आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) में शामिल देशों की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के बाद 11,000 से अधिक भारतीयों ने यूनाइटेड किंगडम का पासपोर्ट हासिल किया है. ओईसीडी देशों की नागरिकता लेने वालों में भारतीयों की संख्या सबसे अधिक रही. इसके बाद मैक्सिको और सीरिया के लोग थे.
नई दिल्ली: एक रिपोर्ट में पता चला है कि 2021 में ओईसीडी देशों की नागरिकता हासिल करने में सबसे अधिक संख्या भारतीयों की थी.
ओईसीडी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में लगभग 1,00,000 भारतीय अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के नागरिक बने, जो देश से प्रवास करने वाले लोगों के लिए सबसे लोकप्रिय गंतव्य हैं. इसके अलावा 11,000 से अधिक भारतीय यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) का पासपोर्ट हासिल करने में सफल रहे.
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (The Organisation for Economic Cooperation and Development/ओईसीडी) एक मंच है, जहां बाजार आधारित अर्थव्यवस्था वाले करीब 38 लोकतांत्रिक देशों की सरकारें सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सहयोग करती हैं. इन देशों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन भी शामिल हैं.
इन आंकड़ों ने भारत को उपरोक्त चार देशों के लिए नागरिकता हासिल करने वालों का शीर्ष मूल देश बना दिया है.
2021 में भारत से आए 2,700 नए नागरिकों ने उन्हें प्राकृतिक रूप से न्यूजीलैंडवासियों का दूसरा सबसे बड़ा समूह बना दिया, जबकि भारतीय मूल के 2,000 से कम नए स्पेनिश नागरिकों की संख्या 19वें स्थान पर थी. नीदरलैंड ने लगभग 1,700 और स्वीडन ने 1500 नए भारतीय नागरिकों को स्वीकार किया. दोनों देशों का रैंक क्रमश: 5 और 12 है.
2019 की तुलना में 15 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद भारत नए ओईसीडी नागरिकों की सबसे आम पूर्व देश बना हुआ है. ओईसीडी के अनुसार, मेक्सिको समान गिरावट के साथ दूसरे स्थान पर रहा और ‘लगभग सभी’ पूर्व मैक्सिकन नागरिक अमेरिकी नागरिक बन गए.
2019 के विपरीत 150 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के साथ सीरिया नए ओईसीडी नागरिकों का तीसरा सबसे आम मूल देश था. गृह युद्ध के कारण 2010 के मध्य में कई सीरियाई लोगों ने अपना देश छोड़ दिया था, अब वे अपने निवास के नए देशों, उदाहरण के लिए स्वीडन, नीदरलैंड और जर्मनी में नागरिक बन रहे हैं.
यह रिपोर्ट मूल रूप से स्टेटिस्टा पर प्रकाशित हुई. इसे अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें