जम्मू कश्मीर: पीएम-जन आयोग्य योजना में भ्रष्टाचार के आरोपों को प्रशासन झुठलाने की कोशिश में

जम्मू कश्मीर में एक आईएएस ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोप लगाए थे और सीबीआई को पत्र लिखा था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले प्रशासन की ओर से कहा गया है कि अकाट्य तथ्यों और आंकड़ों की गहन जांच अधिकारी के पत्र में किए गए आधारहीन दावों को झुठलाती है.

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो साभार: फेसबुक)

जम्मू कश्मीर में एक आईएएस ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोप लगाए थे और सीबीआई को पत्र लिखा था. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले प्रशासन की ओर से कहा गया है कि अकाट्य तथ्यों और आंकड़ों की गहन जांच अधिकारी के पत्र में किए गए आधारहीन दावों को झुठलाती है.

जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा. (फोटो: पीटीआई)

श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) के कार्यान्वयन में अनियमितताओं के संबंध में आईएएस अधिकारी अशोक कुमार परमार के आरोपों पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के प्रशासन ने जवाब दिया है.

जम्मू कश्मीर प्रशासन के एक प्रवक्ता ने कहा कि ‘अकाट्य तथ्यों और आंकड़ों की गहन जांच परमार द्वारा सीबीआई को लिखे पत्र में किए गए आधारहीन दावों को झुठलाती है, जिनमें बीमा अनुबंध में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था.’

लेकिन प्रशासन के जवाब में यह अंतर बना हुआ है कि उन्हें अनुबंध में क्या करने की अनुमति दी गई थी और इसके बरअक्स उन्होंने क्या कदम उठाए. एक स्थानीय अखबार ने एंटी-करप्शन ब्यूरो के निष्कर्षों के बारे में लिखा है, लेकिन वे आईएएस अधिकारी द्वारा लगाए गए विशिष्ट आरोपों से संबंधित नहीं प्रतीत होते हैं.

इस साल की शुरुआत में कैग रिपोर्ट के निष्कर्षों ने भी केंद्रशासित प्रदेश में पीएम-जन आरोग्य योजना के कामकाज पर संदेह व्यक्त किया था. कैग रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि जम्मू कश्मीर प्रशासन को ‘वित्तीय विसंगतियों’ को समाप्त करने के लिए उपाय सुझाए गए थे.

आईएएस अधिकारी के आरोप 

द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि अधिकारी आईएएस द्वारा लिखे गए पत्र में आरोप लगाया गया है कि मनोज सिन्हा के नेतृत्व वाले जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बजाज आलियांज को 15 फीसदी अतिरिक्त देकर अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन किया है. कंपनी को 26 दिसंबर 2020 को तीन साल का अनुबंध दिया गया था.

कथित तौर पर घाटे का हवाला देकर बजाज आलियांज ने अनुबंध लागू होने के एक साल से भी कम समय में सितंबर 2021 में अनुबंध से बाहर निकलने की मांग की थी, लेकिन राज्य प्रशासन ने मार्च 2022 को समाप्त होने वाले चार और महीनों के लिए मौजूदा अनुबंध में 15 फीसदी अतिरिक्त की पेशकश कर दी.

प्रशासन के प्रवक्ता ने कहा कि पॉलिसी की अवधि ‘आपसी सहमति पर वार्षिक नवीनीकरण के विकल्प के साथ’ तीन साल थी.

लेकिन पॉलिसी संबंधी दस्तावेज में कहा गया है कि अनुबंध ‘दो साल के बाद नवीनीकरण के अधीन होगा.’

इसलिए अनुबंध में यह कहे जाने के बावजूद कि इसका नवीनीकरण केवल दो वर्ष के बाद ही किया जा सकता है, इसे एक वर्ष से पहले ही नवीनीकृत कर दिया गया. इसके अलावा, सिन्हा के नेतृत्व वाले प्रशासन ने बजाज आलियांज के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जब उसने पहले वर्ष में ही दो साल के अनुबंध को समाप्त करने के लिए आवेदन दिया था.

इसके बजाय, सीधे केंद्र सरकार द्वारा चलाए जाने वाले प्रशासन ने बजाज को 15 फीसदी अतिरिक्त की पेशकश कर दी. परमार के पत्र के अनुसार, यह निर्णय वित्तीय नियमों का उल्लंघन करते हुए और जम्मू कश्मीर के कानून एवं वित्त विभागों की आपत्तियों के बावजूद लिया गया था.

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने अपना बचाव किया

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने यह कहते हुए अपना बचाव किया है कि उसने सभी आंतरिक विभागों के उचित परामर्श का पालन किया था.

प्रवक्ता ने कहा, ‘अंतरिम व्यवस्था की कानून विभाग, वित्त विभाग और विद्वान महाधिवक्ता द्वारा पूरी तरह से जांच की गई थी. जो इस दावे का खंडन करता है कि सरकार ने अपने ही विभागों की सलाह को नजरअंदाज कर दिया.’

उन्होंने कहा कि ‘अंतरिम व्यवस्था’ ही तब ‘सबसे अधिक प्रभावी विकल्प’ था.

प्रशासन ने दिसंबर 2021 और मार्च 2022 के बीच बजाज आलियांज को ‘स्टॉप लॉस आधार’ पर प्रति परिवार इकाई 3,261.60 रुपये की पेशकश की. इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी, जो 2021 में प्रति परिवार 1840 रुपये की उद्धृत दर के साथ सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी थी, को 2022 में अनुबंध दे दिया गया था.

प्रशासन ने कहा कि बजाज आलियांज के साथ ‘अंतरिम व्यवस्था’ जल्द ही ‘पॉलिसी की समाप्ति’ के कारण ‘सेवा व्यवधान को रोकने’ के लिए की गई थी, लेकिन इसने यह नहीं स्पष्ट किया कि प्रशासन ने मध्यस्थ (बजाज आलियांज) को नियुक्त करने के बजाय पैनल में शामिल अस्पतालों में नोडल अधिकारी नियुक्त करके दावों का भुगतान स्वयं क्यों नहीं किया.

प्रशासन यह समझाने में भी विफल रहा कि ‘बोली तैयार करने और जमा करने के लिए 22 दिनों की उदार अवधि क्यों दी गई’ जबकि वह सेवाओं में किसी भी तरह के व्यवधान को रोकने के लिए तत्परता से ऐसा कर सकता था.

जम्मू कश्मीर प्रशासन के प्रवक्ता ने कहा कि इस अनुबंध से बजाज आलियांज को ‘93.82 करोड़ रुपये का भारी नुकसान’ हुआ.

लाभार्थियों की संख्या

प्रशासन ने आईएएस अधिकारी परमार के इन दावों का भी खंडन करने की कोशिश की कि अंतरिम अवधि के दौरान लाभार्थियों की संख्या में 10, 87,108 की वृद्धि हुई. हालाांकि, उन्होंने अपनी ओर से कोई आंकड़ा नहीं बताया.

पीएम-जन आरोग्य योजना में कथित अनियमितताओं को लेकर द वायर में प्रकाशित रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए सिन्हा ने कहा कि बजाज आलियांज को प्रशासन द्वारा प्रीमियम के रूप में 982 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, जबकि कंपनी ने 1228 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया था.

श्रीनगर से प्रकाशित एक स्थानीय अखबार ने जम्मू कश्मीर प्रशासन के रुख का विस्तार से वर्णन करते हुए बताया है कि एंटी-करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने इस मामले की जांच की थी. एसीबी जांच का हवाला देते हुए अखबार में कहा गया है:

‘इसमें (एसीबी जांच) में पता चला कि 26 दिसंबर 2020 से 14 मार्च 2022 तक स्टॉप लॉस के आधार पर अंतरिम व्यवस्था सहित पूरी पॉलिसी अवधि के दौरान बजाज को भुगतान किया गया कुल प्रीमियम 304.59 करोड़ रुपये था. बजाज द्वारा अस्पतालों को कुल दावा भुगतान 398.41 करोड़ रुपये था. इसका सीधा सा मतलब है कि बीमा कंपनी को 93.82 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.’

लेकिन आईएएस अधिकारी परमार का पत्र दिसंबर 2021 और मार्च 2022 के बीच हुए कथित घोटाले के बारे में है और इसमें वित्तीय नियमों के कथित उल्लंघन में बजाज आलियांज को अतिरिक्त 15 फीसदी दिए जाने का जिक्र है.

कैग ने भी बताई थीं विसंगतियां

इस साल की शुरुआत में भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा था कि पीएम-जन आरोग्य योजना अनियमितताओं से घिरी हुई है और वित्तीय विसंगतियों को समाप्त करने के लिए जम्मू कश्मीर प्रशासन को उपाय सुझाए गए हैं.

कैग रिपोर्ट में कहा गया था कि 2018-2021 के दौरान राज्य स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा क्रमशः 16,865 और 335 अयोग्य लाभार्थियों की पहचान की गई थी.

कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि 48 मरीजों के इलाज के लिए 10.96 लाख रुपये का भुगतान किया गया था.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि राज्य स्वास्थ्य एजेंसी विभिन्न गतिविधियों में विफलता के लिए बीमाकर्ता पर जुर्माना लगाने में भी विफल रहा.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.