द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
साल 2006 के नोएडा के निठारी हत्याकांड के दोषी मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके घर में काम करने वाले सुरेंदर कोली को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. एनडीटीवी के अनुसार, रेप और हत्या के दोषी ठहराए गए कोली को 12 और पंढेर को दो मामलों में बरी किया गया है. सीबीआई के मुताबिक, 2005 और 2006 के बीच निठारी इलाके में पंढेर के घर पर सिलसिलेवार हत्याएं हुई थीं. आरोप था कि कोली बच्चों को बहला-फुसलाकर घर में ले जाता था, जहां वो और पंढेर उनसे बलात्कार करते और उनकी हत्या कर देते थे. पुलिस ने बताया था कि सबूत मिटाने के लिए वे बच्चों के शवों को कई हिस्सों में काटकर नालों में फेंक देते थे. मामले की जांच सीबीआई को मिली थी, जिसने 2007 में पंढेर और कोली के खिलाफ 19 केस दर्ज किए थे. सुरिंदर कोली को पंढेर के घर पर कई बच्चों के साथ बलात्कार और हत्या का दोषी पाया गया था. कोली ने पहले मृत पीड़ितों के साथ यौन संबंध बनाने और उनके शरीर के अंगों को खाने की बात भी कबूल की थी. पंढेर और कोली, दोनों को एक 20 वर्षीय महिला के बलात्कार और हत्या के लिए भी दोषी ठहराया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला द्वारा उनके 26 सप्ताह के भ्रूण के गर्भपात की अनुमति मांगने की याचिका खारिज कर दी है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने कहा कि इसकी इजाज़त नहीं दी जा सकती, क्योंकि भ्रूण किसी असामान्यता से पीड़ित नहीं है. 9 अक्टूबर को इसी कोर्ट की एक महिला पीठ ने इसकी अनुमति दी थी, हालांकि एम्स द्वारा भ्रूण के सामान्य होने की संभावना जताने के बाद एक जज ने अपना फैसला बदल लिया, जिसके बाद मामला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच के सामने रखा गया. पीठ ने महिला द्वारा ‘पोस्टपार्टम साइकोसिस’ की दवा लेने की बात पर एम्स से उनकी स्थिति और दवाओं के भ्रूण पर प्रभाव को लेकर ताज़ा रिपोर्ट देने को कहा था. इस रिपोर्ट में कहा गया कि गर्भावस्था की अवधि 24 सप्ताह से अधिक हो गई है और कोई महत्वपूर्ण भ्रूण संबंधी असामान्यता नहीं मिली.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा उन पर ‘रिश्वत लेकर संसद में सवाल पूछने’ के आरोपों को झूठा और अपमानजनक बताते हुए उन्हें क़ानूनी नोटिस भेजा है. रिपोर्ट के अनुसार, दुबे ने बीते रविवार को लोकसभा अध्यक्ष को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया था कि संसद में अडानी समूह के बारे में सवाल पूछने के लिए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को रिश्वत के रूप में ‘नकद’ और ‘उपहार’ दिए गए थे. उन्होंने एक वकील जय अनंत से इसकी जानकारी मिलने का दावा किया था, हालांकि इसके कोई सबूत पेश नहीं किए थे. मोइत्रा ने उक्त वकील और द वायर सहित 18 मीडिया संगठनों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भी नोटिस जारी किया गया है, जिन्होंने इन आरोपों के संबंध में समाचार प्रकाशित किया था. नोटिस में दुबे से लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को लिखे अपने पत्र और सभी आरोपों को वापस लेने और मोइत्रा से सार्वजनिक माफी मांगने को कहा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संविधान पीठ के पास भेज दिया है. 2017 में आई राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली इस योजना को लेकर अदालत के समक्ष दायर कई याचिकाओं में दावा किया गया कि फंडिंग का ऐसा गुमनाम रास्ता रिश्वतखोरी को वैध बनाने जैसा है क्योंकि कॉरपोरेट्स किसी फायदे के बदले में राज्य या केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी को फंड दे सकते हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, 11 अक्टूबर को दो साल से अधिक के अंतराल के बाद मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने योजना के खिलाफ याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर और 1 नवंबर की तारीख तय की थी. उन्होंने यह कहते हुए कि मामले में दलीलें दो तारीखों में पूरी कर ली जाएंगी, केंद्र और अन्य पक्षों को अपनी लिखित दलीलें पेश करने का निर्देश दिया है.
मणिपुर में पांच महीने से जारी हिंसा के बीच राज्य में डेंगू और अफ्रीकी स्वाइन फीवर फैलने की खबर सामने आई है. इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, डेंगू के कारण पांच लोगों की मौत होने का संदेह है और 13 अक्टूबर तक 1,338 मामले दर्ज किए गए थे, जो राज्य में हाल के दिनों में दर्ज किया गया सबसे अधिक संक्रमण है. इस साल की संख्या 2022 में दर्ज किए गए मामलों से लगभग तीन गुना और 2021 में दर्ज मामलों की तुलना में पांच गुना है. इंफाल पश्चिम 898 मामलों के साथ सबसे अधिक प्रभावित जिला है, जिसमें 3 संदिग्ध मौतें भी शामिल हैं. इसके अलावा यहां अफ्रीकी स्वाइन फीवर के प्रकोप की भी पुष्टि की गई है और इंफाल पश्चिम में केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के सूअर फार्म को अत्यधिक संक्रामक बीमारी का केंद्र घोषित किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) सांसद राघव चड्ढा की याचिका पर राज्यसभा सचिवालय को औपचारिक नोटिस जारी किया है. द हिंदू के अनुसार, चड्ढा ने अदालत में सदन से उनके ‘अनिश्चितकालीन निलंबन’ को चुनौती दी है. उन्होंने विशेषाधिकार समिति द्वारा पहले से ही उनके आचरण की जांच के बावजूद उन्हें निलंबित करने के अधिकारक्षेत्र पर सवाल उठाया है. इसे लेकर सीजेआई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने सचिवालय और राज्यसभा के सभापति से जवाब मांगा है. सोमवार को केस को सुनते हुए सीजेआई ने टिप्पणी की कि अनिश्चितकाल के लिए निलंबित करने की शक्ति ज्यादती और दुरुपयोग के लिए इस्तेमाल की जा सकती है.
मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा के मद्देनज़र समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर समझौता विफल रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, दोनों दलों की ओर से जारी उम्मीदवारों की सूची के अनुसार अब तक दोनों कम से कम पांच सीटों पर आमने-सामने हैं. सपा के प्रदेश अध्यक्ष रामायण सिंह पटेल ने कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन की सभी संभावनाएं ख़त्म हो गई हैं. वरिष्ठ सपा नेताओं ने अखबार को बताया कि पार्टी नेतृत्व ने मध्य प्रदेश चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है. सूत्रों ने इसके पीछे कांग्रेस की ओर से संचार की कमी को मुख्य कारण बताया है.