मनरेगा में ‘प्रक्रिया के उल्लंघन’ के कारण 2022-23 में रिकॉर्ड जॉब कार्ड हटाए गए: रिपोर्ट

विभिन्न राज्य सरकारों ने 2022-23 में मनरेगा डेटाबेस से 5 करोड़ से अधिक जॉब कार्ड हटा दिए हैं, जो 1 करोड़ से 1.5 करोड़ जॉब कार्ड हटाने के वार्षिक औसत से कहीं अधिक है. एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है राज्यों ने जॉब कार्ड हटाने में तेज़ी ला दी है, क्योंकि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 100 प्रतिशत आधार आधारित भुगतान प्रणाली के अनुपालन पर ज़ोर दिया है.

[प्रतीकात्मक फोटो साभार: Nevil Zaveri/Flickr (CC BY 2.0)]

विभिन्न राज्य सरकारों ने 2022-23 में मनरेगा डेटाबेस से 5 करोड़ से अधिक जॉब कार्ड हटा दिए हैं, जो 1 करोड़ से 1.5 करोड़ जॉब कार्ड हटाने के वार्षिक औसत से कहीं अधिक है. एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है राज्यों ने जॉब कार्ड हटाने में तेज़ी ला दी है, क्योंकि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 100 प्रतिशत आधार आधारित भुगतान प्रणाली के अनुपालन पर ज़ोर दिया है.

(फोटो साभार: UN Woman/Gaganjit Singh/Flickr)

नई दिल्ली: एक शोध संगठन ने पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) डेटाबेस से जॉब कार्ड रद्द करने (Delete) में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की है.

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न राज्य सरकारों ने 2022-23 में मनरेगा डेटाबेस से 5 करोड़ से अधिक जॉब कार्ड हटा दिए हैं. इन्हें उचित प्रक्रिया का उल्लंघन मानते हुए हटाया गया है. लिबटेक इंडिया (LibTech India) के अनुसार, यह आंकड़ा 1 करोड़ से 1.5 करोड़ जॉब कार्ड हटाए जाने के वार्षिक औसत से कहीं अधिक है.

लिबटेक इंडिया ग्रामीण सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में पारदर्शिता, जवाबदेही और लोकतांत्रिक जुड़ाव में सुधार के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है.

लिबटेक इंडिया ने अक्टूबर 2022 और जून 2023 के बीच आंध्र प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, ओडिशा और झारखंड में 600 श्रमिकों का साक्षात्कार करके एक फील्ड सत्यापन किया है, जिनके कार्ड हटा दिए गए थे.

इसमें पाया गया कि इन सभी 600 जॉब कार्ड में नियमों का उल्लंघन किया गया था और 380 मामलों में उद्धृत कारण गलत थे.

हालांकि, सरकारों ने डुप्लीकेट या नकली कार्ड, मृत्यु और कार्डधारकों की योजना के तहत काम करने की अनिच्छा जैसे कारणों का हवाला देते हुए दावा किया कि यह नियमित अपडेशन था.

लिबटेक इंडिया की शोधकर्ता लावण्या तमांग ने द टेलीग्राफ को बताया, ‘ऐसा लगता है कि राज्यों ने जॉब कार्डों को हटाने में तेजी ला दी है, क्योंकि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 100 प्रतिशत आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के अनुपालन पर जोर दिया है.’

एबीपीएस अनुपालन के लिए एक श्रमिक का आधार नंबर उसके जॉब कार्ड और बैंक खाते से जुड़ा होना चाहिए, जिसे राज्य सरकार द्वारा सुविधा प्रदान की जाती है और बैंक की संस्थागत पहचान संख्या से जोड़ा जाता है. राज्यों को इस बोझिल प्रक्रिया से बचने के लिए जॉब कार्ड रद्द कर देने सबसे आसान विकल्प लगा होगा.

तमांग ने कहा कि एबीपीएस अनुपालन सुनिश्चित करने का मतलब राज्यों के लिए बहुत काम करना होगा.

मनरेगा के तहत जारी वार्षिक मास्टर सर्कुलर (एएमसी) 13 विशिष्ट आधारों पर जॉब कार्ड रद्द करने की अनुमति देता है. हालांकि, जॉब कार्डों में कुछ भी जोड़ने या हटाने को संबंधित ग्रामसभा के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए.

तमांग ने बताया कि फील्ड सत्यापन अभ्यास में पाया गया कि 600 हटाए गए जॉब कार्डों में से किसी में भी ग्रामसभाओं से परामर्श नहीं किया गया था.

यदि धारक हटाने के लिए आवेदन करता है तो जॉब कार्ड रद्द किया जा सकता है. पंचायत स्तरीय मनरेगा पदाधिकारी ग्रामसभा को सूचित कर भी ऐसा कर सकते हैं.

तमांग ने कहा, ‘उन्होंने (राज्यों ने) ज्यादातर मामलों में काम करने के इच्छुक नहीं होने या पंचायत में उपस्थित नहीं होने जैसे कारणों का उल्लेख किया. सत्यापन के बाद हमने पाया कि साक्षात्कार में शामिल 600 श्रमिकों में से 380 के मामले में आधिकारिक दस्तावेजों में उद्धृत कारण सही नहीं थे.’

द टेलीग्राफ ने 5 अक्टूबर को ग्रामीण विकास सचिव शैलेश कुमार सिंह को एक ईमेल भेजकर पूछा कि क्या गलत तरीके से नाम हटाने के आरोप सही हैं और यदि हां, तो केंद्र सरकार ने इसके बारे में क्या किया है. इस संबंध में उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार है.

इस साल जनवरी में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने आदेश दिया कि मनरेगा में सभी मजदूरी भुगतानों के लिए एबीपीएस का उपयोग 1 फरवरी, 2023 से शुरू हो रहा है. हालांकि, शासनादेश के समय केवल 43 प्रतिशत मनरेगा श्रमिक एबीपीएस भुगतान के लिए पात्र थे.

100 प्रतिशत आधार सीडिंग (श्रमिकों द्वारा अपने आधार विवरण को अपने जॉब कार्ड से जोड़ने की प्रक्रिया) और प्रमाणीकरण को कम अवधि में प्राप्त करने के दबाव के कारण मनरेगा डेटाबेस से श्रमिकों के नाम हटाने में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.

ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने 25 जुलाई, 2023 को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा था कि 2021-22 में 1.5 करोड़ के मुकाबले 2022-23 में मनरेगा जॉब कार्डों को हटाने की कुल संख्या 5.18 करोड़ थी. 2022-23 में 83 लाख जॉब कार्ड हटाने के साथ पश्चिम बंगाल इस सूची में शीर्ष पर है.

सिंह के जवाब में कहा गया था कि श्रमिकों को हटाए जाने के कई कारण थे, जिनमें ‘1. फर्जी जॉब कार्ड, 2. डुप्लीकेट जॉब कार्ड, 3. अब काम करने को तैयार नहीं, 4. परिवार ग्राम पंचायत से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गया और 5. जॉब कार्ड में एकल व्यक्ति और उसकी मृत्यु हो गई है, आदि कारण थे.’