मध्य प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर समझौता विफल रहा

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच बातचीत विफल हो गई है. दोनों दलों की ओर से जारी उम्मीदवारों की सूची के अनुसार, अब तक दोनों कम से कम पांच सीटों पर आमने-सामने हैं. सपा के प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन की सभी संभावनाएं ख़त्म हो गई हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक)

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच बातचीत विफल हो गई है. दोनों दलों की ओर से जारी उम्मीदवारों की सूची के अनुसार, अब तक दोनों कम से कम पांच सीटों पर आमने-सामने हैं. सपा के प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन की सभी संभावनाएं ख़त्म हो गई हैं.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए सीट-बंटवारे के फॉर्मूले को अंतिम रूप देने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के बीच बातचीत कथित तौर पर विफल हो गई है. दोनों पक्षों की ओर से जारी उम्मीदवारों की सूची के अनुसार, अब तक दोनों पार्टियां कम से कम पांच विधानसभा सीटों पर आमने-सामने हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक यह सब रविवार सुबह शुरू हुआ, जब कांग्रेस ने 230 सदस्यीय मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए 144 उम्मीदवारों की सूची जारी की. इस कदम से मध्य प्रदेश में सपा कार्यकर्ता बेचैन हो गए.

पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोलते हुए सपा नेतृत्व ने लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में मध्य प्रदेश के पदाधिकारियों की बैठक बुलाई. कुछ घंटों तक चली व्यस्त चर्चा के बाद पार्टी ने 9 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की औपचारिक घोषणा करने का फैसला किया. सूची में कम से कम पांच ऐसी सीटें शामिल हैं, जहां कांग्रेस पहले ही उम्मीदवार उतार चुकी है.

वरिष्ठ सपा नेताओं ने रविवार को अखबार को बताया कि पार्टी नेतृत्व ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है. सूत्रों ने इसके पीछे कांग्रेस की ओर से संचार की कमी को मुख्य कारण बताया है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश के सपा प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने कहा, ‘कांग्रेस के साथ गठबंधन की सभी संभावनाएं खत्म हो गई हैं.’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस नेतृत्व के साथ हमारी कुछ बातचीत हुई, लेकिन रविवार को सब कुछ विफल हो गया. हम अपने दम पर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और अगले साल चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेंगे.’

अखिलेश यादव के करीबी माने जाने वाले एक वरिष्ठ सपा नेता ने आरोप लगाया, ‘कांग्रेस को भाजपा को हराने में कोई दिलचस्पी नहीं है.’

पार्टी पदाधिकारी ने कहा, ‘हमने कांग्रेस नेतृत्व के साथ बातचीत की, लेकिन वे भाजपा को हराने के लिए गठबंधन करने में दिलचस्पी नहीं रखते हैं. ऐसा लगता है कि उनका प्राथमिक उद्देश्य भाजपा को नहीं, बल्कि सपा को हराना है. कांग्रेस के साथ हमारा गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए होगा, लेकिन मध्य प्रदेश में हम अकेले चुनाव लड़ेंगे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कांग्रेस नेतृत्व से बातचीत हुई थी और हम 10 सीटें चाहते थे. वे कम सीटों की पेशकश कर रहे थे और अचानक उन्होंने हमें बताए बिना इतने सारे उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. गठबंधन इस तरह काम नहीं करता.’

सपा नेता ने कहा कि पार्टी संभवत: मध्य प्रदेश में कुल 30-35 उम्मीदवार उतारेगी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, जिस चीज ने सपा नेतृत्व को ‘आहत’ किया है, वह बिजावर सीट है, जहां चरण सिंह यादव को मैदान में उतारने के कांग्रेस के फैसले ने उसे और भी अधिक परेशान कर दिया है. चरण सिंह बुंदेलखंड में सपा के वरिष्ठ नेता दीप नारायण यादव के चचेरे भाई हैं.

सपा पदाधिकारी ने कहा, ‘यह दुखद है कि उन्होंने उस सीट पर एक उम्मीदवार की घोषणा की है, जिसे हमने 2018 में जीता था और हम चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. उन्होंने हमसे सलाह नहीं की या हमसे बात नहीं की और अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया.’

बिजावर में बड़ी संख्या में यादव और ब्राह्मण आबादी है और 2018 में यह सपा के राजेश कुमार शुक्ला के पास चली गई, जिन्हें ‘बबलू भैया’ के नाम से भी जाना जाता है, जो 2020 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के पतन के बाद भाजपा में चले गए.

मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता पीयूष बबेले ने कहा कि सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला पार्टी आलाकमान को करना है. कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि सपा अपनी क्षमता से अधिक सीटें पाने की कोशिश कर रही है.

उन्होंने कहा, ‘मध्य प्रदेश में उनका कोई आधार नहीं है. वे इतनी अधिक सीटों की उम्मीद कैसे कर रहे हैं? और जिस सीट को लेकर वो परेशान हैं, उनके विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे. उम्मीद है कि कुछ काम किया जा सकता है, लेकिन सपा को ऐसे राज्य में जमीनी हकीकत को समझने की जरूरत है, जहां उसका कोई आधार नहीं है.’

सपा ने रविवार को 9 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है. पार्टी ने सिरमौर से पूर्व भाजपा विधायक लक्ष्मण तिवारी, निवाड़ी से पूर्व विधायक मीरा दीपक यादव को मैदान में उतारा है.

इसके अलावा राजनगर से बृजगोपाल पटेल उर्फ ‘बबलू पटेल’, भांडेर (अनुसूचित जाति) से सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश डीआर राहुल मैदान में हैं और सीधी (अनुसूचित जनजाति) से विश्वनाथ सिंह मरकाम सपा के उम्मीदवार हैं.

पिछले महीने सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सिरमौर में एक सार्वजनिक बैठक के साथ मध्य प्रदेश में अपनी पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत की थी. बीते 1 अक्टूबर को लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि वह चाहते हैं कि उनकी पार्टी और कांग्रेस भाजपा को हराने के लिए राज्य में एक साथ चुनाव लड़ें.

मध्य प्रदेश में राज्य विधानसभा के सभी 230 सदस्यों को चुनने के लिए एक ही चरण में 17 नवंबर को मतदान होगा.