मंदिर परिसरों में आरएसएस की गतिविधियों की अनुमति न दें: केरल मंदिर बोर्ड

केरल के त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड ने सर्कुलर जारी करके कहा है कि मंदिर में त्योहारों और अनुष्ठानों के अलावा परिसर का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए. आगे कहा गया है कि जो अधिकारी इस आदेश का पालन करने में विफल रहेंगे, उन्हें सख़्त कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

/
केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम स्थित वलियासला महादेव मंदिर. (फोटो साभार: keralatourism.org)

केरल के त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड ने सर्कुलर जारी करके कहा है कि मंदिर में त्योहारों और अनुष्ठानों के अलावा परिसर का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए. आगे कहा गया है कि जो अधिकारी इस आदेश का पालन करने में विफल रहेंगे, उन्हें सख़्त कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

केरल का एक मंदिर. (प्रतीकात्मक फोटो: विकिमीडिया कॉमन्स CC by SA 2.0)

नई दिल्ली: त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने अपने नियंत्रण वाले सभी मंदिरों से कहा है कि वे अपने परिसरों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा आयोजित सामूहिक अभ्यास (Mass Drill) या किसी अन्य गतिविधि की अनुमति न दें.

हालांकि यह प्रतिबंध पहले से ही लागू है, केरल के कुछ मंदिरों में आरएसएस की गतिविधियां होने की खबरें सामने आने के बाद बोर्ड ने प्रतिबंध को दोहराते हुए एक नया निर्देश जारी किया है.

बोर्ड द्वारा जारी सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि मंदिर में त्योहारों और अनुष्ठानों के अलावा परिसर का उपयोग अन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए और जो अधिकारी इस आदेश का पालन करने में विफल रहेंगे, उन्हें सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.

केरल की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार ने आरएसएस द्वारा अपने शारीरिक प्रशिक्षण के लिए मंदिर परिसर का उपयोग करने पर अपना विरोध व्यक्त किया था, जिसमें कभी-कभी हथियार भी शामिल होते हैं.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंदिर परिसर को अपनी शाखाओं और शारीरिक प्रशिक्षण के लिए उपयोग करने के लिए आरएसएस की आलोचना की थी.

मंदिर बोर्ड ने कहा कि न केवल आरएसएस, बल्कि अन्य संगठनों और राजनीतिक दलों को भी मंदिर परिसर को अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि उपायुक्तों, सहायक आयुक्तों, प्रशासनिक अधिकारियों और बोर्ड के उप-समूह अधिकारियों को ऐसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठाने और इसकी रिपोर्ट मुख्य कार्यालय को देने के लिए कहा गया है. बोर्ड ने मार्च 2021 में भी इसी तरह का निर्देश जारी किया था.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, देवस्वोम आयुक्त द्वारा 20 अक्टूबर को जारी सर्कुलर में कहा गया है कि मंदिर निकाय द्वारा प्रबंधित मंदिरों के परिसर के अंदर ‘नामजपा विरोध प्रदर्शन’ (मंत्रों का जाप करके विरोध प्रदर्शन) पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.

सर्कुलर में यह भी स्पष्ट किया गया कि जिन लोगों का मंदिरों से कोई संबंध नहीं है, उनके फोटो, झंडे और फ्लेक्स बोर्ड उनके परिसर में नहीं रखे जाने चाहिए.

इसमें कहा गया है कि निर्देशों का पालन करने में किसी भी विफलता को इस संबंध में हाईकोर्ट के फैसलों का उल्लंघन माना जाएगा.

पिछले महीने केरल हाईकोर्ट ने कहा था कि तिरुवनंतपुरम जिले में सरकारा देवी मंदिर के परिसर में किसी भी सामूहिक अभ्यास (Mass Drill) या हथियार प्रशिक्षण की अनुमति नहीं दी जाएगी.

अदालत का यह निर्देश तब आया था, जब वह आरएसएस और उसके सदस्यों द्वारा मंदिर परिसर के ‘अवैध उपयोग और अनधिकृत कब्जे’ को रोकने का आदेश देने की मांग करने वाली दो श्रद्धालुओं की याचिका का निपटारा कर रही थी.

मंदिरों में आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने का कदम 2016 में शुरू हुआ, जब राज्य में एलडीएफ सरकार सत्ता में आई थी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में तत्कालीन देवस्वोम मंत्री कडकम्पल्ली सुरेंद्रन ने आरोप लगाया था कि आरएसएस केरल में मंदिरों को हथियारों के भंडार में बदलने की कोशिश कर रहा है और सरकार को इस संबंध में बड़ी संख्या में शिकायतें मिल रही हैं.

तत्कालीन सरकार ने शिकायतों के मद्देनजर केरल पुलिस अधिनियम की संबंधित धाराओं का उपयोग करते हुए एक सर्कुलर जारी किया था. हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्कुलर के निर्देशों को सख्ती से लागू नहीं किया गया था.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.