पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि उनकी सरकार राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के तीन विधेयकों को मंज़ूरी देने से इनकार करने और दो दिवसीय विधानसभा सत्र की वैधता पर सवाल उठाने के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जाएगी. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार शीर्ष अदालत में मामला सुलझने तक विधानसभा में कोई भी विधेयक पेश नहीं करेगी.
नई दिल्ली: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घोषणा की है कि उनकी सरकार राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित के तीन विधेयकों को मंजूरी देने से इनकार करने और दो दिवसीय विधानसभा सत्र की वैधता पर सवाल उठाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी.
दो दिवसीय विधानसभा सत्र में शुक्रवार को पहले दिन एक दिन की कटौती कर दी गई थी.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, स्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार शीर्ष अदालत में मामला सुलझने तक कोई भी विधेयक पेश नहीं करेगी और स्पीकर कुलतार सिंह संधवान से सत्र स्थगित करने का आग्रह किया.
उनकी टिप्पणी तब आई जब संधवान ने सदन को बताया कि दो दिवसीय सत्र ‘कानूनी’ है. अंतत: सदन को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया गया.
मान की घोषणा पर राज्यपाल के कार्यालय से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
13 अक्टूबर को राजभवन ने आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा ‘बजट सत्र के विस्तार’ के रूप में 20 अक्टूबर से बुलाए गए पंजाब विधानसभा के दो दिवसीय सत्र पर कड़ी आपत्ति जताई थी. पंजाब विधानसभा के सचिव को लिखे एक पत्र में राज्यपाल कार्यालय ने कहा था कि ऐसा कोई भी विस्तारित सत्र ‘अवैध’ होना तय है और ऐसे सत्रों के दौरान आयोजित कोई भी कार्य ‘गैरकानूनी और शुरू से ही शून्य’ है.
राज्यपाल पुरोहित ने राजस्व संबंधी तीन विधेयकों को भी अपनी मंजूरी रोक दी, जिससे उनके और मान के बीच विवाद बढ़ गया है.
यह सत्र पंजाब में सतलुज यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर के एक खंड के निर्माण को लेकर राज्य में चल रही राजनीतिक खींचतान के बीच बुलाया गया था, जो कई दशकों से हरियाणा के साथ विवाद का विषय रहा है.
सदन को संबोधित करते हुए मान ने कहा, ‘राज्य सरकार राज्य के जिद्दी राज्यपाल द्वारा लंबित बिलों को मंजूरी दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक चयनित राज्यपाल लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को जन-समर्थक निर्णय लेने से रोकने के लिए धमकाने की रणनीति का सहारा ले रहे हैं. राज्यपाल की यह मनमानी कानूनी जांच में टिक नहीं पाएगी और शीर्ष अदालत द्वारा इसे उचित रूप से खारिज कर दिया जाएगा.’
मान ने कहा कि राज्यपाल ने कहा था कि अगर ‘अवैध’ सत्र जारी रखा गया तो वह राष्ट्रपति से शिकायत करेंगे.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने राजस्व से संबंधित विधेयक लाने की योजना बनाई है. उन्होंने कहा, ‘जब सरकार के पास पैसा आता है, तो वह इसे लोगों के कल्याण पर खर्च करती है, लेकिन दुर्भाग्य से हमारे माननीय राज्यपाल सत्र की वैधता पर सवाल उठाते हैं.’
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत में मामला सुलझने तक राज्य सरकार सदन में कोई विधेयक पेश नहीं करेगी.
उन्होंने कहा, ‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि जब तक हम पंजाबियों को आश्वस्त नहीं कर देते कि यह सत्र वैध है और राज्यपाल को सभी विधेयकों को मंजूरी देनी होगी, बाद में उन पर हस्ताक्षर भी करना होगा, तब तक हम कोई विधेयक पेश नहीं करेंगे.’