यह शिक्षक भर्ती घोटाला 2014 का है, जब पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) आयोजित की थी. साल 2021 में यह सामने आया कि कम टीईटी स्कोर वाले व्यक्तियों को शिक्षक पद दे दिए गए थे. इस घोटाले के ख़िलाफ़ इन लोगों का विरोध प्रदर्शन 950 दिनों से अधिक समय से चल रहा है.
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में दुर्गा पूजा उत्सव की धूम है. इस धूम के बीच इसी शहर में युवक और युवतियों का एक समूह एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहा है.
ये लोग अपने अनोखे अंदाज में त्योहार मना रहे हैं. उनमें से कुछ ने दुर्गा का कटआउट बनाया है, जिसमें कार्डबोर्ड पर बंद मुट्ठियां बुराई पर जीत का प्रतीक हैं. भ्रष्टाचार और अनुचित प्रथाओं के खिलाफ उनका यह विरोध प्रदर्शन 950 दिनों से अधिक समय से चल रहा है.
ऐसे पांच लाख से अधिक लोगों ने प्राथमिक, माध्यमिक और समूह ‘डी’ की सरकारी नौकरी परीक्षाओं को सफलतापूर्वक उत्तीर्ण किया है, लेकिन रिश्वत देने वालों के कारण बेरोजगार रह गए.
एक प्रदर्शनकारी सुकोमल मंडल ने बताया, ‘हमें अदालत द्वारा धरना देने की अनुमति दी गई है. कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार, प्रत्येक दिन इस स्थान पर 25 से अधिक लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति नहीं है, इसलिए विभिन्न जिलों के लोग दिन-ब-दिन बारी-बारी से आते हैं. वे सभी उम्मीदवार हैं, जिन्होंने सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षा दी थी और उन्हें लगता है कि उनके साथ अन्याय हुआ है.’
हालांकि 27 अक्टूबर को एक कार्निवल के दौरान शहर के दुर्गा पूजा पडांलों में खूबसूरती से तैयार की गईं मूर्तियों का परेड निकाला जाएगा. इस दिन इन लोगों को अपना धरना-प्रदर्शन जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
यह जगह कोलकाता के एक हिस्से के रूप में इस हद तक रच-बस गई है कि उनके संघर्षों को अक्सर कई लोग नजरअंदाज कर देते हैं या भूल जाते हैं.
2015 में परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले करीम शेख ने कहा, ‘मैं अब भी इस बात से सदमे में हूं कि कैसे सरकार ने दूसरों को भर्ती करने के कारण योग्य और प्रतिभाशाली छात्रों की अनदेखी की. ऐसा लगता है कि पूरे सिस्टम में धांधली हुई है और ओएमआर शीट में हेराफेरी करने वालों को पहले ही पकड़ा जा चुका है.’
यह भर्ती घोटाला 2014 का है, जब पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड ने प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) आयोजित की थी. साल 2021 में यह सामने आया कि कम टीईटी स्कोर वाले व्यक्तियों को शिक्षक पद दे दिए गए थे.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले की जांच कर रहे हैं, जिसमें रिश्वतखोरी के माध्यम से टीईटी परिणामों में हेरफेर करने और अयोग्य उम्मीदवारों को भर्ती करने की साजिश में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी सहित सत्तारूढ़ दल के कई शीर्ष नेताओं को शामिल किया गया है.
दुर्नीति मुक्ति मंच के संयोजक इंद्रजीत घोष ने कहा, ‘शिक्षकों और सरकारी नौकरियों की भर्ती में भ्रष्टाचार व्यापक है. मंत्रियों सहित तृणमूल कांग्रेस के नेता खुलेआम इन पदों की बिक्री में लगे हुए हैं, जिन्होंने परीक्षा और साक्षात्कार उत्तीर्ण करने वालों की योग्यता को नजरअंदाज कर दिया है.’
विरोध में लगातार शामिल रहीं अरुणिमा पाल के साथ पिछले साल दुर्व्यवहार भी किया गया था. पिछले साल एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने उन्हें जबरदस्ती घसीटा था. उन्होंने खुलासा किया, ‘पुलिस ने मेरे आवास पर भी तलाशी ली थी और तब से मेरे परिवार को डरा रही है.’
कूच बिहार के प्रणब दास परिवार से दूर विरोध स्थल पर दुर्गा पूजा मना रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘हम ऐसा बिना किसी विरोध के होने नहीं दे सकते. कई स्कूलों में पीटीआर (छात्र-शिक्षक अनुपात) बहुत अधिक है, फिर भी योग्य उम्मीदवारों को वर्षों से नौकरियों से वंचित किया जा रहा है.’
पिछले कुछ वर्षों में वामपंथी दलों के नेता त्योहारी सीजन के दौरान प्रदर्शनकारियों से मिलने आते रहे हैं. इस साल सीपीआई (एम) के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम और डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया की नेता मीनाक्षी मुखर्जी ने विरोध स्थल पर उनसे मुलाकात की थी.
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने इस बात को खारिज करते हुए आरोप लगाया कि वे मामले का राजनीतिकरण कर रहे हैं.
धरने में नियमित रूप से भाग लेने वाले सुशांत घोष ने कहा, ‘हमें अदालत पर भरोसा है. अवैध तरीके से भर्ती हुए कुछ लोग अपनी योग्यता का प्रमाण न देने के कारण पहले ही अपनी नौकरियां खो चुके हैं.’
उन्होंने आगे कहा, ‘आश्चर्य की बात है कि सरकार उनके लिए लड़ रही है, हमारे बारे में नहीं सोच रही है. हम न्याय मिलने तक डटे रहने के लिए प्रतिबद्ध हैं. दुख की बात है कि हमने रास्ते में अपने कुछ साथियों को खो दिया है, लेकिन हम अपना विरोध तब तक जारी रखेंगे, जब तक हमें हमारी उचित नौकरी नहीं मिल जाती.’
अपर्णा भट्टाचार्य द्वारा बंगाली से अनुवादित इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें