विपक्षी दलों के समूह ‘इंडिया गठबंधन’ ने द वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए फेसबुक के मुख्य कार्यकारी मार्क जुकरबर्ग और गूगल के सीईओ सुंदर पिचई को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि मेटा/फेसबुक भारत में सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक नफ़रत को भड़काने का दोषी है.
नई दिल्ली: विपक्षी दलों के समूह ‘इंडिया गठबंधन’ ने मेटा (पूर्व नाम फेसबुक कंपनी) के मुख्य कार्यकारी मार्क जुकरबर्ग और गूगल के सीईओ सुंदर पिचई को देश में ‘सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा देने’ में उनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की कथित भूमिका को लेकर पत्र लिखा है. इसने मांग की है कि ये मंच आगामी चुनावों में तटस्थता बनाए रखें.
ये पत्र अमेरिका के वॉशिंगटन पोस्ट अखबार द्वारा सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और नरेंद्र मोदी सरकार के प्रति फेसबुक, वॉट्सएप और यूट्यूब के कथित पूर्वाग्रह को उजागर करने के बाद आया है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जुकरबर्ग को लिखे पत्र को सोशल साइट एक्स पर साझा करते हुए कहा, ‘वॉशिंगटन पोस्ट की विस्तृत जांच का हवाला देते हुए फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग को इंडिया ब्लॉक द्वारा लिखा गया पत्र, जिसमें कहा गया है कि मेटा भारत में सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक नफरत को भड़काने का दोषी है.’
INDIA parties also write to @Google's Mr. @sundarpichai exhaustive investigation by the Washington Post that Alphabet and specifically YouTube is culpable of abetting social disharmony and inciting communal hatred in India.
[Letter Below] pic.twitter.com/athxCwukl1
— Mallikarjun Kharge (@kharge) October 12, 2023
पत्र में विपक्षी दलों ने कहा कि भारत राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) भारत में 28 राजनीतिक दलों का गठबंधन है, जो संयुक्त विपक्षी गठबंधन का प्रतिनिधित्व करता है और 11 राज्यों में सत्तारूढ़ गठबंधन है और सभी भारतीय मतदाताओं के लगभग आधे का प्रतिनिधित्व करता है.
विपक्षी गठबंधन की ओर से कहा गया, ‘आप सत्तारूढ़ भाजपा के सांप्रदायिक घृणा अभियान को समर्थन देने में वॉट्सऐप और फेसबुक की भूमिका के बारे में वॉशिंगटन पोस्ट अखबार के हालिया खुलासे से अवगत हो सकते हैं. विशेष रूप से लेख में इस बात का विवरण दिया गया है कि भाजपा सदस्यों और समर्थकों द्वारा वॉट्सऐप ग्रुप्स का उपयोग करके यह घृणित, सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी प्रचार कैसे किया जाता है.’
We are also attaching the detailed report and investigation by the @washingtonpost for your kind reference. pic.twitter.com/GnoGRcO2yi
— Mallikarjun Kharge (@kharge) October 12, 2023
पत्र के अनुसार, ‘भारत के दबाव में फेसबुक ने दुष्प्रचार और घृणास्पद भाषण को पनपने दिया’ शीर्षक वाले एक अन्य लेख में वॉशिंगटन पोस्ट ने फेसबुक इंडिया के अधिकारियों द्वारा सत्ताधारी सरकार के प्रति जबरदस्त पक्षपात को साक्ष्य के साथ स्पष्ट किया है. यह बात हम विपक्ष में लंबे समय से जानते थे और हमने इसे पहले भी कई बार उठाया था.’
आगे कहा गया, ‘वॉशिंगटन पोस्ट की इन विस्तृत जांचों से यह बहुत स्पष्ट है कि मेटा (फेसबुक) भारत में सामाजिक वैमनस्य को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक घृणा को भड़काने का दोषी है. इसके अलावा हमारे पास डेटा है, जो सत्तारूढ़ पार्टी (भाजपा) की सामग्री को बढ़ावा देने के साथ-साथ आपके मंच पर विपक्षी नेताओं की सामग्री (पोस्ट) के एल्गोरिथम मॉडरेशन और दमन को भी दर्शाता है.’
विपक्षी दलों ने कहा, ‘एक निजी विदेशी कंपनी (फेसबुक) द्वारा एक राजनीतिक संगठन के प्रति इस तरह का घोर पक्षपात और पूर्वाग्रह भारत के लोकतंत्र में हस्तक्षेप के समान है, जिसे हम (इंडिया गठबंधन) में हल्के में नहीं लेंगे.’
इंडिया गठबंधन की ओर से कहा गया, ‘2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर आपसे हमारी गंभीर और तत्काल अपील है कि आप इन तथ्यों पर गंभीरता से विचार करें और तुरंत सुनिश्चित करें कि भारत में मेटा का संचालन तटस्थ रहे और इसका उपयोग जाने-अनजाने में सामाजिक अशांति पैदा करने या भारत के बहुप्रतीक्षित लोकतांत्रिक आदर्शों को विकृत करने के लिए नहीं किया जाए.’
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