, जिनके लिए प्रासंगिक जानकारी उपलब्ध थी. इसी अवधि के दौरान 29 सूचना आयोगों द्वारा 2,14,698 मामलों का निपटारा किया गया, जिनकी जानकारी प्राप्त की जा सकती थी.

किसी अपील या शिकायत के निपटारे में लगने वाले समय की गणना औसत मासिक निपटान दर और आयोगों में लंबित मामलों का उपयोग करके की गई है.

आकलन से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल राज्य सूचना आयोग को एक मामले को निपटाने में अनुमानित 24 साल और एक महीने का समय लगेगा, जिससे पता चलता है कि 1 जुलाई, 2023 को दायर एक फाइल को निपटान की वर्तमान मासिक दर पर 2047 में निपटाया जाएगा. छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में अपील या शिकायत के निपटारे में एसआईसी द्वारा लिया गया अनुमानित समय चार साल से अधिक है. ओडिशा और अरुणाचल प्रदेश में यह दो साल से अधिक है.

आकलन से पता चलता है कि 10 सूचना आयोगों को किसी अपील/शिकायत का निपटारा करने में एक साल या उससे अधिक का समय लगेगा.

सूचना आयोगों द्वारा लगाए गए दंडों के विश्लेषण से पता चलता है कि आयोगों ने 91 प्रतिशत मामलों में दंड नहीं लगाया, जहां ऐसा किया जा सकता था.