महाराष्ट्र महालेखाकार द्वारा ऑडिट और फील्ड वर्क रोकने संबंधी नोट जारी करने पर रहस्य बरक़रार

द वायर को महाराष्ट्र के महालेखाकार द्वारा 9 अक्टूबर को जारी एक आदेश की एक प्रति मिली है, जिसमें कहा गया है कि सभी फील्ड ऑडिट कार्य ‘तत्काल प्रभाव से रोका जाए’. हालांकि कैग कार्यालय की ओर से भेजे एक ईमेल में कहा गया है कि फील्ड ऑडिट कार्य रोकने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.

कैग गिरीश चंद्र मुर्मू. (फोटो साभार: Ministry of Personnel, Public Grievances & Pensions/Wikimedia Commons, GODL-India)

द वायर को महाराष्ट्र के महालेखाकार द्वारा 9 अक्टूबर को जारी एक आदेश की एक प्रति मिली है, जिसमें कहा गया है कि सभी फील्ड ऑडिट कार्य ‘तत्काल प्रभाव से रोका जाए’. हालांकि कैग कार्यालय की ओर से भेजे एक ईमेल में कहा गया है कि फील्ड ऑडिट कार्य रोकने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.

कैग गिरीश चंद्र मुर्मू. (फोटो साभार: Ministry of Personnel, Public Grievances & Pensions/Wikimedia Commons, GODL-India)

नई दिल्ली: सरकारी विभागों और मंत्रालयों पर वित्तीय निगरानी रखने वाली देश की सर्वोच्च ऑडिट संस्था भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की कार्य प्रणाली फिर से सुर्खियों में है.

द वायर को महालेखाकार (लेखा और हकदारी)-I, महाराष्ट्र, मुंबई (प्रधान महालेखाकार का कार्यालय (लेखापरीक्षा)-1, महाराष्ट्र, मुंबई) द्वारा 9 अक्टूबर को जारी एक आदेश की एक प्रति मिली है, जिसमें कहा गया है कि सभी फील्ड ऑडिट कार्य ‘तत्काल प्रभाव से रोका जाए’.

महाराष्ट्र के आदेश में कहा गया है, ‘मुख्यालय मेल दिनांक 26/09/2023 के मद्देनजर परफॉमेंस ऑडिट (पीए) और राज्य विशिष्ट अनुपालन ऑडिट (एससीसीए)/विषयगत ऑडिट (टीए) पर व्यापक और विस्तृत प्रस्तुति वार्षिक ऑडिट योजना 2023-24 में ले ली गई है, जिसे मुख्यालय के निर्देशानुसार उसे भेज दिया गया है. इस संबंध में और अधिक स्पष्टता होने तक यह निर्देश दिया जाता है कि पीए, एससीसीए/टीए से संबंधित सभी फील्ड ऑडिट कार्य को अगले आदेश तक तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाए.’

हालांकि द वायर के सवालों का जवाब देते हुए कैग कार्यालय ने मुख्यालय से राज्यों को दिए गए ऐसे किसी भी आदेश से इनकार करते हुए कहा गया कि ‘कैग कार्यालय द्वारा फील्ड ऑडिट कार्य को रोकने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है’.

16 अक्टूबर को ईमेल के जवाब में कहा गया, ‘यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कैग कार्यालय द्वारा फील्ड ऑडिट कार्य को रोकने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.’

आगे कहा गया है, ‘वार्षिक ऑडिट योजनाएं कार्यात्मक कार्यक्षेत्रों और क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा तैयार की जाती हैं. उचित विचार और समीक्षा के बाद इन्हें कार्यान्वयन के लिए इस कार्यालय द्वारा अनुमोदित किया जाता है. इसके बाद योजना के अनुसार फील्ड ऑडिट कार्यालयों द्वारा ऑडिट किया जाता है और परिचालन प्राथमिकता के अनुसार मानव संसाधनों को उपयुक्त रूप से तैनात किया जाता है. देश भर में फील्ड ऑडिट पार्टियां वर्तमान में हमेशा की तरह तैनात हैं.’

द वायर ने ईमेल के माध्यम से महालेखाकार (लेखा और हकदारी)-I, महाराष्ट्र, मुंबई (प्रधान महालेखाकार का कार्यालय (लेखापरीक्षा)-1, महाराष्ट्र, मुंबई कार्यालय से भी संपर्क किया है, लेकिन अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.

मुंबई डेटलाइन से एक महत्वपूर्ण समाचार रिपोर्ट में जिसका शीर्षक है, कैग ने केंद्रीय मंत्रालयों में ऑडिट रोकने का प्रस्ताव वापस ले लिया है, मलयालम दैनिक मातृभूमि ने आज (18 अक्टूबर) रिपोर्ट की है.

इसके अनुसार, ‘कैग ने केंद्र सरकार के तहत विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से संबंधित ऑडिट को रोकने के प्रस्ताव को वापस ले लिया है. मंगलवार (17 अक्टूबर) को वरिष्ठ अधिकारियों की एक ऑनलाइन बैठक के बीच इस संबंध में निर्णय लिया गया.’

द वायर स्वतंत्र रूप से पुष्टि करने में असमर्थ है कि क्या कैग ने ‘केंद्रीय मंत्रालयों में ऑडिट रोकने का प्रस्ताव’ वापस ले लिया है.

विभिन्न प्रकार के ऑडिट 

कैग वेबसाइट के अनुसार, परफॉरमेंस ऑडिट (Performance Audit) ‘इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि क्या हस्तक्षेप, कार्यक्रम और संस्थान अर्थव्यवस्था, दक्षता और प्रभावशीलता के सिद्धांतों के अनुसार प्रदर्शन कर रहे हैं और क्या सुधार की गुंजाइश है. परफॉरमेंस (प्रदर्शन) की जांच उपयुक्त मानदंडों के आधार पर की जाती है और उन मानदंडों से विचलन या अन्य समस्याओं के कारणों का विश्लेषण किया जाता है. इसका उद्देश्य प्रमुख ऑडिट प्रश्नों का उत्तर देना और सुधार के लिए सिफारिशें प्रदान करना है’.

वेबसाइट यह भी बताती है कि एक अनुपालन ऑडिट (Compliance Audit) ‘इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि क्या कोई विशेष विषय मानदंड के अनुपालन में है. अनुपालन ऑडिटिंग यह आकलन करके की जाती है कि क्या गतिविधियां, वित्तीय लेनदेन और जानकारी, सभी भौतिक पहलुओं में लागू प्राधिकारियों के अनुपालन में हैं, जिसमें संविधान, अधिनियम, कानून, नियम और विनियम, बजटीय संकल्प, नीति, अनुबंध, समझौते, स्थापित कोड, अनुमोदन, आपूर्ति आदेश, सहमत शर्तें या अच्छे सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय प्रबंधन और सार्वजनिक अधिकारियों के आचरण को नियंत्रित करने वाले सामान्य सिद्धांत शामिल हैं’.

विषयगत ऑडिट (Thematic Audits) उन ऑडिट को संदर्भित करता है, जिनमें अनुपालन और परफॉरमेंस ऑडिट उद्देश्य दोनों हो सकते हैं.

2जी’ और ‘कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले’ के कारण तत्कालीन यूपीए सरकार की आलोचना के बाद कैग रिपोर्टों को लेकर विशेष रुचि रही है. इन घोटालों का खुलासा तब हुआ, जब विनोद राय कैग थे और जिसके गंभीर परिणाम यूपीए की साख पर पड़े.

मानसून सत्र में पेश कैग की 12 प्रमुख रिपोर्ट

बीते 11 अगस्त को समाप्त हुए मानसून सत्र के दौरान संसद में 12 प्रमुख ऑडिट रिपोर्ट पेश की गई थीं. कैग की इन 12 रिपोर्टों में केंद्र सरकार के कई मंत्रालयों और विभागों के कामकाज में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं का खुलासा हुआ है.

इनमें आयुष्मान भारत और द्वारका एक्सप्रेसवे परियोजना में अनियमितताओं पर कैग रिपोर्ट शामिल थी, जिसे विशेष रूप से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) सहित विपक्षी दलों ने उठाया था. इन दलों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर ‘घोटालों’ का नेतृत्व करने का आरोप लगाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाबदेही की मांग की थी.

पिछले सप्ताह द वायर ने रिपोर्ट की थी कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में नई दिल्ली स्थित कैग कार्यालय में ‘सभी फील्ड वर्क बंद करने’ के लिए ‘मौखिक आदेश’ पारित किए गए थे. फिर अधिकारियों ने उन्हें आगे बढ़ाने में सक्षम होने के लिए लिखित आदेश मांगे थे.

ये ​फील्ड वर्क मंत्रालयों और विभागों की ऑडिटिंग के लिए महत्वपूर्ण है, जिसके परिणामस्वरूप अंतत: देश की आधिकारिक ऑडिट संस्था द्वारा रिपोर्ट पेश की जाती है और सरकारी खर्च और वित्त पर जवाबदेही और जांच स्थापित करने में मदद मिलती है.

इसके अलावा द वायर ने यह भी बताया था कि सीएजी गिरीश चंद्र मुर्मू के बारे में कहा जाता है कि वह ‘किसी भी रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं’, जिस पर प्रभारी अधिकारी के साथ अनिवार्य रूप से भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा (IA&AS) के एक अधिकारी के हस्ताक्षर होने चाहिए.

बीते 13 अक्टूबर को एक प्रेस विज्ञप्ति में कैग कार्यालय ने इस रिपोर्ट को ‘अस्वीकार’ कर दिया था.

खुद को भारत का सर्वोच्च लेखा परीक्षा संस्थान (एसएआई) कहते हुए इसने कहा था कि कैग ‘शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के अपने जनादेश (Mandate) को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और पिछले वर्षों की कार्य क्षमता (Output) को पार करने को लेकर आश्वस्त है.’

आगे कहा गया, ‘यह संभव नहीं होगा अगर कथित विवाद में थोड़ी सी भी सच्चाई हो कि फील्ड ऑडिट को निलंबित कर दिया गया है. निश्चिंत रहें, डेटा एनालिटिक्स और डिजिटल ऑडिट द्वारा उचित रूप से समर्थित, फील्ड ऑडिट पूरी ताकत से जारी है.’

द वायर ने यह भी बताया था कि मौखिक आदेश उन तीन अधिकारियों के तबादलों के ठीक बाद आए थे, जो उन ऑडिट रिपोर्ट के प्रभारी थे, जिसने द्वारका एक्सप्रेसवे परियोजना और आयुष्मान भारत में भ्रष्टाचार का खुलासा किया था. आयुष्मान भारत रिपोर्ट का ऑडिट शुरू करने वाले तीसरे अधिकारी का भी तबादला कर दिया गया है.

द वायर की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सहित विपक्षी दलों ने भाजपा सरकार पर ‘भ्रष्टाचार’ और डराने-धमकाने का आरोप लगाया है.

कैग की 13 अक्टूबर की प्रेस विज्ञप्ति में इस बात का भी खंडन किया गया था कि तबादलों का ऑडिट रिपोर्ट से कोई लेना-देना है.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें