यूपी में ग़ैर-पंजीकृत मदरसों को दस हज़ार रुपये प्रतिदिन का जुर्माना भरने के नोटिस समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे मदरसों को तीन दिन के अंदर जरूरी कागज़ात पेश करने या दस हज़ार रुपये प्रतिदिन का जुर्माना भरने को कहा गया है. नवभारत टाइम्स के अनुसार, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी की ओर से 12 गैर-पंजीकृत मदरसों को जारी नोटिस में कहा गया है कि वे फौरन बंद नहीं हुए तो उन्हें जुर्माना भरना होगा. यूपी मदरसा एजुकेशन बोर्ड ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि मदरसा मामलों में शिक्षा विभाग समेत किसी को भी हस्तक्षेप करने का हक़ नहीं है. वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के यूपी सचिव ने नोटिस को गैर-क़ानूनी कहते हुए जोड़ा कि ऐसा एक समुदाय विशेष को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है.

महाराष्ट्र के भाजपा नेता नीलेश राणे ने चुनावी राजनीति छोड़ने की घोषणा की है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नीलेश साल 2009 में कांग्रेस के टिकट पर राज्य के रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद बने थे. बाद में वे भाजपा में शामिल हुए. अपने विवादित बयानों के लिए चर्चित नीलेश ने उन्होंने यह घोषणा करते हुए लिखा कि उनमें अब चुनाव या ऐसी किसी चीज़ के प्रति उत्साह नहीं है. उन्होंने भाजपा का शुक्रिया अदा करते हुए जोड़ा कि वे अनजाने में कुछ लोगों को ठेस पहुंचने के लिए माफ़ी चाहते हैं. नीलेश राणे केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे हैं. उनके भाई नीतेश राणे राज्य की कणकवली सीट से भाजपा के विधायक हैं.

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एक दलित छात्र पर हमले के आरोपी प्रॉक्टर के निलंबन की मांग को लेकर राज्य के कई विश्वविद्यालयों में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया है. रिपोर्ट के अनुसार, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विभिन्न मांगों को लेकर छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान चीफ प्रॉक्टर राकेश सिंह पर एक दलित छात्र पर हमला करने का आरोप है.  सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में राकेश सिंह एक पुलिसकर्मी से लाठी छीनते और उनके खिलाफ नारे लगाते छात्र को मारते दिखते हैं. वे तब तक छात्र को पीटते रहते हैं जब तक पुलिसकर्मी हस्तक्षेप नहीं करते. छात्रों का कहना है कि उन्होंने चीफ प्रॉक्टर के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उनकी नहीं सुनी.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सूबे के डीजीपी को उनके अनुसार डीएसपी का तबादला करने से रोक दिया है. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 5 अक्टूबर को डीजीपी दिलबाग सिंह को संबोधित गृह विभाग द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि अब से सरकार की पूर्व मंज़ूरी प्राप्त किए बिना डीएसपी स्तर पर कोई भी तबादला नहीं किया जाएगा और डीएसपी के तबादलों तथा पोस्टिंग के प्रस्ताव पूरे विवरण के साथ गृह विभाग को भेजे जाएं. उनसे ऐसे डीएसपी की सूची देने को भी कहा गया है, जिन्हें पिछले तीन महीनों के दौरान तत्काल प्राथमिकता के आधार पर समय से पहले ट्रांसफर किया गया था. इस कदम को डीजीपी के अधिकार को कमज़ोर करने का प्रयास बताया जा रहा है.

कर्नाटक में पिछली सरकार के दौरान शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब को लेकर हुए विवादों के बाद अब राज्य के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि हिजाब पहनने वाली उम्मीदवार भर्ती परीक्षाओं में शामिल हो सकती हैं. रिपोर्ट के अनुसार, उच्च शिक्षा मंत्री एमसी सुधाकर ने बीते रविवार को कहा कि पोशाक पर कोई भी प्रतिबंध व्यक्तियों के अधिकारों का उल्लंघन होगा. हिजाब पहनने वाले उम्मीदवारों को कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में उपस्थित होने की अनुमति दी जाएगी. पांच सरकारी निगमों में रिक्तियों को भरने के लिए प्राधिकरण की परीक्षा 28 और 29 अक्टूबर को आयोजित होगी. सुधाकर ने यह भी जोड़ा कि यह धर्मनिरपेक्ष देश है, लोग अपनी इच्छानुसार कपड़े पहनने के लिए स्वतंत्र हैं.

उत्तर प्रदेश में खून चढ़ाए जाने के बाद 14 बच्चों के हेपेटाइटिस और एचआईवी से संक्रमित होने की घटना सामने आई है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, 06 से 16 की उम्र के बीच के इन बच्चों को थैलेसीमिया से पीड़ित होने के चलते नियमित तौर पर खून चढ़ाया जाता है. मामला कानपुर शहर में सरकार द्वारा संचालित लाला लाजपत राय अस्पताल के सामने आया, जहां टेस्ट होने के बाद विभिन्न संक्रमणों के बारे में मालूम चला. ये बच्चे कानपुर शहर, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, औरैया, इटावा और कन्नौज सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों से हैं. इनमें से सात में हेपेटाइटिस बी, पांच में हेपेटाइटिस सी और दो में एचआईवी की पुष्टि हुई है. अस्पताल के अधिकारियों का मानना है कि किसी वायरस के परीक्षण के लिए जो टेस्ट खून दिए जाने के बाद किए जाने चाहिए, वे अप्रभावी रहे होंगे, जिसके चलते यह संक्रमण हुआ हो सकता है.