जम्मू कश्मीर के पुंछ ज़िले में बीते 11 अक्टूबर को अग्निवीर अमृतपाल सिंह की कथित तौर पर गोली लगने से मौत हो गई थी. उनके अंतिम संस्कार के समय सेना द्वारा ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ न दिए जाने पर राजनीतिक दलों ने आपत्ति जताई है. उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अग्निवीर होने का मतलब यह है कि उनका जीवन उतना मायने नहीं रखता है.
चंडीगढ़: जम्मू कश्मीर में बीते 11 अक्टूबर को अग्निवीर योजना के तहत भर्ती जवान अमृतपाल सिंह की मौत हो गई थी. उनके अंतिम संस्कार के दौरान सेना द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिए जाने पर विपक्षी दलों ने हैरानी व्यक्त की है.
एनडीटीवी के मुताबिक, सेना ने एक बयान में कहा कि चूंकि सिंह की मौत का कारण खुद की बंदूक से चली गोली है, इसलिए मौजूदा नीति के अनुसार कोई गार्ड ऑफ ऑनर या सैन्य अंतिम संस्कार प्रदान नहीं किया गया था.
पुंछ सेक्टर में जम्मू कश्मीर राइफल्स की एक बटालियन में तैनात अमृतपाल सिंह का शुक्रवार (13 अक्टूबर) को पंजाब के मनसा जिले में उनके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार किया गया था.
सेना ने शनिवार को जारी बयान में कहा कि एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना में राजौरी सेक्टर में पहरेदारी में तैनाती के दौरान अग्निवीर अमृतपाल सिंह की अपनी ही बंदूक से चली खुद को लगी गोली से मौत हो गई. अधिक विवरण जुटाने के लिए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी चल रही है.
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा है कि उनकी सरकार इस मामले पर केंद्र के समक्ष कड़ी आपत्ति दर्ज कराएगी.
मान ने एक पोस्ट में कहा कि सिंह की शहादत के संबंध में सेना की जो भी नीति हो, लेकिन उनकी सरकार की नीति शहीद के लिए वही रहेगी और राज्य की नीति के अनुसार सैनिक के परिवार को 1 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. उन्होंने अमृतपाल को देश का शहीद बताया.
शिरोमणि अकाली दल की नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि वह यह जानकर स्तब्ध हैं कि सिंह का अंतिम संस्कार सेना के गार्ड ऑफ ऑनर के बिना किया गया.
उन्होंने मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से हस्तक्षेप की मांग करते हुए सभी शहीद सैनिकों को सैन्य सम्मान देने के लिए आवश्यक निर्देश देने की मांग की.
उन्होंने सोशल साइट एक्स पर लिखा, ‘यह जानकर स्तब्ध हूं कि जम्मू कश्मीर के पुंछ में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए अग्निवीर अमृतपाल सिंह का सेना के गार्ड ऑफ ऑनर के बिना अंतिम संस्कार किया गया. यहां तक कि उनके पार्थिव शरीर को उनके परिवार द्वारा एक निजी एम्बुलेंस में मनसा में उनके पैतृक गांव तक लाया गया.’
उन्होंने आगे लिखा, ‘पता चला है कि ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि अमृतपाल अग्निवीर थे. हमें अपने सभी सैनिकों को उचित सम्मान देना चाहिए. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से सभी शहीद सैनिकों को सैन्य सम्मान देने के निर्देश जारी करने का अनुरोध करती हूं.’
Shocked to learn that Agniveer Amritpal Singh, who was martyred in the line of duty in Poonch in J & K was cremated without an Army guard of honour & even his body was brought to his native village in Mansa in a private ambulance by his family! It is learnt that this happened… pic.twitter.com/j83czasAsp
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) October 14, 2023
बयान में कहा गया कि सिंह के पार्थिव शरीर को एक जूनियर कमीशंड अधिकारी और चार अन्य रैंक के अधिकारियों के साथ अग्निवीर यूनिट द्वारा किराये पर ली गई एक सिविल एम्बुलेंस में ले जाया गया था. साथ ही कहा गया कि उनके साथ गए सेना के जवान भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे.
पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा, ‘यह हमारे देश के लिए एक दुखद दिन है, क्योंकि अग्निवीर योजना के तहत भर्ती किए गए इस सैनिक को एक निजी एम्बुलेंस में घर वापस भेज दिया गया और सेना द्वारा कोई गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया.’
उन्होंने पूछा, ‘क्या अग्निवीर होने का मतलब यह है कि उनका जीवन उतना मायने नहीं रखता है.’
Salute the bravery of our 19 year old soldier, Amrit Pal Singh form Mansa who attained martyrdom for our nation.
This is a sad day for our country as this who was recruited under the Agniveer scheme was sent back home in a Pvt ambulance & not given any guard of honour by the… pic.twitter.com/wGY5Q9toKU
— Amarinder Singh Raja Warring (@RajaBrar_INC) October 14, 2023
वारिंग ने एक्स पर लिखा, ‘गमगीन परिवार को स्थानीय पंजाब पुलिस से गार्ड ऑफ ऑनर देने का अनुरोध करना पड़ा. क्या इसीलिए भाजपा ने यह नीति शुरू की थी. क्या हम अपने अग्निवीरों के साथ बाकी सैनिकों से अलग इसी तरह व्यवहार करेंगे? क्या हमारे शहीद जवान के साथ इस अमानवीय व्यवहार का केंद्र सरकार के पास कोई जवाब है? शर्मनाक.’
वहीं, शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब की भगवंत मान सरकार पर ही निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि युवा शहीद को उचित विदाई देने के लिए किसी राज्य स्तरीय अधिकारी को भेजने से मुख्यमंत्री द्वारा इनकार किए जाने से भी वह स्तब्ध हैं.
बादल ने ट्विटर पर लिखा, ‘मुख्यमंत्री को केंद्र सरकार की नीतियों की आड़ लेकर नहीं छिपना चाहिए, क्योंकि राज्य सरकार को शहीद को सम्मान देने और इस दर्दनाक समय में उनके परिवार के साथ खड़े होने से किसी ने नहीं रोका था.’
I am shocked by the refusal of @BhagwantMann govt to send any state-level dignitary to give a befitting farewell to the young martyr #Agniveer Amritpal Singh of Mansa, who laid down his life for the nation.
CM must not hide behind the excuse of central govt policies as nothing… pic.twitter.com/CQIjfKW3Nk— Sukhbir Singh Badal (@officeofssbadal) October 14, 2023
अकाली दल के बिक्रम सिंह मजीठिया ने अग्निवीर योजना को खत्म करने और आज तक इसके तहत भर्ती किए गए सभी सैनिकों को नियमित करने की मांग की.
It is most tragic and unfortunate to see that due to the Modi Government’s new Agniveer Policy first martyr of the country, only 19-year-old Amritpal Singh was not even provided army ambulance to bring his body home. it is most shameful to note that even customary Guard of Honour… pic.twitter.com/URbrdXtHye
— Bikram Singh Majithia (@bsmajithia) October 14, 2023
मजीठिया ने एक्स पर लिखा, ‘यह देखना अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी सरकार की नई अग्निवीर नीति के कारण देश के पहले शहीद मात्र 19 वर्षीय अमृतपाल सिंह को उनके पार्थिव शरीर को घर लाने के लिए सेना की एम्बुलेंस तक उपलब्ध नहीं कराई गई. यह सबसे ज्यादा शर्मनाक है कि शहीद को पारंपरिक गार्ड ऑफ ऑनर भी नहीं दिया गया. यह आज़ादी के बाद देश की अब तक की सबसे शर्मनाक नीति है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हम अग्निवीर योजना को पूरी तरह से खारिज करते हैं. मोदी सरकार के असंवेदनशील रवैये को देखते हुए युवा इस योजना के तहत भर्ती होने से परहेज करेंगे. मोदी सरकार को इस योजना को तुरंत बंद कर अब तक भर्ती हुए सभी अग्निवीरों की सेवाएं नियमित करनी चाहिए.’
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा, ‘पंजाब के अग्निवीर शहीद अमृतपाल सिंह के पार्थिव शरीर को न तो सैन्य-सम्मान मिला, न राजकीय-सम्मान. ये एक त्रुटिपूर्ण सैन्य-भर्ती का दुष्परिणाम है. सैनिकों को उनका यथोचित सम्मान हर दशा-अवस्था में मिलना ही चाहिए. हम इस शहादत को शत-शत नमन करते हैं.’
पंजाब के अग्निवीर शहीद अमृतपाल सिंह के पार्थिव शरीर को न तो सैन्य-सम्मान मिला न राजकीय-सम्मान। ये एक त्रुटिपूर्ण सैन्य-भर्ती का दुष्परिणाम है। सैनिकों को उनका यथोचित सम्मान हर दशा-अवस्था में मिलना ही चाहिए। हम इस शहादत को शत-शत नमन करते हैं।
हम अग्निवीर योजना के अपने विरोध को… pic.twitter.com/qFliup531m
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 15, 2023
उन्होंने आगे कहा, ‘हम अग्निवीर योजना के अपने विरोध को पुन: रेखांकित करते हैं और परंपरागत भर्ती की पुनर्बहाली की मांग उठाते हैं. देश की सुरक्षा और देश के युवा के भविष्य के साथ हमें कोई भी समझौता मंजूर नहीं.’
कांग्रेस ने एक ट्वीट में लिखा, ‘पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए. वो कश्मीर में तैनात थे. गोली लगने से वे शहीद हो गए. दुखद ये है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल जी को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई.’
पंजाब के रहने वाले अमृतपाल सिंह अग्निवीर के तौर पर सेना में भर्ती हुए।
वो कश्मीर में तैनात थे, 10 अक्टूबर को गोली लगने से वे शहीद हो गए।
दुखद ये है कि देश के लिए शहीद होने वाले अमृतपाल जी को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई भी नहीं दी गई।
उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो… pic.twitter.com/WtgUopfSXR
— Congress (@INCIndia) October 14, 2023
आगे कहा गया, ‘उनका पार्थिव शरीर एक आर्मी हवलदार और दो जवान लेकर आए. इसके अलावा आर्मी की कोई यूनिट तक नहीं आई. यहां तक कि उनके पार्थिव शरीर को भी आर्मी वाहन के बजाय प्राइवेट एंबुलेंस से लाया गया. ये देश के शहीदों का अपमान है.’
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मेघालय के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि अमृतपाल के पार्थिव शरीर को सेना के वाहन से नहीं बल्कि एक हवलदार और दो जवानों द्वारा एम्बुलेंस में उनके गांव लाया गया था.
उन्होंने कहा कि ग्रामीणों ने जिले के एसएसपी से संपर्क किया, जिन्होंने सेना के जवानों की अनुपस्थिति में अग्निवीर के लिए पुलिस के गार्ड ऑफ ऑनर की व्यवस्था की. उन्होंने अग्निवीरों को ‘शहीद’ का दर्जा देने से इनकार करने के लिए केंद्र की आलोचना की.
जम्मू के रक्षा पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि अंतिम संस्कार में सेना की मौजूदगी क्यों नहीं थी.