हाल ही में लंदन स्थित प्रतिष्ठित वित्तीय दैनिक ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ ने एक विस्तृत रिपोर्ट में बताया था कि ‘देश का सबसे बड़ा निजी कोयला आयातक अडानी समूह ईंधन की लागत बढ़ा रहा है’, जिसके कारण ‘लाखों भारतीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों को बिजली के लिए अधिक भुगतान करना पड़ रहा है.’
नई दिल्ली: कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि आधुनिक भारत के सबसे बड़े घोटाले के पीछे अडानी समूह का हाथ हो सकता है. बीते शुक्रवार (13 अक्टूबर) को कांग्रेस ने कहा कि ताजा खुलासे से संकेत मिलता है कि दो साल में देश से 12,000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम बाहर निकाली गई है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दावा किया कि यह करोड़ों भारतीयों की जेब से ‘कोई प्रतीकात्मक लूट नहीं, बल्कि चोरी’ है. उन्होंने कहा कि फाइनेंशियल टाइम्स अखबार के नवीनतम खुलासे में 2019 और 2021 के बीच 3.1 मिलियन टन मात्रा वाले अडानी के 30 कोयला शिपमेंट की जांच की गई, जिसमें कोयला व्यापार जैसे कम मार्जिन वाले व्यवसाय पर भी 52 प्रतिशत का लाभ पाया गया है.
सोशल साइट एक्स पर जयराम रमेश ने कहा, ‘राउंड-ट्रिपिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और सेबी कानूनों के खुलेआम उल्लंघन में शामिल अडानी समूह के विश्वस्त लोगों के एक संदेहास्पद नेटवर्क के बारे में नए खुलासे से पता चला है कि कैसे प्रधानमंत्री और उनके मित्र भारत के गरीबों और मध्यम वर्ग की कीमत पर खुद को और भाजपा को समृद्ध कर रहे हैं. यह कोई प्रतीकात्मक लूट नहीं है, यह करोड़ों भारतीयों की जेब से सरेआम चोरी है.’
उन्होंने कहा, ‘फाइनेंशियल टाइम्स अखबार के ताजा खुलासे से पता चला है कि राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) द्वारा लगाए गए आरोप कितने सही हैं. डीआरआई को इस बात के सबूत मिले थे कि अडानी ग्रुप ने कोयला आयात की ओवर-बिलिंग (फर्जी ढंग से कोयले की कीमतें बढ़ाकर) करके भारत से हजारों करोड़ रुपये चोरी-छिपे बाहर भेजे थे. प्रधानमंत्री ने भले ही बाद में जांच को ‘रोक’ दिया हो और देश की जांच एजेंसियों को बेहद कमजोर कर दिया हो, लेकिन फिर भी सच्चाई सामने आ ही गई है.’
अडानी महाघोटाले की पूरी स्थिति धीरे-धीरे स्पष्ट होती जा रही है।
DRI को पहले बिजली उत्पादन के लिए आयात होने वाले उपकरणों के ओवर इनवासिंग के सबूत मिले थे। अब इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि अडानी द्वारा आयातित कोयले की क़ीमत भी बढ़ा-चढ़ाकर बताई जा रही है। 52% मार्जिन के माध्यम से…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) October 13, 2023
उनके मुताबिक, ‘फाइनेंशियल टाइम्स ने 2019 और 2021 के बीच अडानी समूह के 3.1 मिलियन टन की 30 कोयला शिपमेंट का अध्ययन किया है. इसमें पाया गया कि इंडोनेशिया में शिपिंग और बीमा सहित घोषित कुल लागत 142 मिलियन डॉलर (1,037 करोड़ रुपये) थी, जबकि भारतीय सीमा शुल्क के लिए घोषित मूल्य 215 मिलियन डॉलर (1,570 करोड़ रुपये) था. यह 52 प्रतिशत प्रॉफिट मार्जिन है या केवल 30 शिपमेंट में 533 करोड़ रुपये की निकासी के बराबर है. अडानी का मोदी-मेड मैजिक कोयला व्यापार जैसे कम मार्जिन वाले व्यवसाय में भी दिखाई देता है.’
उन्होंने कहा कि देश के लोग कोयले और बिजली-उपकरणों के लिए ज्यादा भुगतान करने को मजबूर हैं. यह देश के आम और गरीब लोगों का पैसा है, जिसे प्रधानमंत्री को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. यह भारत के लोगों से स्पष्ट रूप से चोरी है.
उन्होंने कहा, ‘यह आधुनिक भारत का सबसे बड़ा घोटाला है. यह घटनाक्रम इस घोटाले के कर्ताधर्ताओं का लालच और संवेदनहीनता के साथ-साथ भारत के लोगों के प्रति तिरस्कार को दिखाता है. इनको विश्वास है कि ऐसा कोई घोटाला नहीं है, जिसे ‘मैनेज’ नहीं किया जा सकता है और ऐसा कोई मुद्दा नहीं है, जिससे ध्यान नहीं भटकाया जा सकता है. लेकिन शहंशाह गलतफहमी में हैं. भारत पर मोदानी (मोदी-अडानी कथित गठजोड़) का कब्जा नहीं होगा. भारत की जनता 2024 में जवाब देगी.’
मालूम हो कि लंदन स्थित प्रतिष्ठित वित्तीय दैनिक ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ ने एक विस्तृत रिपोर्ट में, जिसका शीर्षक ‘अडानी कोयला आयात का रहस्य, जिसका मूल्य दोगुना हो गया’ था, में पाया था कि ‘देश का सबसे बड़ा निजी कोयला आयातक अडानी समूह ईंधन की लागत बढ़ा रहा है’, जिसके कारण ‘लाखों भारतीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों को बिजली के लिए अधिक भुगतान करना पड़ रहा है.’
रिपोर्ट बताती है कि कैसे समूह के प्रमुख गौतम अडानी को पिछले 10 वर्षों में उनकी तेजी से बढ़ती संपत्ति का जिक्र करते हुए ‘मोदी का रॉकफेलर (अमेरिकी उद्यमी)’ बताया गया है, जब उनकी 10 सूचीबद्ध कंपनियां ‘फलने-फूलने’ लगीं और वह ‘भारत की सबसे बड़ी निजी थर्मल पावर कंपनी और सबसे बड़े निजी बंदरगाह ऑपरेटर’ के रूप में उभरे.
बता दें कि इस साल जनवरी में अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह के कामकाज के कई पहलुओं पर गंभीर सवाल उठाए गए थे. इससे समूह के बारे में विश्व स्तर पर और भारत में नियामक तंत्र के बारे में भी गंभीर सवाल उठे थे.
जनवरी माह में ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ द्वारा अडानी समूह के खिलाफ ‘अनियमितताओं’ और स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी’ का आरोप लगाए जाने के बाद से कांग्रेस इस कारोबारी समूह पर निरंतर हमलावर है और आरोपों की जेपीसी से जांच कराए जाने की मांग कर रही है.
अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया था. अडानी समूह ने इन आरोपों के जवाब में कहा था कि यह हिंडनबर्ग द्वारा भारत पर सोच-समझकर किया गया हमला है. समूह ने कहा था कि ये आरोप और कुछ नहीं सिर्फ ‘झूठ’ हैं. इस जवाब पर पलटवार करते हुए हिंडनबर्ग समूह की ओर से कहा गया था कि धोखाधड़ी को ‘राष्ट्रवाद’ या ‘कुछ बढ़ा-चढ़ाकर प्रतिक्रिया’ से ढका नहीं जा सकता.
इतना ही नहीं शेयर बाजार पर निगरानी रखने वाली संस्था भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) तब आलोचनाओं के घेरे में आ गई, जब सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति ने नियमों में कुछ बदलावों की ओर इशारा किया, जिससे अडानी समूह के लिए जांच से बचना आसान हो गया.
अडानी समूह ने हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए आरोपों और फिर फाइनेंशियल टाइम्स द्वारा कोयले के आयात की अधिक कीमत तय करने के आरोपों से इनकार किया है. समूह ने कहा है कि इस साल राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के 2016 में नामित 40 आयातकों में से एक के खिलाफ मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील वापस लेने के फैसले से इसकी पुष्टि हुई है.
समूह ने कहा, ‘कोयले के आयात में अधिक मूल्यांकन का मुद्दा भारत की सर्वोच्च अदालत द्वारा निर्णायक रूप से सुलझाया गया था.’
फाइनेंशियन टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में ‘डीआरआई जांच की अनसुलझी प्रकृति और कथित प्रथाओं की स्पष्ट निरंतरता’ का हवाला देते हुए ‘अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रशासन के बीच संबंधों के बारे में नए सवाल’ उठाए हैं.
अखबार ने 2019 और 2021 के बीच 32 महीनों में अडानी की कंपनी द्वारा इंडोनेशिया से भारत तक कोयले की 30 शिपमेंट की पड़ताल की है.
हालांकि अडानी समूह ने किसी भी तरह के गलत काम के आरोपों को खारिज कर दिया है. समूह ने जांच को ‘पुराने और निराधार आरोप’ पर आधारित बताते हुए कहा कि इसमें ‘सार्वजनिक रूप से उपलब्ध तथ्यों और सूचनाओं को एक चतुराई से इस्तेमाल किया गया है और यह (रिपोर्ट) चयनात्मक गलत बयानी है.’