जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने डीजीपी दिलबाग सिंह को अपनी मर्ज़ी से डीएसपी का तबादला करने से रोका

जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि अब से सरकार की पूर्व मंज़ूरी प्राप्त किए बिना डीएसपी स्तर पर कोई भी तबादला नहीं किया जाएगा और डीएसपी के तबादलों तथा पोस्टिंग के प्रस्ताव पूरे विवरण के साथ गृह विभाग को भेजे जाएं. लोगों ने इसे डीजीपी के अधिकार को कमज़ोर करने का प्रयास बताया है.

डीजीपी दिलबाग सिंह. (फोटो साभार: एएनआई)

जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि अब से सरकार की पूर्व मंज़ूरी प्राप्त किए बिना डीएसपी स्तर पर कोई भी तबादला नहीं किया जाएगा और डीएसपी के तबादलों तथा पोस्टिंग के प्रस्ताव पूरे विवरण के साथ गृह विभाग को भेजे जाएं. लोगों ने इसे डीजीपी के अधिकार को कमज़ोर करने का प्रयास बताया है.

डीजीपी दिलबाग सिंह. (फोटो साभार: एएनआई)

नई दिल्ली: उपराज्यपाल के नेतृत्व वाली जम्मू कश्मीर सरकार ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह को अपनी मर्जी से पुलिस उपाधीक्षकों (डीएसपी) के तबादले का आदेश देने से रोक दिया है. उनसे कहा गया है कि अब से उन्हें यह प्रस्ताव गृह विभाग को भेजने की जरूरत है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 5 अक्टूबर को डीजीपी को संबोधित गृह विभाग के एक सर्कुलर में कहा गया है, ‘अब से सरकार की पूर्व मंजूरी प्राप्त किए बिना डीएसपी के स्तर पर कोई भी ट्रांसफर नहीं किया जाएगा और डीएसपी के तबादलों तथा पोस्टिंग के प्रस्ताव पूरे विवरण के साथ गृह विभाग को भेजे जाएं.’

अतिरिक्त सचिव (गृह) डॉ. अरविंद करवानी द्वारा जारी सर्कुलर में आगे कहा गया है, ‘मुझे आपसे अनुरोध करने का भी निर्देश दिया गया है कि कृपया उन पुलिस उपाधीक्षकों की सूची साझा करें, जिनका तत्काल प्राथमिकता के आधार पर पिछले तीन महीनों के दौरान समय से पहले ट्रांसफर कर दिया गया है.’

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि इस तरह के फैसले ‘सिस्टम’ के ‘सुचारू कामकाज’ को प्रभावित कर सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘पुलिस संगठन के प्रमुख के रूप में यह डीजीपी ही हैं, जो किसी से भी बेहतर जानते हैं कि उनके बल में किसे कहां रखा जाना है और किसी विशेष समय और विशेष स्थान पर किसी निश्चित ड्यूटी के लिए कौन पूरी तरह उपयुक्त है.’

यह सर्कुलर ऐसे समय आया है, जब डीजीपी इस महीने के अंत तक सेवानिवृत्त होने वाले हैं. जम्मू-कश्मीर पुलिस के भीतर कई लोग अनुमान लगा रहे थे कि उन्हें विस्तार मिल सकता है और यह परिपत्र आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के बीच वर्चस्व की लड़ाई से जुड़ा हो सकता है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इस संबंध में उसने प्रमुख सचिव (गृह) आरके गोयल से टिप्पणी मांगने के लिए संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने कॉल का जवाब नहीं दिया.

बीते 7 अप्रैल को गृह विभाग ने 31 डीएसपी के ट्रांसफर का आदेश दिया था, जिसकी कुछ लोगों ने आलोचना की थी, जिन्होंने इसे पुलिस बल के कामकाज में हस्तक्षेप और जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रमुख (डीजीपी) के अधिकार को कमजोर करने का प्रयास बताया था.

उस समय गृह विभाग के आदेश का विरोध करते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी के. राजेंद्र ने कहा था कि डीजीपी को फैसले लेने की जरूरत है, क्योंकि जब कानून-व्यवस्था और आतंकवाद से निपटने की बात आती है तब जिम्मेदारी उनकी ही आती है.

सेवानिवृत्त डीजीपी एसपी वैद ने सोशल मीडिया पर कहा था कि नागरिक प्रशासन द्वारा पुलिस मुख्यालय के अधिकार को कमजोर करने के बार-बार प्रयासों से पुलिस बल के मनोबल पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है.

दो महीने बाद 17 जून को डीजीपी दिलबाग सिंह ने 22 डीएसपी के ट्रांसफर का आदेश दिया था, जबकि 7 अगस्त को उन्होंने छह और डीएसपी का ट्रांसफर कर दिया था.