गुजरात: गरबा कार्यक्रम के दौरान दिल का दौरा पड़ने से कम से कम 10 लोगों की मौत

एक रिपोर्ट के अनुसार, 24 घंटे के दौरान एंबुलेंस सेवा के लिए 500 से अधिक कॉल की गईं और सरकार ने अलर्ट जारी किया है. साथ ही गरबा आयोजकों से सभी आवश्यक उपाय करने को कहा गया है, जिसमें यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि लोगों को अस्वस्थ महसूस होने पर अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध हैं.

(फोटो साभार: फेसबुक/Incredible India)

एक रिपोर्ट के अनुसार, 24 घंटे के दौरान एंबुलेंस सेवा के लिए 500 से अधिक कॉल की गईं और सरकार ने अलर्ट जारी किया है. साथ ही गरबा आयोजकों से सभी आवश्यक उपाय करने को कहा गया है, जिसमें यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि लोगों को अस्वस्थ महसूस होने पर अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध हैं.

(फोटो साभार: फेसबुक/Incredible India)

नई दिल्ली: पिछले 24 घंटों में पूरे गुजरात में गरबा आयोजनों के दौरान दिल का दौरा पड़ने से कम से कम 10 लोगों की मौत होने की सूचना है. मृतकों में सबसे कम उम्र का व्यक्ति सिर्फ 17 साल का था.

24 घंटे के दौरान एंबुलेंस सेवा के लिए 500 से अधिक कॉल की गईं और सरकार ने भी अलर्ट जारी किया है. साथ ही गरबा आयोजकों से सभी आवश्यक उपाय करने को कहा गया है, जिसमें यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि लोगों को अस्वस्थ महसूस होने पर अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध हैं.

समाचार वेबसाइट एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी ही एक घटना खेड़ा जिले के कपडवंज कस्बे में घटी, जहां एक कार्यक्रम में गरबा खेलते समय 17 वर्षीय वीर शाह की अचानक तबीयत खराब हो गई. उनकी नाक से खून बहने लगा तो उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया. इस दौरान उनके माता-पिता, जो एक अन्य कार्यक्रम में थे, अस्पताल पहुंचे तब तक उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था. मौत का कारण दिल का दौरा बताया गया है.

उनके पिता रिपल शाह ने अपील की, ‘कृपया जागरूक रहें. बिना ब्रेक लिए लंबे समय तक गरबा न खेलें. मैंने आज अपना बेटा खो दिया है, मुझे उम्मीद है कि किसी और के साथ ऐसा न हो.’

अहमदाबाद, नवसारी और राजकोट में भी 20 साल से अधिक उम्र के लोगों की मौत सहित इसी तरह के मामले सामने आए हैं.

वडोदरा जिले के दाभोई में भी एक 13 वर्षीय बच्चे की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई. वैभव सोनी एक गरबा कार्यक्रम से साइकिल पर लौट रहे थे, तभी गिर गए, उन्हें मामूली चोटें आई थीं. उन्हें अस्पताल ले जाया गया और एक्स-रे समेत कुछ परीक्षण किए गए, फिर उन्हें छुट्टी दे दी गई.

बाद में वैभव ने सीने में दर्द की शिकायत की और उसके परिवार ने उन्हें कुछ दवा देकर सुला दिया. कुछ घंटों बाद जब वह नहीं उठे तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. अधिकारियों ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि उनके दिल का दौरा पड़ने का संबंध गरबा खेलने से था या नहीं.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, बीते शुक्रवार (20 अक्टूबर) को अहमदाबाद में गरबा के दौरान एक 24 वर्षीय युवक बेहोश होकर गिर गया और उसकी मौत हो गई थी. न्यूज18 की रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद निवासी 28 वर्षीय रवि पांचाल गरबा खेलते समय गिर गए और शुक्रवार रात उनकी मृत्यु हो गई, जबकि एक अन्य घटना वडोदरा से सामने आई, जहां 55 वर्षीय शंकर राणा गरबा खेलते समय गिर गए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि नवरात्रि के पहले छह दिनों के दौरान 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवाओं को सांस की तकलीफ के लिए 609 कॉल और हृदय संबंधी समस्याओं के लिए 521 कॉल मिलीं. ये कॉल शाम 6 बजे से 2 बजे के बीच आईं, जब अक्सर गरबा उत्सव होता है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अहमदाबाद चैप्टर ने भी कहा है कि 40 साल से अधिक उम्र के जिन लोगों के परिवार में हृदय रोग का इतिहास है, उन्हें गरबा में भाग लेने से पहले मेडिकल जांच करानी चाहिए. एसोसिएशन ने दिल के दौरे के मामलों में वृद्धि को देखते हुए गरबा कार्यक्रमों में भाग लेने वालों और आयोजकों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं.

एनडीटीवी से बात करते हुए सिद्ध अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनुराग मेहरोत्रा ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में 11 प्रतिशत से अधिक लोग शुगर से पीड़ित हैं, 15 प्रतिशत से अधिक लोग प्री-डायबिटिक हैं. 36 प्रतिशत हाई ब्लडप्रेशर से ग्रस्त हैं और 50 प्रतिशत से अधिक लोग मोटापे से ग्रस्त हैं. ये सभी स्थितियां हृदय की धमनियों में समस्याएं पैदा करते हैं.

मेहरोत्रा ने कहा, ‘इनमें से अधिकांश रोगियों में कोरोनरी आर्टेरी रोग के प्रमाण मिले हैं. यह रोग (धमनियों की दीवार में प्लाक का निर्माण), हाई ब्लडप्रेशर और शुगर होने की उम्र अब कम हो गई है. हमारी आबादी युवा है, लेकिन यह बहुत स्वस्थ नहीं है.’

उन्होंने कहा, ‘दूसरा पहलू यह है कि अगर आप कुछ ऐसा करते हैं, जिसके आप आदी नहीं हैं, तो ऐसी घटनाएं घटित होती हैं.’

डॉक्टर ने सलाह दी कि ऐसे आयोजनों के आयोजकों को स्वचालित बाहरी डिफाइब्रिलेटर रखना चाहिए, जो ऐसी स्थितियों में जान बचाने में मदद कर सकते हैं और कुछ ऐसे लोगों को भी रखना चाहिए जो सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) में प्रशिक्षित हों.

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि लोगों को अपनी जीवनशैली में सुधार करने, गतिहीन रहने से बचने और कम प्रसंस्कृत और अति-प्रसंस्कृत भोजन खाने की जरूरत है.